Deepak Saxena Resigns From Congress
संजय शर्मा, BHOPAL. मध्यप्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाने के दावे को अमलीजामा पहनाने के लिए बीजेपी का मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है। पार्टी प्रदेश में कांग्रेस की इकलौती लोकसभा सीट यानी कमलनाथ ( Kamal Nath ) के गढ़ छिंदवाड़ा को भेदने का जोर लगा रही है। जिस तरह रणनीति बनाकर बीजेपी, कांग्रेस नेताओं का पाला बदलने में कामयाब हो रही है उससे न केवल पूरे मध्यप्रदेश बल्कि अब छिंदवाड़ा का किला भी भरभराता दिख रहा है। दीपक सक्सेना ने 2019 में सरकार बनने पर कमलनाथ के लिए अपनी विधायकी छोड़ दी थी। अब कांग्रेस छोड़ने के उनके फैसले के बाद छिंदवाड़ा कांग्रेस में हलचल मची हुई है।
अब कहां जाएंगे दीपक सक्सेना ?
दीपक सक्सेना ने अभी अधिकृत रूप से बीजेपी का दामन नहीं थामा है, लेकिन जिस तरह उन्होंने कांग्रेस को अचानक अलविदा कह दिया है उससे साफ दिख रहा है वे भी बीजेपी का हिस्सा होने जा रहे हैं। सक्सेना ने निजी कारण बताकर कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को अपना त्याग पत्र भेज दिया है। वे छिंदवाड़ा में कमलनाथ की रणनीति का हर पहलू जानते हैं। ऐसे में उनके जाने से कमलनाथ के बेटे और छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ की जीत की राह आसान नहीं होगी।
दीपक जानते हैं नाथ के छिंदवाड़ा जीतने का मंत्र
दीपक सक्सेना मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार में 2 बार मंत्री रह चुके हैं। उन्हें कमलनाथ का सबसे करीबी नेता तो माना ही जाता है, लेकिन वे पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भी खास रहे हैं। साल 1974 में कांग्रेस से जुड़े दीपक लम्बे समय तक संगठन के दायित्व भी संभाल चुके हैं। वे छिंदवाड़ा से विधायक और 2 बार सरकार में मंत्री भी रहे हैं। कमलनाथ के गढ़ यानी छिंदवाड़ा को अभेद बनाने में भी सक्सेना की अहम भूमिका रही है और वे नाथ के हर चुनावी अभियान में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालते रहे हैं। इस बार जब बीजेपी प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतने का दावा कर रही है तब एक के बाद नेता की कांग्रेस से विदाई के साथ अब छिंदवाड़ा से कांग्रेसियों के पलायन ने न केवल कमलनाथ बल्कि उनके सांसद बेटे नकुलनाथ की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उस पर अचानक ही दीपक सक्सेना के पार्टी छोड़ने की घोषणा से छिंदवाड़ा का मजबूत गढ़ भी नाथ और कांग्रेस के हाथ से जाता नजर आ रहा है।
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नामांकन से पहले नाथ को बड़ा झटका देने की प्लानिंग
दीपक सक्सेना ने कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को अपना त्याग पत्र भेज दिया है। इसमें उन्होंने निजी परेशानी का जिक्र करते हुए पार्टी छोड़ने का हवाला दिया है। उनके बीजेपी जॉइन करने की सुगबुगाहट भी इस त्याग पत्र के बाद से ही चल पड़ी है, लेकिन अब तक सक्सेना ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि उनका बीजेपी में जाना तय माना जा रहा है। वहीं नकुलनाथ छिंदवाड़ा से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं और प्रचार शुरू कर दिया है, तब नाथ के करीबी नेता की पार्टी से रवानगी ने खलबली मचा दी है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने पहले ही इसकी रणनीति तैयार कर नामांकन से पहले कमलनाथ-नकुलनाथ को बड़ा झटका देकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हौसले पस्त करने की प्लानिंग कर ली थी।
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