Vidisha Lok Sabha Seat
संजय शर्मा, BHOPAL. लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) में बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक होता जा रहा है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह विदिशा सीट से 5 बार सांसद रह चुके हैं। वे साल 1991 में पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेई के सीट छोड़ने के बाद सांसद बने थे। तब उन्होंने प्रतापभानु शर्मा ( Pratapbhanu Sharma ) को पराजित किया था। कई साल बाद इस बार फिर शिवराज के मुकाबले में प्रतापभानु शर्मा को कांग्रेस ने टिकट दिया है। शिवराज के सामने प्रतापभानु शर्मा की उम्मीदवारी से मुकाबला रोचक होने की चर्चा लोकसभा क्षेत्र में चल ही रही थी।
कांग्रेस कार्यकर्ता फिर एक्टिव
बीजेपी के अबकी बार 400 पार के नारे के बीच कुछ दिन पहले तक पस्त दिख रही कांग्रेस की नब्ज अब जीवंत-सी दिखने लगी है। राजगढ़ से दिग्विजय सिंह और गुना से अरुण यादव के अलावा रतलाम से पूर्व में सांसद रहे कांतिलाल भूरिया को टिकट देने के बाद इन बड़े नेताओं के नाम से घर बैठा कांग्रेस कार्यकर्ता फिर सक्रिय हो गया है। कांग्रेस इन धाकड़ नेताओं की जमावट, गहरी राजनीतिक समझ और कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्कों के सहारे प्रदेश के धरातल से शून्य होने से बचने की कोशिश कर रही है।
1991 में शर्मा से छीन ली थी शिवराज ने ये सीट
गुना और राजगढ़ लोकसभा क्षेत्रों के सीमा से सटे विदिशा संसदीय क्षेत्र का मुकाबला भी पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा के मैदान में आने से दिलचस्प होने का अनुमान है। साल 1990 में पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेई लखनऊ के साथ ही विदिशा से भी लोकसभा चुनाव लड़े थे। दोनों ही जगह जीत दर्ज कराने के बाद उन्होंने 1991 में विदिशा से इस्तीफा दे दिया था। तब खाली हुई सीट शिवराज सिंह चौहान को उपहार के रूप में मिली थी और वे प्रतापभानु शर्मा को पराजित कर पहली बार लोकसभा में पहुंचे थे। इसके बाद शिवराज 5 बार लगातार विदिशा के सांसद निर्वाचित होते रहे। साल 2004 में सीएम बनने के बाद विधानसभा चुनाव लड़ने उन्होंने सांसद पद छोड़ दिया था। बाद में यहां से सुषमा स्वराज और 2018 में वर्तमान सांसद रमाकांत भार्गव सांसद चुने गए थे।
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क्या शिवराज की एकतरफा जीत रोक पाएंगे प्रतापभानु
विदिशा सांसद रहते हुए लगातार संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रहने के चलते शिवराज सिंह चौहान का नाम पांव-पांव वाले भैया पड़ गया था। सीएम बनने के बाद भी वे विदिशा अंचल में लगातार कार्यकर्ताओं से जुड़े रहे। अब करीब 20 साल बाद एक बार फिर शिवराज इस अंचल में जनता से वोट हासिल करने सक्रिय हो गए हैं। हालांकि लम्बे समय तक दूर होने से अब वे पुराने बीजेपी कार्यकर्ताओं से कैसे सामंजस्य बनाएंगे, ये उनकी चुनौती होगी। वहीं 1980 और 1985 में 2 बार सांसद रह चुके कांग्रेस नेता प्रतापभानु शर्मा भी फिर सक्रिय दिख रहे हैं। अपने निर्विवादित कार्यकाल और मिलनसार-खुशमिजाज व्यक्तित्व के चलते वे लगातार कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि स्थानीय लोगों से भी जुड़े हैं। शर्मा को टिकट मिलने से स्थानीय कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं में जोश दिख रहा है। भले ही शिवराज से सामने शर्मा की लोकप्रियता उतनी ज्यादा नहीं है, लेकिन संसदीय क्षेत्र में सबसे चर्चित चेहरा होने से कांग्रेस ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है।
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