लौकी की सवारी से नदी पार ! भिण्ड के लोगों ने देसी जुगाड़ से बाढ़ को दी मात

भिंड जिले में भारी बरसात के बाद सिंध, कुंवारी, और बेसली नदियां उफान पर हैं। कछपुरा और इसके आसपास के कई गांवों का मुख्य मार्ग पानी में डूब गया है। ऐसे में गांव वालों ने खेतों तक पहुंचने के लिए लौकी का सहारा लिया है।

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Sandeep Kumar
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 Bhind. जरा सोचिए, अगर आपके पास नाव नहीं हो, लेकिन आपको एक उफनती नदी पार करनी हो तो क्या करेंगे? हो सकता है आप पानी में न उतरें। लेकिन मध्यप्रदेश के भिंड जिले के कुछ जुगाड़ू ग्रामीणों ने ऐसा तरीका ढूंढा, जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। ये लोग लौकी के सहारे नदी पार करके बाढ़ को मात दे रहे हैं। हां, वही हरी-भरी लौकी... जिसे आमतौर पर हम सब्जी के रूप में खाते हैं। 

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लौकी का जुगाड़: डूबने नहीं देगी !

दरअसल, भिंड जिले में भारी बरसात के बाद सिंध, कुंवारी, और बेसली नदियां उफान पर हैं। कछपुरा और इसके आसपास के कई गांवों का मुख्य मार्ग पानी में डूब गया है। ऐसे में गांव वालों ने खेतों तक पहुंचने के लिए लौकी का सहारा लिया है। लौकी को पीठ पर बांधकर नदी पार करना भले ही रिस्की हो, लेकिन गांव वाले इसे मजे-मजे में कर रहे हैं। उनका कहना है कि लौकी हल्की होती है और तैरती रहती है, तो डूबने का खतरा कम है। हर दिन खेतों तक आने-जाने के लिए उन्होंने ये अनोखा तरीका निकाला है।

डैम से छोड़ा गया पानी और बाढ़ की मार

ऊमरी थाना प्रभारी छत्रपाल सिंह तोमर ने बताया कि सिंध और बेसली नदियों के किनारे बसे श्यामपुरा और मचलपुरा गांवों में कुछ लोग बाढ़ में फंस गए थे, लेकिन SDRF और ग्रामीणों की मदद से उन्हें सुरक्षित निकाल लिया गया। इन गांवों के लोग भी किसी सुपरहीरो से कम नहीं लगते, जो किसी भी हालात में हार नहीं मानते।

एमपी से यूपी का रास्ता बंद

भिंड जिले के ऊमरी थाना क्षेत्र से उत्तर प्रदेश की ओर जाने वाला मुख्य मार्ग भी कुंवारी नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण बंद हो गया है। सुरक्षा के लिए यूपी और एमपी पुलिस दोनों ओर पहरा दे रही है। पांडरी बाबा का सुप्रसिद्ध मंदिर भी अब बाढ़ के पानी में डूब चुका है, जिससे श्रद्धालुओं की आवाजाही पर रोक लग गई है। भक्तों को अब मंदिर के दर्शनों के लिए पानी कम होने का इंतजार करना पड़ेगा।

लौकी-क्रूज एडवेंचर की तरह

गांव वालों के लिए यह लौकी-क्रूज एडवेंचर तो है ही, लेकिन रोजमर्रा की जरूरत भी है। यह दिखाता है कि मुश्किलें चाहे जितनी बड़ी हों, हमारे जुगाड़ू दिमाग के सामने कुछ भी नहीं टिकता। जब तक पानी कम नहीं होता, लौकी से नदी पार करने की यह अनोखी यात्रा जारी रहेगी। इस मामले में गांव वालों का कहना है कि हमें तो रोज खेतों में आना-जाना होता है, इसलिए नदी पार करने के लिए लौकी की जुगाड़ बनाई है। हालांकि ये तरीके जोखिम भरा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि आमजन को ऐसे नहीं करना चाहिए। यदि आपको तैरना नहीं आता है तो इस तरह के जुगाड़ जान पर भारी पड़ सकते हैं।

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