मड़ई मस्जिद विवाद: कलेक्टर की फेसबुक पोस्ट से मचा बवाल, बाद में हुई डिलीट

जबलपुर में मड़ई मस्जिद को लेकर 14 जुलाई को हिंदू संगठनों का आंदोलन तय था, लेकिन अब इस आंदोलन का रुख जबलपुर कलेक्टर की ओर मुड़ गया है, जिसकी वजह कलेक्टर के फेसबुक पर की गई एक पोस्ट है जो बाद में डिलीट कर दी गई। 

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Neel Tiwari
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Madai Masjid
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जबलपुर के मड़ई स्थित मस्जिद को लेकर बढ़ते विवाद के बीच प्रशासन की एक फेसबुक पोस्ट ने मामले को और भी अधिक गरमा दिया है। यह पोस्ट खुद जबलपुर कलेक्टर की आधिकारिक फेसबुक प्रोफाइल से शेयर की गई थी, जिसमें एसडीएम रांझी श्री आर.एस. मरावी की रिपोर्ट के हवाले से मस्जिद को वैध बताया गया।

हालांकि, यह पोस्ट बाद में बिना किसी स्पष्टीकरण के डिलीट कर दी गई। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई और पक्षपात का आरोप लगाते हुए बड़ा आंदोलन छेड़ने की घोषणा कर दी है।

मंदिरों मस्जिद की भूमि का है विवाद

मामले की जड़ ग्राम मड़ई के खसरा नंबर 169 और 165 के बीच उलझी जमीन की कानूनी स्थिति है। हिन्दू संगठनों का दावा है कि मड़ई में बनी मस्जिद गायत्री बाल मंदिर की भूमि पर खड़ी है, जो कि खसरा नंबर 169 में दर्ज है। वहीं मस्जिद कमेटी के पास केवल खसरा नंबर 165 में 1000 वर्गफुट भूमि वक्फ नाम पर दर्ज है, जो मस्जिद के वर्तमान स्थान से लगभग 40 मीटर दूर है।

विश्व हिंदू परिषद का आरोप है कि मस्जिद न केवल मंदिर की भूमि पर बनी है, बल्कि इसका निर्माण 3000 वर्गफुट क्षेत्रफल में फैला हुआ है, जिसमें अवैध दुकानों और एक मदरसे का संचालन भी शामिल है।

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SDM रिपोर्ट का हवाला देकर कलेक्टर का पोस्ट

12 जुलाई को जबलपुर कलेक्टर की फेसबुक आईडी से एक पोस्ट साझा की गई, जिसमें SDM रांझी की ओर से मस्जिद की वैधता को लेकर दी गई जानकारी प्रकाशित की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद का निर्माण वर्ष 1985 में हुआ और यह किसी मंदिर को तोड़कर या मंदिर की भूमि पर नहीं बनाई गई।

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क्या है रिपोर्ट में ? 

बंदोबस्त के पहले मूल खसरा नंबर 326 था, जिसमें मस्जिद का निर्माण पहले से था। साल 1990-91 के बंदोबस्त के दौरान 326 नंबर को विभाजित कर खसरा नंबर 163 से 170 बनाए गए। गायत्री बाल मंदिर के नाम पर जो भूमि दर्ज है (नवीन खसरा 169, 2152 वर्गफुट), वहां मौके पर मंदिर का कोई कब्जा नहीं मिला। मौके पर मस्जिद बनी मिली, जो पहले से उसी स्थान पर मौजूद थी। नक्शे में त्रुटिपूर्ण सर्वे के कारण यह विवाद उत्पन्न हुआ, जिसे सुधारने हेतु कलेक्टर न्यायालय में मामला लंबित है और अभी तक गायत्री बाल मंदिर संस्था की ओर से कोई भी दावाकर्ता न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ है। हालांकि इस पोस्ट को बाद में डिलीट क्यों किया गया यह भी समझ से परे है।

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कलेक्टर की पोस्ट के बाद हिंदू संगठनों का आक्रोश

हालांकि प्रशासन के स्पष्टीकरण के बाद विवाद शांत शांत होने की जगह बढ़ता हुआ नजर आया। विहिप और बजरंग दल ने आरोप लगाया कि जब मामला कलेक्टर न्यायालय में लंबित है, ऐसे में कलेक्टर का यह पोस्ट न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला कदम है। उनका कहना है कि प्रशासन ने जानबूझकर मस्जिद को वैध ठहराकर गायत्री बाल मंदिर के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की है। विहिप के नेताओं ने सवाल उठाया कि अगर मौके पर मंदिर नहीं था, तो सरकारी रिकॉर्ड में उसका नाम और खसरा कैसे दर्ज हो गया? साथ ही, 1000 वर्गफुट की वक्फ संपत्ति की जगह मस्जिद का 3000 वर्गफुट में विस्तार और दुकानों का संचालन कैसे वैध हो सकता है?

5 प्वाइंट्स में समझें पूरी खबर

मस्जिद और भूमि विवाद: मड़ई के खसरा नंबर 169 और 165 के बीच एक भूमि विवाद उत्पन्न हुआ है। हिंदू संगठनों का आरोप है कि मस्जिद गायत्री बाल मंदिर की भूमि पर बनी है, जो खसरा नंबर 169 में दर्ज है। 

कलेक्टर की फेसबुक पोस्ट: 12 जुलाई को जबलपुर कलेक्टर की आधिकारिक फेसबुक प्रोफाइल से एक पोस्ट शेयर की गई। इसमें एसडीएम रांझी की रिपोर्ट के हवाले से मस्जिद को वैध बताया गया था। पोस्ट में दावा किया गया कि मस्जिद का निर्माण 1985 में हुआ था और यह किसी मंदिर की भूमि पर नहीं बनी।

हिंदू संगठनों का आक्रोश: हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि कलेक्टर का यह पोस्ट न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला था। उनका कहना था कि जानबूझकर मस्जिद को वैध ठहराने की कोशिश की गई। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर मौके पर मंदिर नहीं था तो सरकारी रिकॉर्ड में उसका नाम और खसरा कैसे दर्ज हुआ?

आंदोलन की घोषणा: हिंदू संगठनों ने कलेक्टर को 24 घंटे के भीतर नहीं हटाए जाने पर जबलपुर बंद की घोषणा की। इसके बाद, 14 जुलाई को कलेक्टर का अर्थी जुलूस निकालने, 15 जुलाई को पुतला दहन और 16 जुलाई को जबलपुर बंद का आह्वान किया जाएगा। 

दोनों पक्षों के तर्क: मुस्लिम समुदाय और मस्जिद कमेटी का कहना है कि वे वर्षों से शांतिपूर्वक नमाज अदा कर रहे हैं। उनका आरोप है कि यह विवाद राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है। हिंदू संगठनों का कहना है कि यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक भूमि से जुड़ा मामला है।

 

अर्थी जुलूस, पुतला दहन और जबलपुर बंद की तैयारी

हिंदू संगठनों ने प्रेस वार्ता कर साफ कर दिया है कि यदि 24 घंटे के भीतर जबलपुर कलेक्टर को नहीं हटाया गया, तो वे जबलपुर बंद की ओर बढ़ेंगे। आंदोलन की रूपरेखा तय कर ली गई है जिसके अनुसार 14 जुलाई 2025 को मड़ई वीकल मार्ग स्थित सरस्वती स्कूल से बस स्टैंड तक कलेक्टर का अर्थी जुलूस निकालेंगे। इसके बाद 15 जुलाई 2025 को जबलपुर विभाग के सभी 41 प्रखंडों में कलेक्टर का पुतला दहन करेंगे।16 जुलाई 2025 को यदि प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो जबलपुर बंद किया जाएगा।

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दोनों पक्ष बता रहे खुद को सही

मस्जिद कमेटी और मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि वे वर्षों से यहां शांतिपूर्वक नमाज अदा कर रहे हैं और अचानक इस विवाद को हवा देना राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है। वहीं हिंदू संगठनों का तर्क है कि यह आस्था और ऐतिहासिक भूमि से जुड़ा मामला है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

इस पूरे विवाद के बीच जबलपुर प्रशासन पर दोतरफा दबाव है। एक ओर कानून व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती, दूसरी ओर अदालत में लंबित मामले का निष्पक्ष समाधान निकालने की जिम्मेदारी।

फिलहाल यह मामला केवल एक ज़मीन विवाद नहीं, बल्कि ज्वलंत मुद्दा बन चुका है। सबकी निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि न्यायालय, प्रशासन और दोनों पक्ष कैसे इस मामले को शांति और निष्पक्षता के साथ सुलझाते हैं।

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