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Photograph: (the sootr)
INDORE. इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को भले ही नैक ने A+ ग्रेड दे दी हो, लेकिन इसके सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट का हालत खस्ता है। स्कूल ऑफ लैग्वेजेस, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज और स्कूल ऑफ कॉमर्स में पढ़ने वाले लगभग ढ़ाई हजार बच्चों का भविष्य विजिटिंग फैकल्टी के भरोसे छोड़ रखा है। इसमें से भी स्कूल ऑफ सोशल साइंस की हालत तो और भी खराब है। यहां पर तो सौ फीसदी विजिटिंग फैकल्टी हैं और एचओडी भी किसी अन्य विभाग के प्रोफेसर को बना दिया गया है। वहीं, जिम्मेदारों का कहना है कि सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट में रिक्त पदों की स्वीकृति के लिए वे शासन से लंबे समय से पत्राचार कर रहे हैं। साथ ही प्रस्ताव बनाकर भी भेज रखा है, लेकिन अभी तक पद स्वीकृत नहीं हुए हैं।
इंदौर एजुकेशन हब, लेकिन छात्र गेस्ट फैकल्टी के भरोसे
इंदौर जिसे मध्य प्रदेश का एजुकेशन हब माना जाता है। यहां पर पढ़ने के लिए देशभर से बड़ी संख्या में छात्र पहुंचते हैं। यहां के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) के सेल्फ फाइनेंस विभागों को शिक्षकों की भारी कमी का सामना कर रहा है। DAVV राज्य का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है जिसे A+ ग्रेड मिला है, लेकिन यहां भी स्थायी शिक्षकों की भारी कमी है।
इंदौर के सरकारी कॉलेजों में 300 से ज्यादा पद खाली
उच्च शिक्षा विभाग (DHE) के आंकड़ों के मुताबिक इंदौर के सरकारी कॉलेजों में 300 से ज्यादा टीचिंग की पोस्ट खाली है। इसमें डीएवीवी के सेल्फ फाइनेंस विभाग के भी रिक्त पद शामिल हैं। इससे यहां के बच्चों की पढ़ाई और शोध कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। यह समस्या काफी लंबे समय से बनी हुई है, जिसकी वजह से कॉलेजों को गेस्ट फैकल्टी (अतिथि शिक्षक) पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
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सबसे ज्यादा असर हिंदी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र और कॉमर्स पर
रेग्लूयर फैकल्टी के रिक्त पदों के कारण इसका सबसे ज्यादा असर उन छात्रों पर पड़ रहा है जो अंग्रेजी, अर्थशास्त्र और कॉमर्स जैसे विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं। इन विषयों में स्थायी शिक्षक ना के बराबर हैं, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ रहा है।
IET में भी रेग्लूयर फैकल्टी की कमी
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की हालत काफी चिंताजनक है। इसके सेल्फ फाइनेंस विभागों की देखरेख अब दूसरे विषयों के सीनियर शिक्षक कर रहे हैं, जिनका उस विषय से सीधा संबंध नहीं है। इससे ना सिर्फ पढ़ाई पर असर पड़ रहा है, बल्कि प्रशासनिक कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। DAVV का इंजीनियरिंग कॉलेज इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) जिसे राज्य का बेहतरीन तकनीकी संस्थान माना जाता है, वहां भी स्थायी शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है।
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दो रेग्लूयर बाकी गेस्ट फैकल्टी के भरोसे पूरा डिपार्टमेंट
स्कूल ऑफ लैंग्वेजेस की एचओडी प्रीति सिंह का कहना है कि मेरे अलावा एक रेग्लूयर लेक्चरार डॉ. रुपाली सारे हैं। डिपार्टमेंट में स्टूडेंट 500 हैं। इनकी पढ़ाई का जिम्मा हमारे अलावा गेस्ट फैकल्टी या फिर विजिटिंग फैकल्टी के भरोसे है। हमारे पास पीएचडी के लिए हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, मराठी के बच्चे आते हैं। ऐसे में 150 के करीब बच्चे तो पीएचडी वाले ही है। इसके अलावा एमए हिंदी और एमए अंग्रेजी के बच्चे भी लगभग 80 के करीब हैं। पीजी डिप्लोमा ट्रांसलेशन का काम भी चलता है, जिसके लगभग 60 बच्चे हैं। वहीं, कुछ अन्य बच्चे भी हैं। लगभग 14 गेस्ट फैकल्टी आती है, जिनकी सहायता से बच्चों को पढ़ाया जाता है। एक कॉन्ट्रैक्ट फैकल्टी मुकेश भार्गव भी हैं, जो कि बच्चों को पढ़ाते हैं। हमारे डिपार्टमेंट में फैकल्टी की कमी को लेकर रजिस्ट्रार और वीसी दोनों को जानकारी है।
सौ फीसदी विजिटिंग फैकल्टी के भरोसे चल रहा है
स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के एचओडी कपिल शर्मा का कहना है कि हमारे डिपार्टमेंट में तो सभी फैकल्टी विजिटंग हैं। मैं स्वयं रेग्लूयर भले ही हूं, लेकिन मैं तो मैनेजमेंट डिपार्टमेंट से हूं। यहां पर 850 से ज्यादा छात्र हैं, जो कि 9 प्रोग्राम 4 यूजी और 5 पीजी में पढ़ाई कर रहे हैं। यहां पर रेग्यूलर टीचर एक भी नहीं है। यह पूरी तरह से विजिटिंग फैकल्टी के भरोसे चल रहा है। मैं तो डीएवीवी के आईएमएस के मैनेजमेंट डिपार्टमेंट का हूं। मेरा तो कोई विषय ही नहीं है, मुझे तो बस इसे संभालने के लिए यहां पर भेज दिया गया है। मैं तो कई बार बोल चुका हूं कि मुझे वापस मेरे डिपार्टमेंट में भेज दें। इस डिपार्टमेंट में रेग्लूयर फैकल्टी के लगभग 30 पदों हैं, जिनके लिए शासन को भेजा जा चुका है।
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सात रेग्लूयर फैकल्टी बाकी गेस्ट फैकल्टी से पढ़ा रहे
स्कूल ऑफ कॉमर्स के एचओडी सुरेश पाटीदार का कहना है कि हमारे डिपार्टमेंट में चार रेग्यूलर फैकल्टी सुगनीदेवी से आए हैं और तीन फैकल्टी पुराने हैं। ऐसे में कुल 7 फैकल्टी हैं और बाकी का काम हम विजिटिंग या फिर गेस्ट फैकल्टी से करवा लेते हैं। हमारे यहां पर 1000 के करीब छात्र हैं। हालांकि जूनियर रिसर्च फैलो भी फुल टाइम के लिए मौजूद रहते हैं। बाकी और लगभग 15 विजिटिंग फैकल्टी के अपॉइंटमेंट के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है।
शासन को भेज रखा है पद स्वीकृति के लिए प्रस्ताव
डीएवीवी के रजिस्ट्रार अजय वर्मा का कहना है कि स्कूल ऑफ लैंग्वेज में पिछले साल एक फैकल्टी की नियुक्ति की जा चुकी है। इसके अलावा एक एचओडी भी हैं, जो कि रेग्यूलर हैं। ये जो सेल्फ फाइनेंस के डिपार्टमेंट हैं इनमें पद शासन से स्वीकृत होते हैं। कई विभागों में पद स्वीकृत हैं, लेकिन कई विभागों में पद स्वीकृत ही नहीं हैं। जैसे स्कूल ऑफ सोशल सांइस में पद स्वीकृति को लेकर प्रस्ताव भेजा हुआ है, लेकिन अभी तक मंजूरी ही नहीं मिली है। इनके अलावा भी कई अन्य सेल्फ फाइनेंस के विभागों में पद स्वीकृति के लिए प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा हुआ है। इसको लेकर शासन से पत्राचार भी पिछले कई वर्ष से चल रहा है। स्कूल ऑफ कॉमर्स में तो हमारे पास सुगनीदेवी कॉलेज से चार रेग्यूलर फैकल्टी आ गई है। स्कूल ऑफ सोशल साइंस में जरूर परेशानी है। क्याेंकि वहां पर एचओडी कपिल शर्मा ही देख रहे हैं, बाकी का काम विजिटिंग या फिर गेस्ट फैकल्टी से लिया जा रहा है।
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