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पूरे देश में 25 जून, 1975 को आपातकाल लगा था, इसके 50 साल पूरे हो गए हैं। बीजेपी इस दिन को संविधान की हत्या और काले अध्याय के रूप में मना रही है। इस मौके पर मध्यप्रदेश के इंदौर में बीजेपी का बड़ा आयोजन हो रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने इस मामले में कई सवाल करते हुए एक पुराना पत्र भी जारी किया। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़ा किया। केके के सवालों का बीजेपी के सांसद सुधांश त्रिवेदी ने जवाब दिया है।
मिश्रा ने पीएम मोदी पर यह किया सवाल
मिश्रा ने पूछा कि आपातकाल के दौरान जब अटल बिहारी वाजपेयी सहित कई भाजपा नेता जेल में थे। उस समय नरेंद्र मोदी क्यों जेल नहीं गए? वे भूमिगत क्यों रहे? कहा जाता है कि मोदी जी ने फरारी के दौरान सिख बनकर सरदार भगत सिंह की पहचान वाली सिख कौम का भेष धारण किया था। क्या यह एक कौम की राष्ट्रभक्ति और बहादुरी का अपमान नहीं है?
बीजेपी सांसद त्रिवेदी ने दिया जवाब
इंदौर में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आपातकाल में एक लाख से अधिक लोग जेल गए थे। अटल, आडवाणी, अरूण जेटली, और रविशंकर प्रसाद भी जेल में थे। मोदी उस समय भेष बदलकर बड़े नेताओं की यात्रा करवा रहे थे। वे गुजरात से मुंबई या अन्य स्थानों पर नेताओं को पहुंचाते थे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को अपनी माताजी के अंतिम संस्कार में जाने की मंजूरी नहीं मिली। सभी ने उस दौर को सहा है। हम भारत को माता कहते हैं, जबकि वे "इंडिया इज इंदिरा" बोलते हैं।
यह भी बोले त्रिवेदी
त्रिवेदी ने कहा कि इंदिरा जी देश के लिए इमरजेंसी लेकर आई थीं, राहुल गांधी कांग्रेस के लिए इमरजेंसी लेकर आए हैं। राहुल जी का विश्वास डिग गया है वह अपने ही नेता शशि थरूर पर भी भरोसा नहीं करते हैं। उन्हें चुनाव आयोग पर, सेना पर किसी पर भरोसा नहीं है। भारत-पाक के वर्तमान में समय में पाकिस्तानी मीडिया या संसद में राहुल गांधी के बयान चर्चा में रहे। भारत के विपक्ष के नेताओं के, कांग्रेस के नेताओं के बयान हाईलाइट हो रहे थे।
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केके मिश्रा ने बीजेपी पर से यह पूछा
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि वे खुद कांग्रेस समर्थित छात्र नेता रहे हैं। वे MISA (पूर्व आपातकाल कानून) में निरुद्ध हुए थे और बाद में भी कांग्रेस में रहे। मिश्रा ने आरोप लगाया कि बीजेपी "आपातकाल की कथित विभीषिका" को लेकर "राजनैतिक स्वांग" कर रही है। उन्होंने कहा कि RSS प्रमुख मधुकर दत्तात्रेय देवरस ने आपातकाल का समर्थन किया था। 30 जून, 1975 को उन्होंने इसे "समयोचित-संतुलित" बताया था। 22 अगस्त, 1975 को उन्होंने इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर उनका अभिनंदन किया था। आपातकाल के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार ढाई साल में गिर गई।
पीएम मोदी ने खुद बताए अपने अनुभव
पीएम मोदी ने लिखा कि जब आपातकाल लगाया गया था, तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को फिर से पुष्ट किया। साथ ही, मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। हम आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं! ये पूरे भारत से, हर क्षेत्र से, अलग-अलग विचारधाराओं से आए लोग थे जिन्होंने एक ही उद्देश्य से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया। भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह उनका सामूहिक संघर्ष था जिसने यह सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा। नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें वे बुरी तरह हार गए।
मोदी का एक नाम और भी था प्रकाश
आपातकाल के दौरान मोदी ने सन्यासी का भी भेष बनाया था। उन्होंने उस दौरान जार्ज फर्नांडिस नेताओं को सुरक्षित घरों मे पहुंचाया था। वह प्रतिबंधित साहित्य का भी प्रचार-प्रसार करते थे। उस दौरान उनका एक छ्दम नाम भी था प्रकाश। आपातकाल के अनुभव के बाद उनका दृष्टिकोण काफी व्यापक हुआ और उनकी लोकप्रियता बढ़ी।
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