महाअभियान के बाद विभाग की बेरुखी, आंदोलन की राह पर नाराज पटवारी

सीएम के गृह जिले में पटवारी सरकार की कार्रवाई के विरोध में उतर आए हैं। राजस्व महाअभियान में कमियों का हवाला देकर पटवारियों पर की गई कार्रवाईयों की  शिकायत सीएम डॉ. मोहन यादव से की गई है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL : एक ओर बेरोजगारी का मुद्दा सरकार की नाक में दम कर रहा है और अब सीएम के गृह जिले में पटवारी सरकार की कार्रवाई के विरोध में उतर आए हैं। राजस्व महाअभियान में कमियों का हवाला देकर पटवारियों पर की गई कार्रवाईयों की  शिकायत सीएम डॉ. मोहन यादव से की गई है। संगठन ने जिला प्रशासन को एक पत्र सौंपकर बीते दिनों की गई कार्रवाइयां वापस न लेने पर आंदोलन की चेतावनी भी दे दी है। 

मध्यप्रदेश में बीते महीनों में सरकार ने लोगों के जमीन से संबंधित बंटवारा, नक्शा दुरुस्ती, भू-अभिलेखों में सुधार से जुड़े प्रकरणों के समाधान के लिए राजस्व महाअभियान चलाया था। इस मुहिम में प्रदेश भर के पटवारियों को लगाया गया था। करीब महीने भर की मशक्कत के बाद राजस्व विभाग 50 लाख प्रकरणों को निराकृत कर चुका है। इससे विभाग का भार कम हुआ है लेकिन इस काम में दिन-रात जुटे रहे पटवारी अब सरकार से नाराज हैं। मध्यप्रदेश पटवारी संघ ने पटवारियों की नाराजगी को सीएम डॉ.मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन से उजागर करना शुरू किया है। इसके लिए जिले भर के पटवारियों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर सीएम के नाम 11 सूत्रीय मांगपत्र सौंप कर, समाधान न होने पर दो दिन सामूहिक अवकाश की चेतावनी भी दे डाली है।

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यह है पटवारियों में बढ़ रहे असंतोष की वजह

पटवारी संघ के जिलाध्यक्ष भगवान सिंह यादव का कहना है पटवारी विभाग के निर्देश पर एक महीने भर से ज्यादा समय महाअभियान में जुटे रहे। लगातार काम करने का असर विभाग के लंबित 50 लाख प्रकरणों के निराकरण के रूप में सरकार के सामने हैं। लेकिन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी श्रेय लूटने में जुट गए हैं। वहीं महाअभियान या अन्य दूसरे कामों में सामने आ रही कमियों के लिए पटवारियों को दंडित किया जाता है। बीते दिनों में कई पटवारियों पर दंडात्मक और निलंबन की कार्रवाई की गई है। इससे पटवारियों में असंतोष बढ़ रहा है। पटवारी पूरे राज्य में वेतन विसंगति का शिकार है, बार-बार मांग करने पर भी उनकी बात नहीं सुनी जा रही। पूर्व में सूचना देकर की गई हड़ताल के दिन का वेतन नहीं दिया गया। पांच माह से वेतन-भत्तों के एरियर का भुगतान भी उलझाकर रखा गया है। 

नए पटवारियों को 100 फीसदी वेतन का इंतजार

पटवारी जहां राजस्व विभाग के अफसरों के तानाशाहीपूर्ण रवैए से नाराज हैं, वहीं सरकार की उपेक्षा उन्हें निराशा में डाल रही है। पटवारियों के इस आंदोलन का आगाज उज्जैन से शुरू हुआ है लेकिन जल्द ही यह पूरे प्रदेश में फैल सकता है। यदि सरकार द्वारा पटवारी संघ के 11 सूत्रीय मांगों को अनदेखा किया जाता है तो पटवारी फिर आंदोलन पर उतर सकते हैं। प्रदेश में बीते साल राजस्व विभाग में शामिल हुए नए पटवारी भी सरकार की वेतन विसंगति से नाराज हैं। वे समान कार्य के बदले समान वेतन की मांग कर रहे हैं। पटवारी संघ का कहना है वैसे तो बीजेपी सरकार कमलनाथ सरकार के हर फैसले को बदल रही है, फिर नए कर्मचारियों को तीन साल तक पूरा वेतन न देने के फैसले को क्यों नहीं पलटा जा रहा। प्रदेश में ऐसे 6 हजार से ज्यादा पटवारी हैं जिन्हें बीते दो साल में नियुक्ति मिली है। इन्हें अब तक पूरा वेतन नहीं मिला है।

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