डिफॉल्टर सूची आते ही एमसीयू को आई लोकपाल नियुक्ति की सुध

मध्यप्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों को सूची में रखा गया है। भोपाल का माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भी इसमें शामिल है। वहीं रिटायर्ड सेशन जज ओमप्रकाश सुनरया को विश्वविद्यालय का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया है...

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Sanjay Sharma
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संजय शर्मा. BHOPAL. यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) की डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों की सूची में प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) का भी नाम है। सूची जारी होते ही वेबसाइट पर लोकपाल नियुक्ति की दो खबरें 20 और 21 जून को जारी की गई हैं। जो बताती हैं कि एमसीयू ने लोकपाल की नियुक्ति कर ली है। यूजीसी के आदेश के बाद आई ये खबरें पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा साख बचाने की कोशिश मानी जा रही हैं। 

मध्यप्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों को सूची में

देशभर के विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति के लिए यूजीसी ने 31 दिसम्बर 2023 तक समय दिया था। इसके बाद भी करोड़ों रुपए का अनुदान लेने वाले विश्वविद्यालय लोकपाल की नियुक्ति को अनदेखा करते रहे। छह महीने बाद भी लोकपाल की नियुक्ति न करने वाले ऐसे 421 विश्वविद्यालयों को यूजीसी ने डिफॉल्टर श्रेणी में शामिल करते हुए एक सूची जारी की है। सूची में राज्यों के सरकारी, डीम्ड और प्राइवेट विश्वविद्यालयों के नाम हैं। वहीं मध्यप्रदेश के 18 विश्वविद्यालयों को सूची में रखा गया है। भोपाल का माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भी इसमें शामिल है।  

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अब वेबसाइट पर चला रहे खबर

लोकपाल नियुक्त न करने पर यूजीसी ने 19 जून को डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों की सूची जारी की है। सूची जारी करने के अगले दिन राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय प्रशासन को लोकपाल की नियुक्ति की सुध आई। जल्दबाजी में वेबसाइट पर खबर जारी कर बताया गया कि लोकपाल की नियुक्ति कर ली गई है। इसके बाद ही एमसीयू के कर्मचारी और छात्रों को इस नियुक्ति का पता लगा है। रिटायर्ड सेशन जज ओमप्रकाश सुनरया को विश्वविद्यालय का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया है। हालांकि अभी लोकपाल ने विश्वविद्यालय में पदभार नहीं संभाला है। 

भनक लगते ही 7 जून को नियुक्ति

अनुदान प्राप्त विश्वविद्यालयों को 31 दिसम्बर तक लोकपाल नियुक्त करने के निर्देश यूजीसी ने दिए थे। इसके बाद भी अधिकांश विश्वविद्यालय में ऐसा नहीं किया गया। इसी महीने यूजीसी द्वारा लोकपाल की नियुक्ति न करने वाले  विश्वविद्यालयों की जानकारी जुटाने और कार्रवाई की भनक लगते ही एमसीयू हरकत में आ गया था। यूजीसी की सूची आने के बाद कुलपति प्रो.सुरेश का कहना है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण लोकपाल के नियुक्ति आदेश जारी नहीं हो सके थे। अचार संहिता के बाद 7 जून को लोकपाल की नियुक्ति कर ली गई है। वहीं  विधानसभा चुनाव के बाद तीन माह तक नियुक्ति न करने के सवाल का एमसीयू प्रबंधन पर जवाब नहीं है।

पोर्टल से नियुक्ति का नोटिफिकेशन गायब

एमसीयू में लोकपाल की नियुक्ति और प्रक्रिया भी अब चर्चा में है। यूजीसी की डिफॉल्टर लिस्ट जारी होने के बाद एमसीयू के रुख को लेकर कानाफूसी चल पड़ी है। एमसीयू की वेबसाइट पर साल 2014 के बाद के सभी आदेश उपलब्ध है बस लोकपाल की नियुक्ति का नोटिफिकेशन गायब है। दिसम्बर 2023 से अब तक की लिस्ट में लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया का सर्कुलर भी नहीं है।

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