मध्य प्रदेश की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता को लेकर अभी कोई आधिकारिक निर्णय नहीं हुआ है। हालांकि, कांग्रेस ने यह मान लिया है कि सप्रे अब भाजपा की सदस्य बन चुकी हैं। अब खबर है कि 16 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस उन्हें अपने साथ नहीं बैठने देगी। साथ ही, 15 दिसंबर को होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस के खिलाफ सक्रिय रहीं सप्रे!
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान बीना में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में निर्मला सप्रे के भाजपा में शामिल होने की घोषणा की गई थी। इसके बाद उन्होंने सागर लोकसभा सीट से कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी चंद्रभूषण सिंह बुंदेला के खिलाफ काम किया। इस चुनाव में भाजपा को जीत हासिल हुई।
निर्मला सप्रे को बताया भाजपा विधायक, फिर पूछा- मैं सही कह रहा हूं न?
सत्र से पहले हो सकता है सदस्यता पर फैसला
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने दलबदल कानून के तहत निर्मला सप्रे की सदस्यता समाप्त करने के लिए आवेदन दिया है। तीन बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद सप्रे ने अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। वह भाजपा कार्यालय में आयोजित बैठकों में भी शामिल हो चुकी हैं। शीतकालीन सत्र से पहले उनकी सदस्यता पर फैसला लेने की संभावना जताई जा रही है।
जीतू पटवारी ने साधा भाजपा पर निशाना
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मामले पर भाजपा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं रखती और अब तक देशभर में लगभग 600 निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का दलबदल करा चुकी है। पटवारी ने कहा, "निर्मला सप्रे को लेकर हमें कोई भ्रम नहीं है। नेता प्रतिपक्ष के आवेदन पर निर्णय विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर को लेना है, लेकिन इसे जानबूझकर टाला जा रहा है। हमने विधिक परामर्श ले लिया है और जल्द ही कोर्ट में आवेदन करेंगे।
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