/sootr/media/media_files/2025/02/26/MyfjeGocVx66AMm3rPZW.jpg)
विक्रमोत्सव 2025 का शुभारंभ शिवरात्रि पर्व के अवसर पर बुधवार को उज्जैन के दशहरा मैदान में रात 8:30 बजे होगा, जिसमें केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मौजूद रहेंगे। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पद्मश्री आनंदन शिमणि, हंसराज रघुवंशी और शिवादल भोपाल अपनी प्रस्तुतियां देंगे।
महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि विक्रमोत्सव के अंतर्गत मध्य प्रदेश में आयोजित होने वाले 51 प्रमुख महाशिवरात्रि मेलों और सिंहस्थ 2028 की रूपरेखा का लोकार्पण भी किया जाएगा। दशहरा मैदान में प्रसिद्ध गायक हंसराज रघुवंशी और शिवादल अपनी सांगीतिक प्रस्तुति देंगे। साथ ही, विक्रम व्यापार मेला, वस्त्रोद्योग, हाथकरघा उपकरणों की प्रदर्शनी, जनजातीय शिल्प, पारंपरिक व्यंजन और जनजातीय परंपरागत चिकित्सा शिविर का भी आयोजन किया जाएगा।
विक्रमोत्सव के तहत 30 मार्च को वर्ष प्रतिपदा गुड़ी पड़वा की रात शिप्रा तट पर सुप्रसिद्ध गायिका श्रेया घोषाल अपनी प्रस्तुति देंगी, जो इस भव्य आयोजन का विशेष आकर्षण होगा।
2 महीने तक चलेंगे कार्यक्रम
विक्रमोत्सव का आयोजन 26 फरवरी से 30 जून तक 125 दिनों तक चलेगा, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक, शैक्षिक और कलात्मक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इस भव्य उत्सव के दौरान प्रदर्शनी, वेद अंताक्षरी, संगीत, नृत्य, नाटक, चित्रकला, मूर्तिकला और पौराणिक फिल्मों के अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही राष्ट्रीय विज्ञान समागम, अंतर्राष्ट्रीय इतिहास समागम, भारतीय बोलियों और हिंदी भाषा से जुड़े अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, पुस्तकों के प्रकाशन और विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के एप का लोकार्पण भी किया जाएगा। इस अवसर पर प्रदेश का सबसे प्रतिष्ठित सम्राट विक्रमादित्य राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया जाएगा, साथ ही तीन राज्य स्तरीय सम्राट विक्रमादित्य शिखर सम्मान भी दिए जाएंगे, जो इस आयोजन की गरिमा को और बढ़ाएंगे।
खबर यह भी...
एविएशन हब बनेगा MP, उज्जैन को मिलेगा नया एयरपोर्ट, खुलेगी 5 एविएशन एकेडमी
विक्रमोत्सव का इतिहास
विक्रमोत्सव भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो महान सम्राट विक्रमादित्य की स्मृति में मनाया जाता है। यह उत्सव मुख्यतः उज्जैन में मनाया जाता है, जिसे विक्रमादित्य की राजधानी माना जाता था। यह उत्सव विक्रम संवत के प्रारंभ के साथ जुड़ा हुआ है, जिसे विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त करने के बाद स्थापित किया था।
विक्रमोत्सव का संबंध सम्राट विक्रमादित्य से है, जो प्राचीन भारत के सबसे प्रतापी और न्यायप्रिय शासकों में से एक थे। विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त की और इस विजय को चिरस्थायी बनाने के लिए विक्रम संवत की शुरुआत की, जो आज भी भारत में प्रचलित पंचांग प्रणाली में से एक है।
खबर यह भी...
धर्म-अध्यात्म: ऐतिहासिक होगा विक्रमोत्सव, देशभर से श्रद्धालु आएंगे उज्जैन
1. विक्रम संवत की स्थापना
- विक्रम संवत की शुरुआत ईसा पूर्व 57 में हुई थी। इसे हिंदू पंचांग का एक महत्वपूर्ण संवत्सर माना जाता है।
- यह संवत विक्रमादित्य की शकों पर विजय के उपलक्ष्य में प्रारंभ किया गया था।
- इसे भारतीय सभ्यता और संस्कृति के गौरव के रूप में स्वीकार किया जाता है।
2. उज्जैन और विक्रमोत्सव का संबंध
- उज्जैन प्राचीन काल से एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र रहा है। यह विक्रमादित्य की राजधानी थी।
- विक्रमोत्सव उज्जैन में विशेष रूप से मनाया जाता है, जहाँ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
3. विक्रमोत्सव की परंपरा और आयोजन
- इस उत्सव के दौरान भारत के विभिन्न राज्यों से विद्वान, साहित्यकार, कलाकार और इतिहासकार उज्जैन में एकत्रित होते हैं।
- नाट्य प्रस्तुतियां, संगोष्ठियां, और ऐतिहासिक चर्चाएं की जाती हैं।
- यह महाकालेश्वर मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थलों में विशेष पूजन और अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है।
खबर यह भी...धर्म-अध्यात्म: उज्जैन सिंहस्थ की तैयारियों का शुभारंभ, सीएम स्वयं कर रहे मॉनीटरिंग
विक्रमोत्सव का महत्व
1. भारतीय संस्कृति और इतिहास का गौरव
विक्रमोत्सव भारतीय इतिहास की गौरवशाली परंपराओं को संजोने और उन्हें जनमानस तक पहुँचाने का एक अवसर है। यह सम्राट विक्रमादित्य के योगदान को स्मरण करने का दिन है।
2. विक्रम संवत का महत्व
हिंदू कैलेंडर में विक्रम संवत का विशेष स्थान है। यह भारतीय परंपराओं और ज्योतिषीय गणनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3. साहित्य और कला का संरक्षण
विक्रमोत्सव के माध्यम से साहित्य, संगीत और नाट्यकला को बढ़ावा दिया जाता है। इसमें भारतीय परंपराओं और लोककला का प्रदर्शन किया जाता है।
4. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चेतना
यह उत्सव नई पीढ़ी को भारतीय इतिहास और संस्कृति से जोड़ने का कार्य करता है, जिससे वे अपने गौरवशाली अतीत को जान सकें।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक