Bhopal : डॉ. मोहन यादव ने 13 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 13 सितंबर 2024 को सरकार के कार्यकाल के 9 माह पूरे हो जाएंगे। कैसा रहा सरकार का गर्भकाल, 9 महीने में कितने कदम चली सरकार, 'द सूत्र' लेकर आया है पूरा एनालिसिस...
आज पहली कड़ी में हम बताने जा रहे हैं सरकार की महत्वाकांक्षी पीएमश्री धार्मिक पर्यटन हेली सेवा की।
इसका हश्र क्या हुआ...कैसे इसे 'पंख' नहीं लगे... कहां कमजोरी रही...जैसे बिंदुओं से हम आपको पूरी कहानी बताएंगे।
16 जून 2024... यही वही तारीख थी, जिस दिन मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने उज्जैन में हरी झंडी दिखाकर पीएमश्री धार्मिक पर्यटन हेली सेवा की शुरुआत की थी, तब उन्होंने कहा था कि पीएमश्री धार्मिक पर्यटन हेली सेवा केवल महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर नहीं है, बल्कि हमारे आस्था के केंद्र ज्योतिर्लिंगों के प्रति देश और दुनिया में स्थित श्रद्धालुओं की आस्था को जोड़ने का संकल्प है।
हेलीकॉप्टर बढ़ना तो दूर दूसरा यात्री ही नहीं मिला
16 जून को ही मुंबई से आईं दिशा सिंह और उनके परिवार ने विमान का टिकट लिया और उन्होंने यात्रा की। दिशा ही इस योजना की पहली और आखिरी यात्री रहीं, इसके बाद हेली सेवा को 'दिशा' नहीं मिली और यह शुरुआती दौर में ही फ्लॉप हो गई। यह तब है, जब सीएम ने कहा था कि आने वाले दिनों में हेलीकॉप्टर की संख्या और बढ़ाई जाएगी। 16-16 यात्री हवाई सेवा का लाभ ले सकेंगे। प्रदेश के मैहर, दतिया, ओरछा, अन्य धार्मिक, पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व के देव स्थलों को भी हवाई यात्रा से जोड़ने का लक्ष्य था, लेकिन यह योजना की कायदे से धरातल पर नहीं उतरी।
गर्भकाल…
मोहन यादव सरकार के नौ माह और आपका आंकलन…
कैसी रही सरकार की दशा और दिशा…
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दो ज्योतिर्लिंग को सीधे जोड़ने की थी मंशा
दरअसल, इस प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में भोपाल से उज्जैन-ओंकारेश्वर और इंदौर से उज्जैन व ओंकारेश्वर रूट पर हवाई सेवा शुरू की गई थी। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आईआरसीटीसी पर इस सेवा की बुकिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। सरकार की मंशा थी कि पीएमश्री धार्मिक पर्यटन हेली सेवा से श्रद्धालु विशेषकर बुजुर्ग, दिव्यांग प्रदेश के दो ज्योतिर्लिंग उज्जैन और ओंकारेश्वर के साथ अन्य धार्मिक स्थलों पर आसानी से पहुंच सकेंगे। योजना के तहत एक ट्विन इंजन हेलीकॉप्टर व दो सिंगल इंजन हेलीकॉप्टर चलाने का दावा किया गया था। एक ट्विन इंजन हेलीकॉप्टर भोपाल में और एक-एक सिंगल इंजन हेलीकॉप्टर इंदौर व उज्जैन में रखने की प्लानिंग थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
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किराया ज्यादा, प्रचार-प्रसार किया कम
इस प्रोजेक्ट के इस हश्र के पीछे सबसे बड़ी कारण तो ज्यादा किराया है। शुरुआत दौर में इंदौर से उज्जैन तक हेलीकॉप्टर से जाने के लिए 4 हजार 524 रुपए किराया तय किया गया। इंदौर से ओंकारेश्वर मंदिर जाने के लिए 5 हजार 274 रुपए और इंदौर से उज्जैन व ओंकारेश्वर की यात्रा के लिए 12 हजार 524 रुपए तय किए गए थे। ये ज्यादा था। दूसरा, इंदौर से उज्जैन और ओंकारेश्वर जाने के लिए ढेर साधन उपलब्ध रहते हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट बेहतर है, लिहाजा लोगों ने रुचि नहीं दिखाई। वहीं, सरकार के स्तर पर भी इस योजना के प्रचार प्रसार के लिए खास दिलचस्पी नहीं दिखाई गई, लिहाजा हेली सेवा को पंख नहीं लगे। इस मामले में 'द सूत्र' ने संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्याय और धर्मस्व राज्य मंत्री धर्मेन्द्र लोधी से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।
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