सीएम डॉ. यादव के विभाग जीएडी को मिली यह कैटेगरी, कलेक्टर वाले राजस्व विभाग और इंदौर जिले के यह हाल

मप्र शासन ने CM हेल्पलाइन की स्थिति के आधार पर विभागों की 20 फरवरी की स्थिति में ए, बी, सी जैसी कैटेगरी में बांटा है। इसमें आश्चर्यजनक रूप से सीएम के अधीन सामान्य प्रशासन विभाग की स्थिति खराब है और यह C कैटेगरी में शामिल होकर 17वें पायदान पर है।

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Pooja Kumari
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संजय गुप्ता, INDORE. मप्र शासन ने सीएम हेल्पलाइन की स्थिति के आधार पर विभागों की 20 फरवरी की स्थिति में ए, बी, सी जैसी कैटेगरी में बांटा है। इसमें आश्चर्यजनक रूप से सीएम डॉ. मोहन यादव के अधीन सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) की स्थिति खराब है और यह सी कैटेगरी में शामिल होकर 17वें पायदान पर है। उल्लेखनीय है कि यह वह विभाग है जो प्रदेश के पूरे शासन, प्रशासन तंत्र को चलाता है, तहसीलदार से उच्च स्तर के प्रशासनिक आईएएस, एसएएस अधिकारी इसी विभाग के तहत होते हैं। इस विभाग का सामान्य तौर पर आम व्यक्ति से लेना-देना नहीं होता है, यानि कि यहां शिकायतें अधिकारी स्तर से ही आ रही है और वह विभाग के काम करने के तरीके और शिकायतों के निराकरण से खुश नहीं है।

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जीएडी की हालत यह है

सभी विभागों की रैंकिंग में जीएडी 17वें पायदान पर है। विभाग को सीएम हेल्पलाइन से कुल 3131 शिकयतें मिली और इसमें संतुष्टि के साथ केवल 38 फीसदी शिकायतें ही निराकृत विभाग कर सका है। इसे सौ में से कुल 67.62 अंक मिले हैं और सी कैटेगरी मिली है।

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कलेक्टर वाले विभाग राजस्व के तो और बुरे हाल

वहीं कलेक्टर की जिम्मे वाले राजस्व विभाग की हालत तो इससे भी खराब है। राजस्व विभाग की रैंकिंग 19वें पायदान पर है और इसकी भी सी कैटेगरी है और कुल अंक 66.04 फीसदी है। संतुष्टि के साथ शिकायतें बंद करने का स्तर मात्र 34 फीसदी ही है। इसके नीचे सहकारिता विभाग 20वें पायदान पर मौजूद है। 

टॉप ए कैटेगरी वाले सात विभाग यह है, उर्जा सबसे टॉप पर

वहीं रैकिंग में सबसे उच्च स्तर पर उर्जा विभाग है, इसके सौ में से 90 अंक है और यह ए कैटेगरी में हैं। इसने 34 हजार से अधिक शिकायतों में 51 फीसदी का संतुष्टकारक निराकरण किया है। इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग 86 फीसदी अंक के साथ दूसरे पायदान पर है, नगरीय विकास व आवास विभाग तीसरे पायदान पर, गृह विभाग जिसके तहत पुलिस विभाग आता है वह चौथे नंबर पर है और यह भी ए कैटेगरी में हैं। इसके बाद वाणिज्यिक कर विभाग पांचवें पायदान पर, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग 6वें पायदान व खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग भी सातवें पायदान पर होकर ए कैटेगरी में हैं। ए कैटेगरी वाले सभी विभागों के अंक 80 फीसदी से अधिक है। 

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इंदौर के यह है हाल, डी कैटेगरी में गया है 

सीएम हेल्पलाइन के हिसाब से इंदौर की दिसंबर 2023 में स्थिति सी कैटेगरी में थी और इशके अंक 60.63 फीसदी थे लेकिन जनवरी 2024 में इसकी स्थिती डी कैटेगरी में चली गई और अंक 54 फीसदी हो गए हैं। हालांकि रविवार (25 फरवरी) को हुई समीक्षा बैठक में कलेक्टर ने पाया कि जिले की रैंकिग में सुधार हुआ है। मप्र शासन की यह रिपोर्ट 20 फरवरी की स्थिति की है। राजस्व महाअभियान में राजस्व कामों को हिसाब से अभी तक इंदौर की स्थिति 41वें नंबर पर है (55 जिलों में)। टॉप थ्री में खंडवा, सीहोर और नया जिला बना पांढुर्णा शामिल है। वहीं निचले पायदान पर उमरिया, सिंगरौली व पन्ना है।

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