DAVV  कुलगुरू के 153 करोड़ के ड्रीम प्रोजेक्ट पर ऑडिट की आपत्ति, अब IDA से करार करने की तैयारी

द सूत्र की खबर के बाद इसमें आडिट की आपत्ति लग गई है। सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार आडिट विभाग ने कुलगुरू को साफ कर दिया है कि इस काम के लिए आईडीए के साथ बिना करार हुए किसी तरह की मंजूरी जारी नहीं करेंगे।

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Sanjay gupta
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INDORE. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ( DAVV ) में कुलगुरू डॉ. रेणु जैन अपने कार्यकाल समाप्ति के पहले 153 करोड़ की ड्रीम प्रोजेक्ट को शुरू कर रही है, लेकिन द सूत्र की खबर के बाद इसमें आडिट की आपत्ति लग गई है। सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार आडिट विभाग ने कुलगुरू को साफ कर दिया है कि इस काम के लिए आईडीए के साथ बिना करार हुए किसी तरह की मंजूरी जारी नहीं करेंगे।

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बैठक भी हो गई, लेकिन नहीं सुलझा मुद्दा

कुलगुरू ने विभाग के साथ कुलसचिव की मौजूदगी में हाल ही में बैठक कर ली। लेकिन द सूत्र में मुद्दा उछलने के बाद ऑडिट विभाग ने साफ कर दिया कि बिना करार के वह किसी भी राशि को जारी करने की मंजूरी जारी नहीं करेगा। इसके बाद मुद्दा अटक गया।

अब आईडीए को बोला हम करार करेंगे

आईडीए में इस प्रोजेक्ट को देख रहे अधिकारियों ने द सूत्र को बताया कि यूनिवर्सिटी से संदेश आया है कि वह करार के लिए ड्राफ्ट भेज रहे हैं। करार करने के बाद इसकी जल्द टेंडर प्रक्रिया कराई जाए। अब अधिकारी यूनिवर्सिटी के करार के दस्तावेज भेजने और इस पर हस्ताक्षर होने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद टेंडर जारी होंगे।  

 क्या है 153 करोड़ का प्रोजेक्ट ?

कुलगुरू का ड्रीम प्रोजेक्ट है कि जाने से पहले अभी तक का सबसे बड़ा निर्माण काम करवाया जाए, इसके लिए नए भवन बनना है और यह काम आईडीए द्वारा 153 करोड़ में करवाना है। यूनविर्सिटी की एफडी को तोड़कर आईडीए को केवल टेंडर प्रक्रिया के लिए ही 25 करोड़ देने की तैयारी की जा रही है। 

टेंडर के लिए ही  एफडी तोडकर देंगे 25 करोड़ 

आईडीए इन काम के लिए सभी अखबारों में टेंडर के लिए सूचना जारी करेगा और इसके लिए एक-दो करोड़ नहीं पूरे 25 करोड़ रुपए मांगे गए हैं। इसके लिए यूनिवर्सिटी ने सभी सेल्फ फायनेंस विभागों के पास जमा राशि का हिसाब बनवाकर उनकी एफडी तोडकर यह राशि जारी करने के लिए बोल दिया है। 

सेल्फ फायनेंस के इन विभागों पर 85 करोड़ का भार

इस पूरे प्रोजेक्ट से सेल्फ फायनसें के करीब 85 करोड़ का वित्तीय भार आना है। इसमें सबसे ज्यादा भार आईआईपीएस पर आएगा।
-    आईआईपीएस पर भार- 31.06 करोड़
-    अर्थशास्त्र विभाग पर- 8.29 करोड़ का भार
-    विधि अध्ययनशाला पर- 19.07 करोड़ का भार
-    सोशल साइंस पर- 10.95 करोड़ का भार
-    कल्चर सेंटर पर भार- 2.58 करोड़ का भार
(जीएसटी 12.96 करोड़ भी लगेगा, कुल भार 84.89 करोड़) 

इसके लिए इन विभागों की एफडी तोडेंगे

इसके लिए इन विभागों की एफडी को तोड़ा जाएगा। अभी आईआईपीएस के पास सबसे ज्यादा57.57 करोड़ की राशि है. वहीं अर्थशास्त्र विभाग के पास 4.58 करोड़, विधि के पास 10.26 करोड़., सोसल साइंस के पास 5.78 करोड़ और कल्चर सेंटर के पास 7.94 करोड़ है। यानी इस प्रोजेक्ट के बाद कई विभाग घाटे में चले जाएंगे और उनकी जमा पूंजी खत्म हो जाएगी। 

अभी 25 करोड़ यह विभाग देंगे

अभी 25 करोड़ की व्यवस्था के लिए इन विभागों में से आईआईपीएस से 9 करोड़, अर्थशास्त्र और सोशल साइंस से दो-दो करोड़, विधि से पांच करो और कल्चर सेंटर से 80 लाख रुपए मांगे गए हैं। 

45 करोड के घाटे में है यूनिवर्सिटी का बजट

यूनिवर्सिटी के पास छात्रों से ली जाने वाली फीस के चलते अभी 231 करोड़ रुपए फिक्सड डिपाजिट (एफडी) में मौजूद है। लेकिन अब वह वित्तीय घाटे को इस एफडी को तोड़कर पूरा कर रही है और साथ ही सबसे बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट 153 करोड़ के लिए भी इसी एफडी को तोड़कर ही व्यवस्था करने के आदेश हो गए हैं। वित्तीय साल 2023-24 में 35.58 करोड़ के घाटे का अनुमान था। हालांकि यूनिवर्सिटी ने खुद ही पीठ थपथपाई है कि कठोर वित्तीय निंयत्रण कर उन्होंने यह घाटा 15.32 करोड़ रुपए पर रोक लिया। लेकिन अब अगले वित्तीय साल 2024-25 में यह वित्तीय घाटा 45.27 करोड़ रुपए का होगा। यूनिवर्सिटी का कागजों पर कहना है कि मप्र शासन से 20 सालों से मिलने वाली अनुदान राशि में खास बढोतरी नहीं हुई। इस बार 7.50 करोड़ रुपए मिलने की मंजूरी हुई लेकिन मिली नहीं है। इस कारण वित्त की समस्या है।

क्या होगा इसका असर

सीधा असर होगा आने वाले दिनों में छात्रों की फीस बढ़ोतरी के रूप में। सेल्फ फायनेंस के कई विभाग इस प्रोजेक्ट के कारण घाटे में जाएंगे और इसके बदले में अपने कर्मचारियों के वेतन व अन्य खर्चों की व्यवस्था के लिए उनके पास आने वाले दिनों में फीस बढ़ाने के सिवा कोई चारा नहीं रहेगा। यानी सीधा असर छात्रों पर ही होना है।

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sanjay gupta

 

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