मध्य प्रदेश में सीएस मानिट के अंतर्गत आने वाले मामलों के निराकरण में विभागों और अधिकारियों की लापरवाही की वजह से कई सालों से केस पेंडिग हैं। सबसे अधिक 518 मामले गृह विभाग के पेंडिंग हैं जबकि नगरीय विकास और आवास विभाग के 274 केस पेंडिंग हैं। मुख्य सचिव वीरा राणा ने इन मामलों की समीक्षा के लिए 15 जुलाई से 29 जुलाई तक विभिन्न विभागों की रिव्यू मीटिंग बुलाई है। इसमें विभागों से मामलों के निराकरण में देरी का कारण पूछा जाएगा और जल्द से जल्द हल करने के निर्देश दिए जाएंगे।
सीएस कार्यालय ने जारी की नोटशीट
मुख्य सचिव कार्यालय ने सभी विभागों को पोर्टल पर रिपोर्ट अपडेट करने और रिव्यू मीटिंग में अफसरों को भेजने के लिए नोटशीट जारी की है। जून माह के अंतिम सप्ताह में भी त्वरित निराकरण के लिए पत्र लिखे गए थे, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं होने के चलते अब तेजी से रिव्यू किया जाएगा।
इन विभागों के केस पेंडिंग
- गृह विभाग - 518
- नगरीय विकास और आवास विभाग- 274
- लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा- 252
- राजस्व विभाग- 199
- सामान्य प्रशासन विभाग- 187
- सामान्य प्रशासन मानव अधिकार- 102
- औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन- 85
- पर्यटन विभाग- 83
ये हैं लंबित मामले
- केन बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व को 5478 हेक्टर जमीन उपलब्ध कराई गई है। इस मामले में प्रभावित 21 गांवों की संपत्ति का सर्वे पूरा कर लिया गया है पर भू अर्जन और पुनर्वास प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है।
- सीबीआई नेे मंदसौर जिले के गांधी सागर बांध और विद्युत परियोजना को लेकर कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग से जानकारी मांगी है जो एक साल बाद भी नहीं दी जा सकी है।
- पांच साल पहले सीबीआई ने व्यापमं स्कैम में कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग ग्वालियर से चंबल निरीक्षण गृह, चंबल कालोनी ठाठीपुर के विश्राम भवन को उपयोग में लिया था। इसके लिए सीबीआई से किराया जमा कराने के लिए पत्र लिखा जा चुका है पर कार्रवाई पेंडिंग है।
- सांसद दिग्विजय सिंह ने टेम सिंचाई परियोजना तहसील लटेरी जिला विदिशा के डूब प्रभावित क्षेत्र की ग्राम पंचायतों बेरागढ़ मुंडेला, धीरगढ़ के प्रभावित लोगों को भूअर्जन और पुनर्वास का मामला उठाया था। इन किसानोंं को अब तक अवार्ड पारित होने के बाद भी मुआवजा नहीं मिला है।
क्या है सीएस मानिट?
सीएस मानिट (मुख्य सचिव मानिट) एक विशेष सेल है जिसमें मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के पास विभिन्न विभागों से संबंधित लोकहित से जुड़े मामलों को प्रायरिटी के आधार पर निराकरण के लिए शामिल किया जाता है। इस सेल में अत्यधिक प्राथमिकता वाले मामलों को 'ए प्लस', उससे कम प्राथमिकता वाले मामलों को 'ए', और फिर 'बी' और 'सी' कैटेगरी में वर्गीकृत किया जाता है।
लोकहित के मामले: सीएस मानिट में वे मामले शामिल किए जाते हैं जिनका लोकहित से सीधा संबंध होता है।
प्रायोरिटी: मामलों को प्राथमिकता के आधार पर विभिन्न कैटेगरी में विभाजित किया जाता है।
विशेष सेल: मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के पास एक अलग सेल होती है जो इन मामलों की निगरानी और निराकरण सुनिश्चित करती है।
इसका उद्देश्य है कि महत्वपूर्ण मामलों का त्वरित और प्रभावी निराकरण हो सके, जिससे जनहित के मुद्दों का समाधान समय पर हो सके।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक