बड़ी साइबर ठगी का खुलासा, 2000 करोड़ की धोखाधड़ी की आशंका, 23 गिरफ्तार

मध्य प्रदेश में साइबर ठगी के बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जिसमें 2000 करोड़ रुपए तक की धोखाधड़ी की आशंका है। साइबर पुलिस और एटीएस ने 23 आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

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Sourabh Bhatnagar
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मध्य प्रदेश में एक बड़े साइबर ठगी के नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जिसमें करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की आशंका जताई जा रही है। साइबर पुलिस और मध्य प्रदेश एटीएस के अधिकारियों ने अब तक इस नेटवर्क से जुड़े 23 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है। इन आरोपियों का नेटवर्क न केवल भारत के विभिन्न राज्यों तक फैला हुआ है, बल्कि दुबई जैसे विदेशी देशों में भी इसका असर देखने को मिला है। जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि इन ठगों ने म्यूल अकाउंट्स, हवाला और क्रिप्टो करेंसी का उपयोग करके ठगी की राशि को इधर-उधर किया। इसके साथ ही टेरर फंडिंग के मामले में भी इनकी संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है।

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साइबर ठगी के आरोपी गिरफ्तार

मध्य प्रदेश पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने खुफिया जानकारी के आधार पर सात जनवरी को सतना और जबलपुर जिलों में 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद, एटीएस ने गुरुग्राम स्थित एक फ्लैट में छापेमारी करके छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया। इस दौरान, एक संदिग्ध की मौत हो गई जब वह होटल की दूसरी मंजिल से कूद कर भागने की कोशिश कर रहा था। गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ में यह बात सामने आई कि उन्होंने सरकारी योजनाओं का फायदा दिलाने के नाम पर गरीब लोगों के बैंक खाते खुलवाए थे, ताकि इन खातों के जरिए ठगी की राशि को ट्रांसफर किया जा सके।

मास्टरमाइंड का पता चला

पुलिस जांच में यह सामने आया कि ठगी के इस नेटवर्क के मास्टरमाइंड सतना के निवासी मोहम्मद मासूक और साजिद खान थे। इन दोनों आरोपितों को क्रमशः गुरुग्राम और सतना से गिरफ्तार किया गया था। इन आरोपितों का मुख्य तरीका था, गरीब लोगों को लुभाकर उनके बैंक खाते खुलवाना और फिर इन खातों का इस्तेमाल ऑनलाइन गेमिंग, म्यूल अकाउंट्स, और अन्य धोखाधड़ी के लिए करना। इनसे जब्त किए गए लैपटॉप, मोबाइल फोन, क्यूआर कोड, सिम कार्ड और बैंक खाते की जांच की जा रही है।

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टेरर फंडिंग की आशंका

जांच में यह भी सामने आया कि आरोपितों ने म्यूल अकाउंट्स के जरिए धोखाधड़ी की राशि को दुबई और अन्य देशों में भेजा। म्यूल अकाउंट्स का इस्तेमाल करके अपराधी गुमराह किए गए व्यक्तियों के खाते से पैसे ट्रांसफर करते हैं, जिससे इन अपराधों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। इस कारण, पुलिस को इन ठगों के टेरर फंडिंग में संलिप्तता की संभावना पर भी गंभीरता से जांच करनी पड़ रही है। एनआईए और एटीएस मिलकर मामले की जांच कर रहे हैं।

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साइबर ठगी की बढ़ती घटनाओं पर पुलिस की निगरानी

पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अब इस साइबर ठगी के नेटवर्क के अन्य सदस्यों और उनके सहयोगियों को पकड़ने के लिए लगातार कार्रवाई कर रही हैं। गुरुग्राम से बरामद किए गए लैपटॉप, टैबलेट, डेबिट कार्ड, क्यूआर कोड और सिम कार्ड से भी महत्वपूर्ण डिजिटल सबूत मिले हैं, जिनकी जांच जारी है। पुलिस इस नेटवर्क की पूरी तह तक जाने के लिए काम कर रही है, ताकि इस अपराध को और अधिक विस्तार से उजागर किया जा सके।

FAQ

साइबर ठगी के इस नेटवर्क में कितने आरोपित गिरफ्तार हुए हैं?
अब तक 23 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है और अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है।
क्या इस ठगी में म्यूल अकाउंट्स का इस्तेमाल किया गया था?
हां, इस ठगी में म्यूल अकाउंट्स का उपयोग करके धोखाधड़ी की राशि को ट्रांसफर किया गया था।
क्या ठगी की गई राशि का इस्तेमाल टेरर फंडिंग में हुआ है?
जांच में टेरर फंडिंग की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि राशि को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भेजा गया था।
गुरुग्राम में छापेमारी के दौरान क्या मिला था?
छापेमारी के दौरान 14 लैपटॉप, 85 डेबिट कार्ड, 5 क्यूआर कोड और बड़ी संख्या में सिम कार्ड बरामद हुए थे।
इस साइबर ठगी के नेटवर्क में सबसे बड़े मास्टरमाइंड कौन थे?
इस ठगी के मास्टरमाइंड मोहम्मद मासूक और साजिद खान थे, जो क्रमशः सतना और गुरुग्राम से गिरफ्तार हुए थे।

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