मध्यप्रदेश ( MP ) के जबलपुर जिले के जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी विवादों में हैं। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें लोकायुक्त में लंबित हैं। अब इन आरोपों पर विभागीय जांच शुरू की गई है। तबादले के आदेश के बावजूद, वह जबलपुर में बने हुए हैं।
DPI ने दिया है जांच का आदेश
भोपाल स्थित लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा दिनांक 20 मई 2025 को जारी आदेश में कहा गया है कि शिकायत क्रमांक 263/E/22-23 के अंतर्गत घनश्याम सोनी से पहले आरोपों पर 21 दिन में प्रतिवाद मांगा गया था, जो ‘असंतोषजनक’ पाया गया। इसके बाद, नियम 14 के तहत औपचारिक विभागीय जांच संस्थित की गई है। इस जांच में PSM कॉलेज के प्राचार्य सहदेव सिंह मरावी को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है जिनका मूल पद मूल पद अपर संचालक है।
संयुक्त संचालक कार्यालय, जबलपुर संभाग को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी बनाया गया है। आदेश के अनुसार तो जांच 30 दिन में पूरी कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाना है लेकिन विभागीय सूत्रों के अनुसार यह जांच अपने अंतिम चरण में है और अब यही DEO के जबलपुर ना छोड़ने का मुख्य कारण है।
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जांच से बचने DEO की रणनीति
जबलपुर में DEO रहे घनश्याम सोनी का तबादला पहले ही मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड में कर दिया गया है। यदि वे वह पद ग्रहण कर लेते हैं, तो उनका शिक्षा विभाग पर प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो जाएगा और लोकायुक्त जांच प्रक्रिया निष्पक्ष तरीके से आगे बढ़ सकेगी। लेकिन यही वह जड़ है जिससे सारा संदेह पैदा होता है कि घनश्याम सोनी जानबूझकर जबलपुर में ही बने हुए हैं ताकि जांचकर्ता अधिकारी और विभागीय स्टाफ पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाए रखा जा सके।
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कांग्रेस करेगी कलेक्ट्रेट का घेराव
कांग्रेस ने साफ तौर पर जिला प्रशासन को अल्टीमेटम दे दिया है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने ऐलान किया है कि अगर घनश्याम सोनी को तत्काल प्रभाव से पदमुक्त नहीं किया गया, तो 27 जून 2025, शुक्रवार को दोपहर 1 बजे कलेक्ट्रेट कार्यालय पर कांग्रेस द्वारा घेराव किया जाएगा।
DEO की जांच कर रहे कॉलेज प्राचार्य
यह संभवतः पहली बार है कि किसी जिले के DEO के खिलाफ जांच की जिम्मेदारी उसी जिले में स्थित प्रगत शैक्षिक अध्ययन संस्थान (PSM) के प्राचार्य को सौंपी गई है, जो मूलतः अपर संचालक के पद पर पदस्थ हैं। यह जांच शिक्षा विभाग के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार पर गहराई से रोशनी डाल सकती है, बशर्ते यह बिना दबाव के निष्पक्ष तरीके से पूरी की जाए।
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प्रशासन की कार्रवाई का इंतजार
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जबलपुर के कलेक्टर सहित शासन इस पूरे मामले में क्या रुख अपनाता हैं। क्या वे लोकायुक्त की जांच प्रक्रिया को सुरक्षित और निष्पक्ष रखने के लिए घनश्याम सोनी को पदमुक्त करेंगे या फिर राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक चुप्पी इस गंभीर प्रकरण को भी गुमनामी में धकेल देगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।