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जबलपुर हाईकोर्ट ने सागर जिले की देवरी नगर पालिका अध्यक्ष नेहा अलकेश जैन को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनके पद से हटाने के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा है कि अगली सुनवाई तक वे अपने पद पर बनी रहेंगी। जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच ने यह आदेश सुनाते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
मनमानी नियुक्तियों और फर्जी खरीदी के लगे हैं आरोप
देवरी नगर पालिका अध्यक्ष नेहा जैन के खिलाफ 25 अगस्त को आदेश जारी करते हुए उन्हें पद से हटाया गया था। इस आदेश में कहा गया था कि अध्यक्ष ने नियुक्तियों और खरीद में गड़बड़ियां की हैं। आरोप लगाया गया कि उन्होंने 13 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को बिना मंजूरी के रख लिया, अध्यक्ष परिषद का गठन नहीं किया जिससे कामकाज प्रभावित हुआ, और एयर कंडीशनर खरीद में भी गड़बड़ी की।
जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि परिषद ने 5 एसी खरीदने की मंजूरी दी थी लेकिन दस्तावेजों में इसे बदलकर 8 कर दिया गया और कुल 7 एसी खरीदे गए। आरोपों के अनुसार जांच में निरीक्षण के दौरान इन सात में से भी कुछ AC गायब पाए गए थे।
परिषद ने की नियुक्तियां और GEM पोर्टल से हुई खरीददारी
नेहा जैन की ओर से अधिवक्ताओं ने दलील दी कि उन्हें अकेले जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि कर्मचारियों की नियुक्तियां अध्यक्ष परिषद की मंजूरी से की गई थीं। परिषद का गठन न हो पाने की वजह सदस्यों का सहयोग न करना था, जिसकी जानकारी उन्होंने बार-बार अधिकारियों को दी थी। साथ एयर कंडीशनर खरीद का पूरा लेन-देन सरकार के आधिकारिक जीईएम पोर्टल से हुआ। जिसमें 5 AC 99 हजार रुपये की दर से और 2 AC 79 हजार 999 रुपये की दर से खरीदे गए और इनकी एंट्री भी लॉग बुक में है। इसलिए वित्तीय गड़बड़ी का सवाल ही नहीं उठता। उनका कहना था कि जांच केवल संदेह के आधार पर की गई और सुनवाई का पूरा मौका भी नहीं दिया गया।
राज्य सरकार ने किया अंतरिम राहत का विरोध
राज्य की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल ने अंतरिम राहत का कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि जांच अधिकारी ने तीन आरोपों को सही पाया है और एयर कंडीशनर खरीद में गड़बड़ी साफ दिखाई देती है। निरीक्षण में भी कुछ एसी उपलब्ध नहीं मिले और दस्तावेजों में हेरफेर के सबूत भी सामने आए हैं। ऐसे में नेहा जैन को अध्यक्ष को वापस पद पर बैठाना सार्वजनिक हित के खिलाफ होगा।
इसके साथ ही पार्षद सरिता जैन जिन्हें देवकीनंदन नगर परिषद अध्यक्ष का प्रभार मिला हुआ है, उन्होंने भी इस मामले में इंटरवीनर (हस्तक्षेपकर्ता) बनाए जाने के निवेदन के साथ ही राहत का विरोध किया, हालांकि कोर्ट ने अभी उनके इस आवेदन पर विचार नहीं किया है।
खबर यह भी...सागर में एमपी सरकार का तगड़ा एक्शन, देवरी में BJP की नपा अध्यक्ष नेहा जैन को पद से हटाया
नेहा अलकेश जैन को कोर्ट ने किया बहाल
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को हटाने का फैसला गंभीर असर डालता है। एमपी नगर पालिका अधिनियम की धारा 41-ए के अनुसार भी ऐसी कार्यवाही में पक्ष रखने का पूरा मौका मिलना ही चाहिए। इसलिए यह फैसला केवल ठोस और पुख्ता सबूतों के आधार पर ही लिया जाना चाहिए था। कोर्ट ने माना कि कई आरोप केवल संदेह पर आधारित हैं और संदेह को प्रमाण नहीं माना जा सकता। एयर कंडीशनर खरीद के रिकॉर्ड जीईएम पोर्टल और खरीद-लॉग में दर्ज हैं, इससे यह साबित होता है कि 7 एयर कंडीशनर खरीदे गए हैं। वहीं कर्मचारियों की नियुक्ति परिषद की अनुमति से की गई थी, इसलिए अध्यक्ष अकेली जिम्मेदार नहीं हैं। इन परिस्थितियों में अदालत ने अध्यक्ष को हटाने के आदेश पर रोक लगाते हुए नेहा जैन को फिर से पद पर बहाल कर दिया।
राज्य सरकार चार हफ्ते में देगी जवाब
अब राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर इस मामले में अपना विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि अगली सुनवाई तक नेहा जैन को अध्यक्ष पद पर कार्य करने दिया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह की कार्रवाई लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर डालती है, इसलिए इसे केवल मजबूत सबूतों के आधार पर ही अंजाम दिया जा सकता है।
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