इंदौर में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार कुलगुरूओं से बोले- यूनिवर्सिटी के खाली पदों पर भर्ती नहीं करेंगे, तो PSC से करवा देंगे

इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में खाली पड़े पदों को लेकर द सूत्र ने कुछ दिन पहले ही खबर प्रकाशित की थी। उसमें हमने बताया था कि भले ही नैक ने DAVV को A+ ग्रेड दे दी हो, लेकिन इसके सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट का हालत खस्ता है।

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Vishwanath Singh
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Sourabh440
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के क्रियान्वयन को लेकर मध्यप्रदेश सरकार तेजी से कदम उठा रही है। इसी दिशा में शनिवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में “इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन” का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक पदों की भारी कमी को देखते हुए सरकार शीघ्र भर्तियां करने जा रही है। यदि विश्वविद्यालय स्तर पर नियुक्तियां समय पर नहीं हुईं, तो यह प्रक्रिया मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के माध्यम से कराई जाएगी। गौरतलब है कि इसको लेकर पिछले दिनों द सूत्र ने खबर प्रकाशित कर खाली पड़े पदों का मामला उजागर किया था।

द सूत्र ने खाली पड़े पदों पर यह खबर दी थी

इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में खाली पड़े पदों को लेकर द सूत्र ने कुछ दिन पहले ही खबर प्रकाशित की थीउसमें हमने बताया था कि भले ही नैक ने DAVV को A+ ग्रेड दे दी हो, लेकिन इसके सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट का हालत खस्ता है। स्कूल ऑफ लैग्वेजेस, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज और स्कूल ऑफ कॉमर्स में पढ़ने वाले लगभग ढ़ाई हजार बच्चों का भविष्य विजिटिंग फैकल्टी के भरोसे छोड़ रखा है। इसमें से भी स्कूल ऑफ सोशल साइंस की हालत तो और भी खराब है।
यहां पर तो सौ फीसदी विजिटिंग फैकल्टी हैं और एचओडी भी किसी अन्य विभाग के प्रोफेसर को बना दिया गया है। वहीं, जिम्मेदारों का कहना है कि सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट में रिक्त पदों की स्वीकृति के लिए वे शासन से लंबे समय से पत्राचार कर रहे हैं। साथ ही प्रस्ताव बनाकर भी भेज रखा है, लेकिन अभी तक पद स्वीकृत नहीं हुए हैं।

शासन को भेज रखा है पद स्वीकृति के लिए प्रस्ताव

डीएवीवी का कहना है कि स्कूल ऑफ लैंग्वेज में पिछले साल एक फैकल्टी की नियुक्ति की जा चुकी है। इसके अलावा एक एचओडी भी हैं, जो कि रेग्यूलर हैं। ये जो सेल्फ फाइनेंस के डिपार्टमेंट हैं इनमें पद शासन से स्वीकृत होते हैं। कई विभागों में पद स्वीकृत हैं, लेकिन कई विभागों में पद स्वीकृत ही नहीं हैं। जैसे स्कूल ऑफ सोशल सांइस में पद स्वीकृति को लेकर प्रस्ताव भेजा हुआ है, लेकिन अभी तक मंजूरी ही नहीं मिली है।
इनके अलावा भी कई अन्य सेल्फ फाइनेंस के विभागों में पद स्वीकृति के लिए प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा हुआ है। इसको लेकर शासन से पत्राचार भी पिछले कई वर्ष से चल रहा है। स्कूल ऑफ कॉमर्स में तो हमारे पास सुगनीदेवी कॉलेज से चार रेग्यूलर फैकल्टी आ गई है। स्कूल ऑफ सोशल साइंस में जरूर परेशानी है। क्याेंकि वहां पर एचओडी कपिल शर्मा ही देख रहे हैं, बाकी का काम विजिटिंग या फिर गेस्ट फैकल्टी से लिया जा रहा है। 

शनिवार को इस कार्यक्रम में बोले मंत्री

विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा संचालित बॅचलर ऑफ डिजाइन (B.Des) पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके साथ ही पूर्व विद्यार्थियों द्वारा स्थापित अत्याधुनिक प्रयोगशाला का भी उद्घाटन हुआ। मंत्री परमार ने कहा कि अगले कुछ वर्षों में डिजाइन संस्थान में फैशन टेक्नोलॉजी, डेयरी टेक्नोलॉजी और आर्किटेक्चर जैसे कोर्स भी शुरू किए जाएंगे।

 

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कार्यक्रम को संबोधित करते मंत्री

 

भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश

मंत्री ने साफ कहा कि NEP के तहत नए विषयों को पढ़ाने के लिए विश्वविद्यालयों में विशेषज्ञों की जरूरत है। इसीलिए सभी विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर भर्तियां तेज करने के निर्देश दिए गए हैं। इस साल ही दो हजार शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। मंत्री ने कहा, “कई जिलों में नए कॉलेज खुलने से शिक्षकों की और भी जरूरत है। सरकार गंभीर है और नियमित रूप से नई नियुक्तियों की प्रक्रिया जारी रखेगी।”

भारतीय ज्ञान, परंपरा और विज्ञान होगा सिलेबस का हिस्सा

मंत्री परमार ने यह भी बताया कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप स्नातक प्रथम वर्ष का नया सिलेबस तैयार किया जा रहा है, जिसमें भारतीय ज्ञान, परंपरा, इतिहास और विज्ञान को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा। विद्यार्थियों को भारत के महान व्यक्तित्वों और सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराने की योजना है। उन्होंने कहा, “दुनिया के कई देश अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करते हैं, अब हमें भी शिक्षा के माध्यम से भारत के गौरव का गान करना होगा।”

शोध को लेकर भी बड़ी पहल

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राकेश सिंघई ने बताया कि विश्वविद्यालय को नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (ANRF) की ओर से 23 करोड़ रुपए का अनुसंधान अनुदान प्राप्त हुआ है। यह राशि 30 विभिन्न प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई है, जो IIT जैसे संस्थानों के सहयोग से पूरे किए जाएंगे। इसके अलावा, विश्वविद्यालय की एक शिक्षिका को कैंसर उपचार से संबंधित शोध के लिए 57 लाख रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है।

मौजूद रहे कई गणमान्य

इस अवसर पर विधायक मधु वर्मा, कुलपति डॉ. राकेश सिंघई सहित कार्यपरिषद के सदस्य, फैकल्टी, छात्र और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम में विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं ने भी नवाचार से संबंधित प्रोजेक्ट प्रदर्शित किए।

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