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संजय गुप्ता@ इंदौर.
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ( Devi Ahilya University ) के एक नहीं दो पेपर आउट हो गए हैं। यह पेपर होने से पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इसके बाद जब अगले दिन परीक्षा हुई तो हुबहू यही पेपर मिले। एबीवीपी के प्रदर्शन और चेतावनी के बाद यूनिवर्सिटी ने दोनों पेपर रद्द कर दिए हैं।
मंगलवार ( 28 मई ) सुबह 11 बजे अकाउंटिंग फॉर मैनेजर्स विषय की परीक्षा शुरू हुई तो पता चला कि यह वही पेपर है, जो सोमवार ( 27 मई) रात में ही छात्रों के पास पहुंच चुका था। भोपाल में आयुक्त उच्च शिक्षा के साथ बैठक में पहुंचे रजिस्ट्रार अजय वर्मा ने कुलपति प्रो. रेणु जैन व अफसरों से पूरे मामले पर चर्चा की। वहीं एबीवीपी ने इस मामले में प्रदर्शन किया, इसके बाद दोपहर में ही यूनिवर्सिटी ने एक्जाम कमेटी की बैठक बुलाकर पेपर निरस्त कर दिया। इसके साथ ही 25 मई को हुए क्वांटिटिव टैक्निक विषय के पेपर को भी निरस्त किया गया है। वह भी लीक हो गया था।
इसे लेकर युवक कांग्रेस, एनएसयूआई ने भी प्रदर्शन कर हंगामा किया। एबीवीपी के महानगर मंत्री सार्थक जैन ने कहा कि लगातार परीक्षा से पहले प्रशनपत्र सोशल मीडिया पर आ रहे हैं, दोषियों पर कड़ी सजा जरूरी है। उधर, यूनिवर्सिटी ने मामले में जांच कमेटी बना दी है। डिप्टी रजिस्ट्रार रचना ठाकुर के अनुसार चार सदस्यीय इस कमेटी में लोकपाल नरेंद्र सत्संगी, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा डॉ. सुधा सिलावट, डीसीडीसी डॉ. राजीव दीक्षित और डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. एलके त्रिपाठी शामिल हैं।
मामले में कुछ कॉलेजों व कोचिंग संस्थानों की भूमिका की बात सामने आई है। इस पर भी जांच होगी। कुछ छात्रों से भी पूछताछ की जा सकती है कि उन्हें परचा कैसे और किसके जरिए पहुंचा। पैसों के लेन-देन की भी जांच होगी।
परीक्षा से 5 दिन पहले यूनिवर्सिटी कॉलेज में सीलबंद लिफाफे में पहली परीक्षा के विषय के पेपर भेजती है। कॉलेज प्राचार्य या उप प्राचार्य की मौजूदगी और हस्ताक्षर के साथ रिसीविंग ली जाती है। इसके 15 मिनट के भीतर कॉलेज इन पेपर को संबंधित थाने भेजता है। परीक्षा के दिन ठीक एक घंटा पहले प्राचार्य के अथॉरिटी लेटर (सील के साथ) के साथ कॉलेज का प्रतिनिधि (शिक्षक या कर्मचारी) थाने से परचा लेकर कॉलेज लौटता है। परीक्षा शुरू होने से करीब 40 से 45 मिनट पहले बंडल कॉलेज में पहुंच जाता है। इसके बाद परचा शुरू होने से ठीक 15 मिनट पहले प्राचार्य (वरिष्ठ केंद्राध्यक्ष) सीनियर प्रोफेसर या उप प्राचार्य (केंद्राध्यक्ष) व दो वीक्षक (फैकल्टी) की मौजूदगी में सीसीटीवी के सामने इसे खोला जाता है। वे सभी हस्ताक्षर भी करते हैं।