Thesootr Special Story : सीएम मोहन यादव आज दिल्ली में अमित शाह से मिलेंगे, बैठक में उठ सकता है ड्रग्स फैक्टरी का मुद्दा

भोपाल में 1800 करोड़ रुपए से ज्यादा का ड्रग्स बरामद होना प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की चूक को उजागर करता है। गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मोहन यादव की बैठक के बाद इस सामूहिक विफलता के जिम्मेदारों पर सवाल उठने लगे हैं।

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प्रशासन, पुलिस और इंटेलीजेंस एजेंसियों की नाक के नीचे 1800 करोड़ रुपए से ज्यादा का ड्रग्स भोपाल से बरामद होना बहुत सारे सवालों को जन्म देता है। पूरे प्रदेश को हिला देने वाले इस घटनाक्रम के ठीक अगले दिन यानी आज गृहमंत्री अमित शाह के साथ मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव बैठक करने जा रहे हैं।

जाहिर है दिल्ली में होने वाली इस बैठक में मुख्यमंत्री को इसका मुद्दा उठ सकता है। कैसे राजधानी में यह कारोबार चलता रहा और किसी को खबर तक नहीं हुई। गुजरात पुलिस ने इस का भंडाफोड़ किया। मुद्दा इसलिए और भी गंभीर हो जाता है कि इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मध्य प्रदेश में अवैध कट्टों और ड्रग्स के मामलों पर लगाम लगाने की बात करते रहे हैं। आइए समझते हैं, इस सामूहिक फैलियर के पीछे कौन- कौन हैं जिम्मेदार… 

सारे कुएं में भांग पड़ी, किसको सौंपें जिम्मेदारी

इस मामले में सबसे चिंता की बात यह है कि एक भी सरकारी विभाग के अधिकारी- कर्मचारियों ने अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं निभाई।अगर लेबर डिपार्टमेंट से लेकर इंटेलीजेंस एजेंसियों तक कोई भी एक विभाग अपना काम सही से करता तो ड्रग्स का इतना बड़ा कारोबार राजधानी में पनपना संभव ही नहीं था। 

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लेबर

लेबर (श्रम) विभाग का मुख्य काम श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बेहतर कार्य परिस्थितियां उपलब्ध कराना होता है। कार्यस्थल की सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों का पालन सुनिश्चित करना और खतरनाक कार्यस्थलों पर सुरक्षा उपायों की निगरानी और निरीक्षण करना इसी विभाग की जिम्मेदारी होती है। कैमिकल बनाने की फैक्टरी तो सबसे संवेदनशील जगह है, जिसकी लगातार मॉनिटरिंग होना चाहिए। क्या लेबर डिपार्टमेंट ने ऐसा किया? 

  • इंडस्ट्री विभाग
  • जीएसटी 
  • मध्य प्रदेश पुलिस 
  • इटेलीजेंस 
  • एसटीएफ 
  • नारकोटिक्स

इंडस्ट्री (उद्योग) विभाग

इंडस्ट्री (उद्योग) विभाग का काम केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देना ही नहीं होता है। औद्योगिक सुरक्षा और पर्यावरण मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न निरीक्षण करना भी इस विभाग की बड़ी जिम्मेदारी होती है। छह माह से बंद एक फैक्टरी में अचानक से एक फैक्टरी खुलती है, क्या इसकी परमीशन विभाग से ली गई थी? अगर नहीं तो फिर छह माह से क्या विभाग के अफसर सो रहे थे? सूत्र बताते हैं कि 2020 में आखिरी बार इस फैक्टरी का सर्वे किया गया था। इसके बाद से किसी को फुरसत ही नहीं मिली।

जीएसटी विभाग 

जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) विभाग का मुख्य उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाने वाले कर को एकीकृत करना, उसका संग्रह करना, और उसके नियमों का पालन सुनिश्चित करना है। इसी के साथ मौके पर जाकर भी संबंधित बिजनेस की वस्तुस्थिति को जानना इसी विभाग की जिम्मेदारी होती है। एक फैक्टरी 2020 से बंद पड़ी है। वहां नई फैक्टरी भी शुरू हो गई, मगर विभाग ने मौके पर जाकर क्या देखा?

मध्य प्रदेश पुलिस

मध्य प्रदेश पुलिस का तो मुख्यालय तो भोपाल में ही है। यहां तो विभाग के डीजी से लेकर सारे बड़े अफसर यहीं बैठते हैं। जाहिर है बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र के लिए भी अलग से पुलिस तैनात है। और पुलिस का अपना नेटवर्क भी होता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल पुलिस के फेल्योर का ही है।

NCB और ATS गुजरात ने मिलकर इस सर्जिकल ऑपरेशन को अंजाम दिया है। प्रोटोकॉल के अर्न्तगत इन्हें अपने ऑपरेशन की जानकारी मध्य प्रदेश सरकार और भोपाल पुलिस को देनी चाहिए थी, परंतु इन्होंने ऐसा नहीं किया। आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि भारत में इस प्रकार के सर्जिकल ऑपरेशन तब किए जाते हैं जब दूसरे राज्य की पुलिस के बारे में पूरा विश्वास और एविडेंस होते हैं कि लोकल पुलिस अपराधियों से मिली हुई है। और यह भी कि यदि लोकल पुलिस को इन्फॉर्म किया गया तो अपराधी को पकड़ना मुश्किल हो जाएगा। इस रेड के बारे में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गोपनीय सूचना के आधार पर फैक्ट्री पर छापा मारा गया था। भोपाल निवासी अमित चतुर्वेदी और सान्याल बाने के खिलाफ मादक पदार्थ मेफेड्रोन (MD) का अवैध निर्माण और बिक्री की जानकारी मिली थी। इस जानकारी पर ही संयुक्त रूप से कार्रवाई की गई।

यही स्थिति पुलिसिंग से जुड़ी अन्य एजेंसियों की भी। चाहे वह इटेलीजेंस हो, एसटीएफ या फिर नारकोटिक्स.. यह तो गुजरात सरकार का शुक्र मनाना चाहिए कि उन्होंने इस ऑपरेशन के लिए मध्य प्रदेश पुलिस का धन्यवाद किया है। 

सरकारी रिकॉर्ड में बंद है फैक्ट्री

एंटी टेरीरिस्ट स्क्वाड गुजरात और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की संयुक्त कार्रवाई ने भोपाल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही यह सर्जिकल ऑपरेशन करके एमपी इंटेलिजेंस और भोपाल पुलिस दोनों को एक्सपोज कर दिया है। मध्य प्रदेश सरकार के खुफिया तंत्र और भोपाल पुलिस की प्रतिष्ठा पर यह घटना दाग लगाने वाली साबित हुई है। एटीएस गुजरात ने भोपाल में एक ऐसी सरकारी सहायता प्राप्त फैक्ट्री को पकड़ा है जो सरकारी रिकॉर्ड में सालों से बंद है। साथ ही इस फैक्ट्री के बंद दरवाजे के अंदर घातक और प्रतिबंधित नशीली MD ड्रग्स का उत्पादन भी हो रहा था।

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