प्रसिद्ध हनुमान धाम जाम सांवली ट्रस्ट में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के आने के बाद इस मामले की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में हुई है। हाई कोर्ट ने इस ट्रस्ट को भंग करते हुए ऐसा ऐतिहासिक आदेश दिया है जिसका असर मध्य प्रदेश के अन्य ट्रस्टों पर भी पड़ेगा।
कलेक्टर ने नहीं जारी किया था नोटिफिकेशन
दरअसल इस मामले की सुनवाई में यह सामने आया कि सब डिविजनल ऑफीसर सौसर के पास रजिस्ट्रार की शक्तियां ही नहीं थी क्योंकि इसके लिए कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ था। इस मामले में साल 2022 में कलेक्टर छिंदवाड़ा ने नोटिफिकेशन जारी किया था पर 2023 में छिंदवाड़ा से अलग होकर पांढुर्ना जिला बना, लेकिन इसके बाद पांढुर्णा कलेक्टर के द्वारा इस तरह का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया था। जो इस ट्रस्ट को भंग करने की मुख्य वजह बनी। वही इस ट्रस्ट के उपाध्यक्ष ने याचिका दायर कर यह बताया कि जब साल 1990 एवं 1998 में ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन किया गया था और इसके नियम बनाए गए थे। तब भी नियम अनुसार नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ था जिसके कारण ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कैंसिल हुआ है।
अन्य ट्रस्टों पर भी पड़ेगा फैसले का असर
हाईकोर्ट के आदेश के बाद SDO सौसर ने अब तक पब्लिक ट्रस्ट रजिस्ट्रार की शक्तियों का उपयोग करते हुए जो भी आदेश पारित किए हैं वह सभी निरस्त माने जाएंगे क्योंकि कलेक्टर के द्वारा सिर्फ एक कार्य वितरण मेमो ( work distribution memo) जारी किया गया था। जबकि उन्हें रजिस्टर की शक्तियां देने के लिए नोटिफिकेशन या लिखित आदेश जारी करना जरूरी था। इसके साथ ही कोर्ट के आदेश में मध्य प्रदेश चीफ सेक्रेटरी को निर्देशित किया गया है कि इस आदेश की प्रति जिले के हर कलेक्टर को भेजी जाए और उन्हें यह निर्देश दिए जाएं की रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट की शक्तियां वर्क डिस्ट्रीब्यूशन मेमो के जरिए नहीं दी जा सकती। तो अब तक बिना नोटिफिकेशन जारी हुए जिन अधिकारियों के द्वारा भी ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन किए गए हैं वह सभी रद्द हो जाएंगे। तो आने वाले समय में ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन से लेकर जांच तक के इससे जुड़े कई मामले सामने आ सकते हैं।
क्या है मध्य प्रदेश पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1991 की धारा 34
इस एक्ट की धारा 34 में रजिस्ट्रार के द्वारा की जा रही जांच और अपनी शक्तियां अन्य अधिकारियों को देने के बारे में उल्लेख है। धारा 34 के अनुसार किसी मामले की जांच रजिस्ट्रार खुद कर सकते हैं या वह किसी अन्य राजस्व अधिकारी को यह जांच करने का जिम्मा सौंप सकते हैं पर वह राजस्व अधिकारी डिप्टी कलेक्टर की रैंक से नीचे नहीं होना चाहिए। वही धारा 34 (क) के अनुसार राजस्व अधिकारी अपनी कुछ या पूरी शक्तियां किसी सब डिविजनल ऑफीसर रैंक या उससे ऊपर की रैंक के अधिकारी को प्रदत्त कर सकते हैं पर यह करने के लिए उन्हें लिखित आदेश जारी करना इस एक्ट के तहत जरूरी है।
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