चित्रकूट में फंड घोटाला, कांग्रेस का आरोप सामुदायिक भवन में नशाखोरी, करोड़ों का हिसाब गायब

चित्रकूट में विकास के नाम पर 750 करोड़ की राशि जारी की गई, लेकिन कांग्रेस ने इन पैसों के दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं। रिसर्च सेंटर में पार्टी और सामुदायिक भवन में नशाखोरी के आरोप कांग्रेस ने लगाए हैं।

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Rohit Sahu
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कांग्रेस के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. मुकेश नायक ने शनिवार को भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि चित्रकूट में 37 करोड़ रुपये खर्च कर बनाया गया सामुदायिक भवन अब नशा करने वालों का अड्डा बन गया है।
उन्होंने कहा कि यह भवन सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए तैयार किया गया था, लेकिन इसे ऐसी जगह बनाया गया जो संस्थान की मुख्य गतिविधियों से कटी हुई है। नतीजतन यहां अब कोई कार्यक्रम नहीं होते, सिर्फ नशाखोरी होती है। 

आरोग्यधाम में एलोपैथिक क्लिनिक और बर्थडे पार्टी

चित्रकूट में बने 47 एकड़ क्षेत्र में फैले आरोग्यधाम को आयुर्वेद रिसर्च सेंटर के तौर पर विकसित किया गया था। लेकिन डॉ. नायक के अनुसार, आज वहां एलोपैथी डॉक्टर, मेडिकल स्टोर और निजी क्लिनिक चल रहे हैं। यहां तक कि इस परिसर को किराए पर रिसॉर्ट की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, जहां बर्थडे पार्टी जैसे निजी कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। सरकार ने चित्रकूट विकास प्राधिकरण को 750 करोड़ रुपए दिए थे, लेकिन इनका सही यूज हुआ ही नहींं।

मंदाकिनी नदी सफाई के लिए 37 करोड़

कांग्रेस नेता ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना के तहत मंदाकिनी नदी की सफाई के लिए 37 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। लेकिन इनमें से 30 करोड़ रुपये सीधे एक निजी संस्था को ट्रांसफर कर दिए गए। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार निजी जमीन और संसाधनों पर विकास प्राधिकरण का पैसा कैसे खर्च कर सकती है?

गोशाला बंद, फिर फंड का कहां हो रहा उपयोग 

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चित्रकूट की गोशाला के लिए मिला फंड भी गायों की सेवा में नहीं लगा, बल्कि वहां अब खाना-पीना और अन्य गतिविधियां हो रही हैं। टाटा ट्रस्ट से मिले फंड का बड़ा हिस्सा भी एलोपैथिक केंद्र पर खर्च हो चुका है, जो परियोजना के उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत है।

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रामपथ और महाकाल लोक पर भी उठे सवाल

नायक ने आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार ने रामपथ गंगा योजना के लिए 2000 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, लेकिन उसका कोई हिसाब नहीं है। उन्होंने महाकाल लोक और ओंकारेश्वर लोक परियोजनाओं की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि इन स्थलों पर लगाई गई मूर्तियां मामूली हवा से भी गिर जाती हैं, जो भ्रष्टाचार और घटिया निर्माण की पोल खोलती हैं।

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