मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र का दूसरा दिन भी खासा हंगामेदार रहा। पक्ष-विपक्ष में नर्सिंग घोटाले को लेकर जमकर बहस होती रही। इसके बीच विधानसभा में सबकी नजरें कांग्रेसी खेमे में खाली दो सीटों पर थी। पहली पंक्ति में बैठकर विपक्ष पर सवाल दागने वाले वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत का आसन खाली था। वहीं पीछे की पंक्ति में बीना विधायक निर्मला सप्रे भी अपने आसन से गायब रहीं।
विधानसभा पहुंचने को लेकर असमंजस
लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा की सदस्यता लेकर कांग्रेस छोड़ दी थी। हालांकि, दोनों ने ही विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है। इस वजह से मानसून सत्र में विधानसभा में उनकी आसन व्यवस्था को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। सत्र के दूसरे दिन यानी मंगलवार को भी दोनों विधायक विधानसभा नहीं पहुंचे हैं। वे सत्र में विधानसभा पहुंचेंगे या नहीं अभी इसको लेकर भी असमंजस बना हुआ है।
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दोनों विधायकों की सदस्यता का लेकर लगाए जा रहे कयास
मानसून सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस छोड़ने वाले विधायक रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे के विधानसभा पहुंचने की उम्मीद थी। दल बदलने के बाद भी इस्तीफा न देने वाले दोनों विधायकों की सदस्यता का लेकर कयास लगाए जा रहे थे। कांग्रेस ने इसको लेकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी लिखा है। लेकिन अब तक इस पर निर्णय नहीं हुआ है। सत्र के पहले दिन यानी सोमवार को भी दोनों विधायक सदन से गायब रहे थे। वहीं मंगलवार को भी उनके विधानसभा पहुंचने की चर्चा थी लेकिन वे दूसरे दिन भी नहीं आए।
रावत भागवतकथा में रमे, सप्रे क्षेत्रीय कार्यक्रमों में व्यस्त
कांग्रेस से पल्ला झाड़ने वाले ये विधायक सदन में कहां बैठेंगे ये सवाल अभी भी बना हुआ है। सदस्यता से त्याग पत्र न देने वाले दोनों विधायकों के फिलहाल इस सत्र में विधानसभा पहुंचने की उम्मीद अब कम ही दिख रही है। विजयपुर विधायक रामनिवास रावत ने तो विधानसभा न जाने की ठोस वजह तलाश ली है। द सूत्र से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा उनके द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा 15 जुलाई तक चलेगी और इसी कारण उनका विधानसभा पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सत्र के दौरान विधायकी छोड़ेंगे तो उनका जवाब था जब समय आएगा इस्तीफा दे देंगे। नई व्यवस्था होने तक कांग्रेस पक्ष के साथ बैठने के सवाल पर उन्होंने कहा जब विधानसभा ही नहीं जा रहे तो बैठने का सवाल ही नहीं आता। वहीं बीना विधायक निर्मला सप्रे भी मानसून सत्र में विधानसभा नहीं पहुंचने का मन बना चुकी है।पहले विधायक सप्रे का मानसून सत्र में विधानसभा पहुंचना तय माना जा रहा था। लेकिन बीजेपी नेतृत्व से कोई इशारा न मिलने के चलते उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। वे भी क्षेत्रीय कार्यक्रमों की व्यस्तता को विधानसभा न पहुंच पाने की वजह बता रही हैं।
विरोध से बच रहे दोनों विधायक
अब तक विधायक रावत और सप्रे ने इस्तीफा नहीं दिया है, न ही कांग्रेस की मांग पर उनकी विधायकी शून्य हुई है। इस कारण विधानसभा में नई आसन व्यवस्था भी तय नहीं हो सकी। यदि दोनों मानसून सत्र में विधानसभा पहुंचते हैं तो उन्हें अपने पुराने आसन यानी कांग्रेस पक्ष के साथ ही बैठना होगा। कांग्रेस के विरोध और असहज स्थिति से बचने से दोनों विधायक टाल रहे हैं। चर्चा यह भी है कि दोनों ही बीजेपी से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे हैं और इशारा मिलते ही त्यागपत्र सौंपने ही विधानसभा जाएंगे।