संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर की वार्ड 44 की पार्षद निशा देवलिया (Councilor Nisha Devalia) का निर्वाचन जीरो घोषित होने संबंधी औपचारिक आदेश जारी हो गया है। दो फरवरी को ही जिला न्यायाधीश मुकेश नाथ की कोर्ट ने कांग्रेस प्रत्याशी रही नंदनी पिंटू मिश्रा की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया था। देवलिया का निर्वाचन शून्य घोषित करने के साथ ही याचिकाकर्ता नंदनी मिश्रा को विजयी घोषित किया गया है। वहीं देवलिया के लिए सख्त टिप्पणी करते हुए जिला कोर्ट ने कहा कि- पार्षद अपने वार्ड में नागरिकों के लिए आदर्श होता है, निगम राजस्व के लिए संपत्ति कर अहम होता है, पार्षद को देखते हुए अन्य नागरिक टैक्स भरते हैं, लेकिन निशा देवलिया खुद पार्षद है और उन्हें सभी नियम पता है, उनके पति भी पार्षद रहे हैं। इसके बाद भी उन्होंने भारी मात्रा में संपत्ति कर की चोरी की है। इसलिए मप्र नगर पालिक एक्ट धारा 441 के विविध प्रावधानों के तहत निर्वाचन शून्य घोषित किया जाता है।
दो मकानों की संपत्ति कर में चोरी, कचरा शुल्क भी नहीं दिया
मिश्रा ने अपनी याचिका में आरोप लगाए थे कि देवलिया ने शपथ पत्र में पूरी जानकारी नहीं दी है। देवलिया दंपती की पांच संपत्तियों की कर चोरी की बात याचिका में थी हालांकि कोर्ट ने दो संपत्ति जो निशा के नाम पर थी उसी पर विचार किया। एक संपत्ति छोटी खजरानी की है जिसे निगम के रिकार्ड में 200 वर्गफीट का टिन शेड बताया गया है, जो निशा ने 2019 में क्रय किया, लेकिन वास्तव में यह 1600 वर्गफीट है। इसका अभी तक देवलिया ने नामांतरण भी निगम में नहीं कराया और संपत्ति कर भी में चोरी की है। याचिका में यह भी था कि कचरा शुल्क नहीं दिया जा रहा है और बिजली विभाग से आवासीय बताकर कनेक्शन लिया, लेकिन है व्यावसायिक उपयोग, हालांकि कोर्ट ने इन दोनों बिंदु पर कुछ नहीं कहा। इसके साथ अन्य संपत्ति जगजीवनराम नगर की 431 ए की है। यहां भी 600 वर्गफीट का बताकर संपत्ति कर दिया जा रहा, जबकि यह 800 वर्गफीट का है।
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याचिका में पति की तीन संपत्तियों में चोरी के आरोप
इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने पति रूपेश देवलिया के नाम की तीन संपत्तियों में भी इस तरह कम निर्माण बताकर संपत्ति कर चोरी की बात कही है, लेकिन मामला सीधे निशा देवलिया से नहीं होने से इस पर विचार कोर्ट ने विचार नहीं किया।
कोर्ट के सामने पेश की गई रजिस्ट्री
कोर्ट के सामने इस मकान की रजिस्ट्री भी पेश की गई। यह मकान भी अभी नहीं बल्कि 25 साल पुराना है। इस तरह उन्होंने संपत्तिकर में भी गलत जानकारी देकर टैक्स चोरी की है और नगर निगम के साथ धोखाधड़ी कर रही हैं।