'किसी को दुख पहुंचे ऐसा काम मत करना', पिता के संस्मरण सुनाकर भावुक हुए सीएम मोहन यादव

मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव पिता के निधन के बाद शोक व्यक्त करने आए नागरिकों से मिल रहे हैं। इसके साथ ही सीएम राजधर्म का पालन करते हुए प्रदेश की स्थिति पर नजर भी रखे हुए हैं। लगातार प्रशासनिक अधिकारियों से मोबाइल पर जानकारी ले रहे हैं...

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से उनके पिता के निधन पर निज निवास पर जब आमजन मिलने पहुंचे तो वे पिता के संस्मरण सुनाकर भावुक हो गए। अपने पिताश्री की स्मृतियों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि उज्जैन विकास प्राधिकरण के चेयरमैन से लेकर विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री बनने पर भी उनके पिता ने सरकारी सुविधा से सदैव परहेज रखा। उन्होंने कहा कि जब वे विधायक का चुनाव जीतकर आए और पिताजी के पैर छुए तो उन्होंने कहा- जीत गए अच्छी बात है, लेकिन हमेशा स्वाभिमान की जिंदगी जीना। कभी किसी के पैरों में मत गिरना। अपने दम पर और कर्म के आधार पर आगे बढ़ना। स्वयं के द्वारा की गई मेहनत ही एक दिन रंग लाएगी और ऊंचाई तक पहुंचाएगी। जब मैं मुख्यमंत्री बना और आशीर्वाद लेने उज्जैन आया तो घर पर चरण स्पर्श करते समय पिताजी ने कहा- अच्छा काम करना, लोगों का भला करना। किसी को दु:ख पहुंचे, ऐसा काम कभी मत करना।

ताउम्र वे सामान्य जीवन जीते रहे

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पिताजी हमेशा आशीर्वाद के साथ एक नई सीख देते थे। वे अपना काम आखिरी समय तक स्वयं ही करते रहे। कोई मिलने आता तो वे कभी यह नहीं कहते थे कि मैं विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री का पिता हूं। ताउम्र वे सामान्य जीवन जीते रहे। जब मुख्यमंत्री निवास में जाते समय मैंने उनसे साथ चलने का आग्रह किया तो पिताजी ने कहा मैं तो यहीं पर अच्छा हूं। आज तक तुम्हारी सरकारी कार में भी नहीं बैठा और आगे भी नहीं बैठना चाहता हूं। तुम वहां जाकर रहो और लोगों की सेवा करते रहो। मैं यहीं पर अच्छा हूं।

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मेरा काम है और मैं ही करूंगा

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पिताश्री के दैनिक जीवन का एक हिस्सा खेत पर जाना भी था। फसल तैयार होने पर उसे अपनी देखरेख में कटवाना और ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ स्वयं उपज बेचने के लिए मंडी जाना... उनका यह नित्य क्रम था। हम सब कहते भी थे कि यह सब आप मत किया करो, आराम करो, आपको जाने की क्या आवश्यकता है। वे कहते थे कि यह मेरा काम है और मैं ही करूंगा। वे बाजार भी जब-तब सामान लेने निकल जाते थे। कभी उन्होंने किसी की भी किसी काम के लिए मुझसे सिफारिश नहीं की। मैं उनके लिए एक पुत्र था, न कि कोई राजनेता। पिताश्री की स्मृतियों के साथ मां को भी याद कर वे भावुक हो गये और उन्होंने कहा कि पिताजी की तरह ही मां भी बेहद कर्मशील थीं। दोनों ने मुझे सदैव कर्मशील बने रहने की सीख दी और उनकी इसी सीख पर मैं अब तक अडिग होकर चला हूं और आगे भी चलता रहूंगा।

सीएम मोहन ने तीनों जिलों के कलेक्टर से मोबाइल पर की चर्चा  

  • मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्वालियर, धार और झाबुआ जिलों में हुई घटनाओं के संबंध में तीनों जिलों के कलेक्टर से मोबाइल पर जानकारी प्राप्त की और नागरिकों की राहत के लिए आवश्यक निर्देश भी दिए... 

  • मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने झाबुआ कलेक्टर को दो बच्चियों के बहने से उनके परिवार को चार-चार लाख रुपए की सहायता राशि देने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो यह भी ध्यान रखा जाए।

  • मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने ग्वालियर कलेक्टर से चर्चा कर ट्रॉमा सेंटर की घटना की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को निर्देश दिए कि भविष्य में ऐसी घटना न हो इस संबंध में सतर्कता रखी जाए और पूरा स्टॉफ सावधान रहकर अपना दायित्व निभाएं।

  • मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने धार जिले में डही विकासखंड के बड़वानिया में जनजातीय बालक आश्रम परिसर में बारिश के जल भराव से विद्यार्थियों को हुई परेशानी के संबंध में जानकारी ली। सीएम मोहन ने कहा कि ऐसी घटनाओं का दोहराव न हो, इसके लिए सभी आवश्यक सावधानियां रखी जाएं। 

बता दें कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के पिता का 3 सितंबर को निधन के बाद 4 सितंबर को पिता के अंतिम संस्कार किया गया था। 
मुख्यमंत्री डॉ. यादव पिता के निधन के बाद शोक व्यक्त करने आए नागरिकों विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों से मिलकर राजधर्म का पालन करते हुए प्रदेश की स्थिति पर नजर भी रखे हुए हैं। वे निरंतर प्रशासनिक अधिकारियों से मोबाइल पर चर्चा भी कर रहे हैं।

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