मध्य प्रदेश में साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं के चलते, पुलिस विभाग पहली बार साइबर कंसल्टेंट्स ( Cyber Consultants ) की भर्ती करने जा रहा है। पहले चरण में 26 साइबर कंसल्टेंट्स की नियुक्ति की जाएगी, जो कंप्यूटर साइंस या आईटी में स्नातक या पीजी डिग्री धारक होंगे।
डिजिटल एक्सपर्ट्स की भूमिका
साइबर ठगों ने इस वर्ष जुलाई तक लगभग 300 करोड़ रुपए ठगे हैं, जिसमें से केवल 12 प्रतिशत राशि ही रिकवर हो सकी है। इसके अलावा अगले वर्ष राज्य में नौ साइबर कमांडो भी तैनात किए जाएंगे, जिन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय ( Union Home Ministry ) से छह महीने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये कमांडो डिजिटल अरेस्ट जैसी चुनौतियों से निपटने में मदद करेंगे।
कंसल्टेंट्स के कार्य और जिम्मेदारियां
- सरकारी और निजी संगठनों के सॉफ़्टवेयर की हैकिंग को पकड़ना और उसे सुधारना।
- ठगी की घटनाओं का विश्लेषण और रोकथाम के उपाय सुझाना।
- जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद आदि ठगी नेटवर्क्स से निपटने की रणनीतियां बनाना।
- साइबर फोरेंसिक लैब में परीक्षण करना और पुलिसकर्मियों को साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण देना।
- साइबर अपराध से जुड़ी नीतियों में तकनीकी सहयोग प्रदान करना।
भर्ती प्रक्रिया और प्रशिक्षण
इस वर्ष के अंत तक कंसल्टेंट्स की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। साइबर कंसल्टेंट्स के पास साइबर सुरक्षा के नए-नए अपराधों से निपटने की विशेषज्ञता होगी, जिससे साइबर अपराधों ( cyber crimes ) पर नियंत्रण लगाने में सहायता मिलेगी। मौजूदा पुलिसकर्मियों को भी साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे जिलों और साइबर थानों में अपनी भूमिका निभा सकें।
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