/sootr/media/media_files/2025/05/28/HBZRw6wlWkjy7SSMUavn.jpg)
भारत में शादियां सिर्फ संस्कार नहीं, बल्कि भव्य उत्सव होती हैं। पिछले कुछ सालों में डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। लोग अब शादी को अपने मोहल्ले या शहर तक सीमित नहीं रखते, बल्कि शाही महलों, झीलों के किनारे और ऐतिहासिक धरोहरों के बीच सात फेरे लेना चाहते हैं। इस दौड़ में राजस्थान देश में सबसे आगे है। यहां सवाल यह है कि मध्यप्रदेश इस मुकाबले में पीछे क्यों है? यहां भी तो महल, किले, कोठियों की कमी नहीं है। पढ़िए ये खास रिपोर्ट...
दरअसल, राजस्थान ने डेस्टिनेशन वेडिंग को इंडस्ट्री बना दिया है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और पुष्कर जैसे शहर अब शादी के लिए ड्रीम बन चुके हैं। यहां के महलों को लक्जरी होटलों में बदला गया है। रामबाग पैलेस, ओबेरॉय उदय विलास, उम्मेद भवन और लीला पैलेस जैसे नाम अब वेडिंग सर्कल में किसी ब्रांड से कम नहीं।
राजस्थान सरकार और टूरिज्म इंडस्ट्री ने मिलकर इन धरोहरों को संरक्षित करने के साथ बड़े पैमाने पर प्रमोट भी किया है। सोशल मीडिया, वेडिंग मैगजीन, ट्रैवल ब्लॉग्स से लेकर इंटरनेशनल टूरिज्म फेयर तक, राजस्थान को 'शादी का स्वर्ग' बताकर पेश किया गया। प्रियंका चोपड़ा-निक जोनस, कैटरीना कैफ-विक्की कौशल और ईशा अंबानी जैसे सेलेब्रिटीज की शादियों ने इस ब्रांड को और मजबूत किया।
मध्यप्रदेश: खजुराहो से ओरछा तक... लेकिन कोई पूछने वाला नहीं
अब बात करते हैं मध्यप्रदेश की। क्या यहां शाही किलों की कमी है? बिल्कुल नहीं। मांडू की रोमांटिक हवा, ओरछा की बेतवा, खजुराहो के विश्व धरोहर स्थल, ग्वालियर के किले, उज्जैन की आध्यात्मिक वाइब, सांची की विरासत सबकुछ है। प्रकृति ने भी मध्यप्रदेश को दिल खोलकर नवाजा है। टाइगर रिजर्व, सेंचुरी, नेशनल पार्क और भी न जाने क्या क्या यहां है, पर अफसोस, इनमें से किसी जगह को अभी तक डेस्टिनेशन वेडिंग का रूप देने की कोई ठोस कोशिश नहीं हुई।
मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक स्थलों पर ना तो पर्याप्त लग्जरी होटल हैं, ना ही मजबूत ब्रांडिंग और ना ही वेडिंग प्लानर्स का इकोसिस्टम। अभी तो स्थिति ऐसी है कि जो कुछ किले और हवेलियां हैं, वे या तो सरकारी संरक्षण के चलते जर्जर हैं या फिर यहां पहुंचना ही मुश्किल है। यहां चाहे हम बात रायसेन के किले की करें या बुरहानपुर जिले के असीरगढ़ की। ये उदाहरण भर हैं, ज्यादातर किलों, महला, छतरियों और गढ़ों की स्थिति बदतर है। उन्हें सहेजा ही नहीं जा रहा है।
आंकड़ों की जुबान में फर्क कितना बड़ा?
राजस्थान में डेस्टिनेशन वेडिंग इंडस्ट्री सालाना औसत रूप से करीब 50 हजार करोड़ रुपए का कारोबार कर रही है। एक वेडिंग की औसत लागत 30 लाख से 1 करोड़ तक जाती है। वहीं मध्यप्रदेश में इस इंडस्ट्री का नाम तक नहीं है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि मध्यप्रदेश के नेता भी अपनी बेटों की शादी राजस्थान में करना पसंद करते हैं। मौजूदा केंद्रीय मंत्री और एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बेटे की शादी जोधपुर में कराई। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने बेटे की शादी के लिए जयपुर को चुना। विधायक संजय पाठक ने भी बेटे की शादी जयपुर में की।
खबर यह भी...यूट्यूब स्टार खान सर ने गुपचुप रचाई शादी, कोचिंग क्लास में किया खुलासा, 2 जून को देंगे रिसेप्शन
क्या कभी बदलेगी तस्वीर?
अब बात करते हैं उम्मीद की... तो देर से ही सही पर मोहन सरकार ने राजस्थान की तरह कदम बढ़ाए हैं। राज्य सरकार ने पिछले दिनों 11 किलों और महलों को हेरिटेज होटल में बदलने की योजना पर काम शुरू किया है। सरकार इन्हें 90 साल की लीज पर दे रही है और निजी निवेशकों को 15-30% तक सब्सिडी भी देने को तैयार है। निवेशक करीब 150 करोड़ रुपए खर्च कर इन खंडहर होते महलों को मूल स्थापत्य शैली में विकसित करेंगे। इसके बाद इन्हें हेरिटेज होटल में तब्दील कर पर्यटकों के लिए खोला जाएगा।
इन स्थानों को विकसित करने की तैयारी
राजगढ़ पैलेस छतरपुर, ताजमहल पैलेस भोपाल, गोविंदगढ़ किला रीवा, रॉयल होटल जबलपुर, माधवगढ़ किला सतना, क्योटी किला रीवा, महेंद्र भवन पन्ना, लुनेरा सराय धार, श्योपुर किला शामिल है। वहीं अशोकनगर का राजारानी महल और सिंघपुर महल अभी होल्ड पर है। इन्हें लेकर बाद में फैसला होगा।
NOTE - अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें
📢🔃 🤝💬👩👦👨👩👧👧
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
-
द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें
ग्वालियर डेस्टिनेशन वेडिंग | मध्य प्रदेश में डेस्टिनेशन वेडिंग साइट | सेम-सेक्स डेस्टिनेशन वेडिंग | the sootr | MP News | Destination Wedding Gwalior | destination wedding in mp