देवास विधायक महारानी गायत्री परिवार का पलासिया में 60 करोड़ का प्लॉट, डेली कॉलेज से मिला था, रेरा ने खारिज किया अपोलो प्रोजेक्ट

विक्रम पवार ने रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट से जून 2021 में इसे बेचने की मंजूरी ली। जून 2022 में अपोलो क्रिएशंस ग्रुप के साथ सौदा कर लिया। इस सौदे के बाद अपोलो ग्रुप ने यहां पर अपोलो देवास कोठी का प्रोजेक्ट शुरू कर दिया। 

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Pratibha ranaa
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संजय गुप्ता@ INDORE.

देवास विधायक और स्वर्गीय महाराज तुकोजीराव पवार की पत्नी गायत्री राजे पवार और उनकी ननद शैलजाराजे पवार के साथ चल रहे प्रॉपर्टी विवाद में द सूत्र नया खुलासा कर रहा है। पलासिया में प्लाट नंबर 2 (3289 वर्गमीटर) की कीमत 60 करोड़ से ज्यादा की है। इसपर अपोलो क्रियशंस निर्मल और अनिल अग्रवाल का प्रोजेक्ट अपोलो देवास कोठी आ रहा है, उसे रेरा ने खारिज कर दिया है। जमीन के इस रिकार्ड और कोर्ट में चल रहे केस को देखते हुए रेरा (RERA) ने अपोलो ग्रुप के प्रोजेक्ट को मंजूरी देने से मना करते हुए खारिज किया।

इस जमीन के सौदे के लिए भी निगम की मंजूरी जरूरी

इस जमीन की कहानी 80 साल पुरानी है। 

  • इंदौर सुधार न्यास (जो अब इंदौर नगर निगम है) ने अक्टूबर 1939 में हेमचंद कांट्रेक्टर को 99 साल की लीज पर यह प्लाट दिया था।
  • उन्होंने लक्ष्मीचंद्र धारीवाल को यह प्लाट फरवरी 1942 में लीज पर दिया।
  • इस पर उन्होंने दो मंजिला भवन बनाया और फिर आर्थिक तंगी की वजह से इसे जुलाई 1950 में डेली कॉलेज के पास गिरवी रख दिया।
  • जब वह इसे मुक्त नहीं करा सके तो उन्होंने देवास के महाराज कृष्ण राव महाराज (महारानी गायत्री देवी के ससुर और डेली कॉलेड बोर्ड के वर्तमान चेयरमैन
  • विक्रम पवार के दादा) से मदद मांगी। एक लाख रुपए का भुगतान उन्होंने डेली कॉलेज को किया। इसके बाद यह प्लाट उन्होंने नवंबर 1953 में अपने नाम पर नामांतरण कराया।
  • उन्होंने एकमात्र ट्रस्टी बनते हुए ट्रस्ट श्रीमंत महाराजा तुकोजीराव पवार रिलीजियस एंड चेरिटेबल ट्रस्ट देवास सीनियर बनाया। इसका उद्देश्य परिवार के मंदिर व अन्य स्थलों का रखरखाव करना था। इस ट्रस्ट की संपत्ति में यह पलासिया का प्लाट भी शामिल हो गया।
  • ट्रस्ट को संपत्ति बेचने व निवेश करने का अधिकार था लेकिन धार्मिक काम के लिए ट्रस्ट का पंजीयन मार्च 2006 में कराया गया।
  • नगर निगम ने इस जमीन का नामांतरण अप्रैल 2008 में महाराज कृष्णजी के स्थान पर ट्रस्ट के नाम पर कर दिया। लीज अवधि अक्टूबर 2038 तक थी (क्योंकि मूल लीज 99 साल की ही है)।
  • इसमें शर्त यह भी थी कि निगम से मंजूरी लेकर ही इसे बेचा या गिरवी रखा जा सकेगा

जमीन विवाद यह                                                             ये वह जमीन पलासिया की, जहां अपोलो का प्रोजेक्ट है

रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट से मंजूरी लेकर कर दिया सौदा

इस ट्रस्ट के सदस्य विक्रम पवार ने रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट से जून 2021 में इसे बेचने की मंजूरी ली और फिर जून 2022 में अपोलो क्रिएशंस ग्रुप के निर्मल अग्रवाल, अनिल अग्रवाल और नकुल सिंघल के साथ सौदा कर लिया। इस सौदे के बाद अपोलो ग्रुप ने यहां पर अपोलो देवास कोठी का प्रोजेक्ट शुरू कर दिया। 

एक अन्य प्रोजेक्ट भी हाईकोर्ट में पहुंचा

इसी तरह इंदौर के बिल्डर व डेली कॉलेज बोर्ड के पूर्व सदस्य देवराड बड़गारा व अन्य पार्टनर की कंपनी रीगल रॉयल्स स्केप्स का प्रोजेक्ट भी विवादों में आ गया है। इसमें बडगरा के साथ आशुतोष माहेशवरी, आदित्य बोराड, करण नरसरिया, प्रीति आसुदानी शामिल है। इन्होंने गायत्री राजे, उनके पुत्र विक्रम पवार और पुत्री कनिकाराजे की संपत्ति पर आनंद विलास कॉलोनी काटने का सौदा किया है। इसमें भी गायत्री पवार की ननद शैलजा पवार ने हाईकोर्ट में केस लगा रखा है। यह भी विवादों में हैं क्योंकि जब तक संपत्ति विवाद का निराकरण नहीं हो जाता है, संपत्तियों पर कोई भी सौदा और करार विवादित होगा। 

शैलजा राजे ने क्या लगाई है आपत्ति

शैलजा राजे ने इस मामले में अधिवक्ता मुदित माहेशवरी के जरिए सार्वजनिक सूचना जारी की है। इसमें दोनों सौदों को लेकर जानकारी देते हुए इसे अवैध बताया है। उन्होंने कहा कि संपत्ति को लेकर जिला कोर्ट देवास में केस दर्ज है। वहीं एक याचिका हाईकोर्ट में भी दायर की गई है। यह याचिक मुख्य रूप से शैलजाराजे पवार ने मप्र शासन, टीएंडसीपी, गायत्री पवार, विक्रम पवार, कनिका राजे पवार, रीगल रायल स्केप्स के सभी कर्ताधर्तांओं के खिलाफ लगाई है।

देशभर में फैली है 1239 करोड़ की संपत्तियां

पवार परिवार की देशभर में फैली 1239 करोड़ रुपए की चल- अचल संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर विवाद चल रहा है। महाराज श्रीमंत कृष्णजीराव पावर के पुत्र तुकोजीराव और पुत्री शैलजा के साथ ही दो और बहन है। संपत्तियों को लेकर मुख्य दावा शैलजा ने लगाया हुआ है। तुकोजीराव के निधन के बाद गायत्री राजे और उनके पुत्र विक्रम इसकी देखभाल करते हैं। इस राजघराने की इंदौर, आलोट, जयपुर, पुणे सहित कई शहरों में जमीनें हैं।

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