कांग्रेस पार्षद अनवर डकैत की पार्षदी खत्म करने संभागायुक्त ने पुलिस आयुक्त और कलेक्टर से मांगी रिपोर्ट

इंदौर से कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी खत्म करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने 20 जून को संभागायुक्त दीपक सिंह को इसे लेकर पत्र लिखा था।

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Sanjay Gupta
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कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी की पार्षदी खत्म करने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा इस संबंध में 20 जून को संभागायुक्त दीपक सिंह को पत्र लिखा गया था। इस मामले में अब प्रक्रिया शुरू हो गई है। संभागायुक्त दीपक सिंह ने इस संबंध में कलेक्टर आशीष सिंह और पुलिस आयुक्त संतोष सिंह से प्रतिवेदन मांगा है।

सीएम बोले पकड़ो उसे, अभी तक फरार

सीएम डॉ. मोहन यादव ने इंदौर दौरे के दौरान 19 जून को कहा था कि डकैत हो या उसका बाप छोड़ेंगे नहीं। अधिकारियों को कहा है जहां भी जैसे हो...पकड़ो। बाद में पुलिस ने फरार कादरी पर 10 हजार का इनाम घोषित किया और हाल ही में कलेक्टर ने रासुका भी लगाई है। लेकिन अभी तक वह पुलिस की पकड़ से दूर है।

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यह रिपोर्ट मांगी है संभागायुक्त ने

संभागायुक्त सिंह ने पत्र में लिखा है कि- पार्षद पद से वार्ड 58 के पार्षद अनवर कादरी को हटाए जाने के लिए महापौर द्वारा पत्र लिखा गया है। कादरी के खिलाफ एफआईआर हुई है और महापौर द्वारा पद से हटाए जाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। इस संबंध में पार्षद मामले में सूक्ष्मता से जांच कराकर पूर्व के प्रकरण आदि की भी डिटेल देते हुए नगर पालिक एक्ट 1956 के तहत आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन/अभिमत शीघ्र भेजा जाए।

नियम के तहत पार्षदी खत्म करने का अधिकार

महापौर द्वारा जो पत्र लिखा गया था इसमें कादरी को देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया है। पार्षदी से हटाए जाने के मामले में नगर निगम एक्ट 1956 की धारा 19 के तहत संभागायुक्त को सीधे अधिकार है। लेकिन इसी धारा 19(2) के तहत उनके द्वारा पहले पार्षद कादरी को नोटिस जाएगा कि क्यों ना आपकी पार्षदी खत्म कर दी जाए। इस पर कादरी से जवाब लिया जाएगा। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर पार्षदी खत्म होगी। उल्लेखनीय है कि द सूत्र ने ही इस मामले में कादरी के सभी 19 अपराधों का रिकॉर्ड प्रकाशित किया था और बताया था कि उज्जैन में डकैती केस से उसका उपनाम डकैत हो गया था।

धारा 19 – पार्षदों को हटाने के लिए यह है नियम

(1) संभागीय आयुक्त किसी भी समय किसी निर्वाचित पार्षद को हटा सकता है, यदि:

  • (क) संभागीय आयुक्त की राय में पार्षद का बने रहना जनता या निगम के हित में वांछनीय नहीं है;

  • (क-1) यह पाया जाता है कि पार्षद उस आरक्षित श्रेणी से संबंधित नहीं है जिसके लिए सीट आरक्षित थी (म.प्र. अधिनियम संख्या 29, 2003 द्वारा जोड़ा गया); या (ख) निगम, कुल पार्षदों की कम से कम दो-तिहाई संख्या द्वारा समर्थित प्रस्ताव द्वारा, कर्तव्य में कदाचार या अपमानजनक आचरण के आधार पर हटाने की सिफारिश करता है।
    (2) संभागीय आयुक्त हटाने के आदेश में यह भी निर्दिष्ट कर सकता है कि पार्षद किसी भी निगम में पांच वर्ष तक सेवा करने के लिए पात्र नहीं होगा। हालांकि, कोई भी निष्कासन आदेश या संकल्प तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि पार्षद को यह बताने का उचित अवसर न दिया जाए कि उन्हें हटाने की सिफारिश क्यों न की जाए।

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कादरी राज्य सरकार को कर सकेंगे अपील

नियम 19 की धारा 3 में इस आदेश के खिलाफ अपील के भी प्रावधान हैं। इसके तहत उपधारा (1) या (2) या धारा 18 के तहत पारित कोई भी आदेश, आदेश दिए जाने की तारीख से 30 दिनों के भीतर राज्य सरकार के समक्ष अपील योग्य है।

महापौर ने क्या लिखा है पत्र में

महापौर भार्गव ने पार्षद भारत रघुवंशी के पत्र का हवाला दिया है। महापौर ने पत्र में लिखा है कि रघुवंशी जो पार्षद व अपील समिति सदस्य हैं, उन्होंने कादरी के संबंध में एफआईआर व अपराध संबंधी अन्य दस्तावेज भेजे हैं। इससे साफ दिखता है कि कादरी देशद्रोही और आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। वार्ड 58 के पार्षद कादरी द्वारा लव जिहाद को बढ़ावा देने के लिए संप्रदाय विशेष के युवकों को फंडिंग भी दी गई। वह अभी फरार है और पुलिस ने दस हजार का ईनाम घोषित किया है। ऐसे में उन्हें मप्र नगर पालिक एक्ट 1956 के तहत पार्षद पद से हटाया जाए।

कांग्रेस कादरी के बचाव में उतरी

उधर 19 अपराधों से लबरेज कादरी को बचाने में कांग्रेस जुटी है। निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने इसे बीजेपी की साजिश बताया। वहीं प्रवक्ता प्रमोद दिवेदी ने कहा कि अभी कादरी को कोर्ट ने सजा नहीं दी है, ऐसे में महापौर जो खुद कानून के जानकार हैं, वह इस तरह से पत्र लिखकर मांग कैसे कर सकते हैं। इसके साथ ही बीजेपी के पार्षद एमआईसी मेंबर रहते हुए जीतू जाटव उर्फ यादव के कांड पर भी कांग्रेस बोल रही है कि उन्हें फिर क्यों इस तरह हटाने के लिए पत्र नहीं लिखा गया, जबकि खुद बीजेपी ने उन्हें पार्टी से बाहर किया था।

कादरी के घर पर अभी बुलडोजर नहीं

उधर कादरी के घर के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने पर फिलहाल रोक लग गई है। इस मामले में निगम ने नोटिस दिया था लेकिन इस नोटिस पर कादरी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका लगी और इस पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन वाले बिंदु पर स्टे हो गया।

सीएम बोल चुके डकैत हो या उसका बाप, नहीं बचेगा

सीएम डॉ. मोहन यादव इस मामले में दो दिन पहले ही साफ बोल चुके हैं कि मप्र में कानून की सरकार है बीजेपी की सरकार है, डकैत हो या डकैत का बाप हो कोई नहीं बचेगा। अधिकारियों को कह दिया गया है जहां मिले उसे पकड़ो, जो मर्जी आए करो, लेकिन कानून किसी को तोड़ने नहीं देंगे। वहीं मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी सख्त कार्रवाई की बात कह चुके हैं और यह भी कि कहा था कि कादरी के सिमी से भी संबंध है। बीजेपी नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा ने सबसे पहले इसमें कादरी के खिलाफ मोर्चा खोला था और कहा था कि कादरी को पार्षद रहने का अधिकार नहीं है और इसके लिए संभागायुक्त, कलेक्टर, पुलिस आयुक्त सभी को पत्र लिखा था।

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