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संघ-भाजपा की तारीफ, कांग्रेस पर परोक्ष सवाल
दिग्विजय सिंह ने भाजपा और आरएसएस के संगठनात्मक ढांचे की जिस तरह सराहना की। इसके पीछे असली निशाना कांग्रेस का आंतरिक संगठन है। उन्होंने जमीनी कैडर, अनुशासन और स्पष्ट संगठनात्मक सीढ़ियों की बात की। ऐसा करके उन्होंने कांग्रेस में कैडर-बेस्ड स्ट्रक्चर की कमी को उजागर किया है।
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कट्टर विरोधी की जुबान से तारीफ क्यों अहम?
यह वही दिग्विजय सिंह हैं, जिन्होंने सालों तक भाजपा और आरएसएस पर सबसे तीखे हमले किए। ऐसे नेता के जरिए संगठनात्मक मजबूती की सराहना करना सामान्य घटना नहीं है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह कांग्रेस नेतृत्व को चेतावनी देने का तरीका है- बिना नाम लिए, लेकिन सीधे संदेश के साथ।
पार्टी के भीतर मची खलबली
दिग्विजय सिंह के बयान के बाद कांग्रेस के कई नेता असहज हो गए हैं। कुछ नेताओं ने सार्वजनिक रूप से यह गिनाना शुरू कर दिया कि उनके बयानों से पार्टी को पहले कितना नुकसान हुआ है। हालांकि, यह भी सच है कि दिग्विजय सिंह हमेशा अपने वैचारिक स्टैंड पर खुलकर बोलते रहे हैं, चाहे परिणाम कुछ भी हों।
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बयान की मंशा बनाम सियासी नुकसान
दिग्विजय की मंशा भले ही संगठन सुधार की रही हो, लेकिन उनका बयान भाजपा के पहले से प्रचारित नैरेटिव को मजबूत करता है। यही कारण है कि कांग्रेस के भीतर इसे आत्मघाती राजनीतिक टिप्पणी के रूप में देखा जा रहा है।
वरिष्ठ नेता क्यों महसूस कर रहे हैं हाशिए पर?
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले दिग्विजय सिंह की सोशल मीडिया पोस्ट ने पार्टी नेतृत्व की परेशानी बढ़ा दी। पिछले कुछ सालों में पार्टी में पीढ़ी परिवर्तन के चलते कई वरिष्ठ नेता खुद को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं। अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, अजय सिंह जैसे नेता अपने-अपने क्षेत्रों तक सीमित हो गए हैं।
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कमल नाथ की चुप्पी और संगठन सृजन की उलझन
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ भी सक्रिय राजनीति में पहले जैसे नजर नहीं आते। संगठन सृजन अभियान के तहत जिला और ब्लॉक अध्यक्ष तो बनाए गए, लेकिन लगभग हर स्तर पर विरोध सामने आया। यह असंतोष अब खुलकर सामने आने लगा है।
मध्य प्रदेश से उठा संदेश क्यों अहम?
यह कोई संयोग नहीं कि यह आवाज मध्य प्रदेश से उठी है। यहां कांग्रेस सीधा भाजपा से मुकाबले में है। राजनीतिक संकेत साफ है, यदि वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा जारी रही, तो इसका असर पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है। भाजपा को भाए दिग्गी राजा जो दिग्विजय सिंह हमेशा भाजपा के निशाने पर रहे, वही अब भाजपा नेताओं को पसंद आने लगे हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुले मंच से कहा कि हमारा संगठन प्रशंसा के योग्य है, भाजपा में स्वागत है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने भी आरएसएस को आदर्श संगठन बताया है।
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सरदार पटेल से तुलना तक पहुंची बात
कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दिग्विजय की तुलना सरदार पटेल से कर दी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सच बोलने का साहस हर किसी में नहीं होता, और दिग्विजय सिंह ने वही किया है।
दिग्विजय की चुप्पी, कांग्रेस में असहमति
भाजपा नेताओं की प्रतिक्रियाओं के बाद दिग्गी ने फिलहाल चुप्पी साध ली है। मुख्यमंत्री के ऑफर पर उन्होंने सिर्फ इतना कहा- अरे छोड़िए। वहीं, मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी ने उनके बयान से सार्वजनिक रूप से असहमति जताई।
कांग्रेस प्रभारी का तीखा पलटवार
हरीश चौधरी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जिन लोगों के लिए संगठन शक्ति शब्द इस्तेमाल हो रहा है। इनकी सत्ता षड्यंत्र, घृणा, धनबल और वोट चोरी पर आधारित है। यह बयान साफ करता है कि कांग्रेस में इस मुद्दे पर एकराय नहीं है।
चेतावनी या सियासी जोखिम?
दिग्विजय सिंह का बयान कांग्रेस के लिए आत्ममंथन का अवसर भी हो सकता है। साथ ही, बड़ा सियासी जोखिम भी हो सकता है। अब यह पार्टी नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वह इसे अनदेखा करता है या संकेत समझकर संगठन की दिशा बदलता है।
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