राजधानी भोपाल में 3 दिसंबर 1984 के दिन की वो काली रात जिसने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। ये घटना आज भी उस वकील की नोटिस की याद दिलाता है जिसमें अगर यूनियन कार्बाइड कंपनी अधिवक्ता की बात मान लेती तो शायद ये घटना ना होती। जी हां भोपाल में हुई औद्योगिक गैस त्रासदी ( Industrial gas tragedy ) को लेकर पहले ही अंदेशा जताते हुए एक वकील ने इस घटना के लगभग 21 माह पहले यूनियन कार्बाइड कंपनी को एक नोटिस भेजा था। जिसमें लोगों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहे खतरे का हवाला देते हुए कंपनी से कीटनाशक संयंत्र में जहरीली गैसों का उत्पादन बंद के लिए कहा गया था।
कंपनी ने वकील के आरोपों को खारिज किया
बहरहाल, America की Union Carbide Company ने उनके आरोपों को खारिज कर दिया था। लेकिन उसकी यही लापरवाही 1984 में दो और तीन दिसंबर की दरमियानी रात को हुई भयानक गैस रिसाव त्रासदी के रूप में भयावह साबित हुई। इस संयंत्र से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट के रिसाव के कारण 10 हजार लोगों की जान चली गई थी। पांच लाख से अधिक लोग अपंग हो गए थे।
अधिवक्ता शाहनवाज खान ने दी थी नोटिस
Advocate Shahnawaz Khan ने 4 मार्च 1983 को यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) को एक नोटिस भेजा था। जिसमें आसपास रहने वाले 50 हजार लोगों के स्वास्थ्य पर खतरे का हवाला देते हुए जहरीली गैसों का उत्पादन बंद करने के लिए कहा गया था। लेकिन UCIL ने अपने सुरक्षा तंत्र को दुरुस्त करने के बजाय 29 अप्रैल 1983 को खान को दिए जवाब में उनकी चिंताओं और आरोपों को निराधार बताकर खारिज कर दिया था।
कंपनी ने अधिवक्ता को दिया ये जवाब
UCIL के भोपाल इकाई के कार्य प्रबंधक जे. मुकुंद ने जवाब के अंतिम पैरा में लिखा था। हम आपके चार मार्च 1983 के नोटिस में लगाए गए सभी आरोपों को एक बार फिर खारिज करते हैं। अगर आप हमारे खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करते हैं तो हम भी इसका उचित जवाब देंगे।
स्वतंत्रता सेनानी के बेटे हैं वकील शाहनवाज
भोपाल के निवासी वकील शाहनवाज स्वतंत्रता सेनानी खान शाकिर अली खान के भतीजे हैं। शाकिर अली खान यहां से चार बार विधायक रहे और शेर-ए-भोपाल के नाम से लोकप्रिय हुए। शाहनवाज ने बताया कि नोटिस का जवाब मिलने के बाद उन्होंने यूसीआईएल के खिलाफ मामला दर्ज कराने के लिए गैस रिसाव और उसके कारण हुई मौतों की घटनाओं पर पुलिस औरअन्य स्रोतों से दस्तावेज जुटाने शुरू कर दिए।
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