BHOPAL. इंदौर के राऊ में डॉक्टर दंपति से साइबर बदमाशों से लाखों रुपए ठग लिए। डॉक्टर दंपति ने शिकायत में बताया कि सीबीआई मुंबई स्काइप आईडी से उन्हें वीडियो कॉल आई और ठगों ने उनसे 53 घंटे तक बात की और डिजिटल हाउस अरेस्ट में रखा। डॉक्टर दंपति ने बताया कि उनसे साइबर ठगों ( Cyber fraud ) ने 8 लाख 50 हजार का ट्रांजैक्शन करवाकर ठगी को अंजाम दिया।
कैसे हुई साइबर ठगी
आपके कूरियर पार्सल में एमडीएम ड्रग्स है
इंदौर क्राइम ब्रांच में डिजिटल हाउस अरेस्टिंग से ठगी का एक अनोखा मामला सामने आया है। राऊ इलाके में रहने वाले एक डॉक्टर दंपति को मुंबई के नंबर से कॉल आया। कॉल पर डाक्टर दंपति को बताया कि थाईलैंड में फाइनेंस इंटरनेशनल कूरियर सर्विस से जो पार्सल आपने भेजा था, उसमें एमडीएम ड्रग्स मौजूद है और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मिले हैं, जिसमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग, छोटे बच्चों के ऑर्गन तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में आपको फंसाया जा रहा है। इसलिए आपको सीबीआई मुंबई ऑफिस आना होगा। इसपर दंपति के मुंबई जाने से मना करने पर उन्हें बताया गया कि वीडियो कॉल पर उनके बयान दर्ज किए जाएंगे। ठगों ने कहा कि सीबीआई मुंबई से आपके पास वीडियो कॉल आएगा।
RBI इन्वेस्टिगेशन के नाम पर भी वीडियो कॉल आया
डॉक्टर दंपति को स्काइप आईडी से एक वीडियो कॉल आया जहां वर्दी में मौजूद एक CBI ऑफिसर और अन्य ऑफिसर वीडियो कॉल पर दिख रहे थे। उनके द्वारा 53 घंटे तक डिजिटल हाउस अरेस्ट रखकर डॉक्टर दंपति को अलग-अलग गंभीर धाराओं में फंसाने का डर बताया। वहीं कई तरह के टैक्स और चार्ज के नाम पर पैसों की मांग की गई। साइबर ठग यही नहीं रुके, बल्कि आरबीआई से भी इन्वेस्टिगेशन के नाम पर एक अलग से वीडियो कॉल आया। इससे घबराए डॉक्टर दंपति ने 8 लाख 50 हजार रुपए साइबर ठगों के खातों में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद साइबर ठगों द्वारा डॉक्टर दंपति से और पैसों की मांग की गई थी। डॉक्टर दंपति ने जब अपने मित्रों से जानकारी ली तो पता चला उन्हें ठगी का शिकार बनाया जा रहा है। इसके बाद उन्होंने पुलिस को पूरी घटना की जानकारी दी।
ऐसे होता है डिजिटल अरेस्ट का फ्रॉड
डिजिटल अरेस्ट कोई शब्द नहीं है, यह एक फ्रॉड करने का तरीका है, जो साइबर ठग अपनाते हैं। इसका सीधा मतलब होता है ब्लैकमेलिंग, जिसके जरिए ठग अपने टारगेट को ब्लैकमेल करता है। डिजिटल अरेस्ट में वीडियो कॉलिंग के जरिए घर में बंधक बना लेता है। वह आप पर हर वक्त नजर रख रहा होता है। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में ठग कोई सरकारी एजेंसी के अफसर या पुलिस अफसर बनकर आपको वीडियो कॉल करते हैं। इसके बाद ठग आपको कहते हैं कि आपका आधार कार्ड सिम कार्ड या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी गतिविधि के लिए हुआ। वह आपको फर्जी गिरफ्तारी का डर दिखाकर घर में ही कैद कर देते हैं। इसके बाद वह झूठे आरोप लगाते हैं और जमानत की बातें कह कर पैसे ऐंठ लेते हैं। अपराधी इस दौरान आपको वीडियो कॉल से हटने भी नहीं देते हैं और ना ही किसी को कॉल करने देते हैं। डिजिटल अरेस्ट के इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।
साइबर ठगों को ट्रेस करना बहुत कठिन
कई किलोमीटर दूर बैठकर भी साइबर ठग आपको अपना शिकार बना लेते हैं। स्काइप आईडी, वीचैट और उन वीडियो कॉलिंग से आपसे संपर्क करते हैं ऐसे में पुलिस को 3 से 6 महीने तो आरोपियों का डाटा, यूआरएल जानकारी लेने के लिए समय लग जाता है। अधिकतर एप्लीकेशन्स के सर्वर विदेश में हैं, जहां से जानकारी जुटाने में पुलिस को कड़ी मशक्कत करना पड़ती है और कई महीनों तक जानकारी नहीं मिल पाती।