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Photograph: (the sootr)
5 पाइंट में समझें पूरी खबर
- निधि चतुर्वेदी ने दिग्विजय सिंह पर RSS का समर्थन करने का आरोप लगाया, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा।
- निधि ने कहा कि दिग्विजय सिंह के बयान ने कांग्रेस की वैचारिक लड़ाई को कमजोर किया और कार्यकर्ताओं को निराश किया।
- उन्होंने आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह ने पिछले 20 सालों में पार्टी को भीतर से कमजोर किया, जिससे विपक्ष को भी फायदा हुआ।
- निधि ने सवाल उठाया कि क्या दिग्विजय सिंह की RSS की तारीफ उनका पारिवारिक डीएनए है या केवल संयोग।
- दिग्विजय सिंह के पिता का नाता हिंदू महासभा से था, और उनका परिवार RSS के प्रति सकारात्मक था, जैसा कि एक इंटरव्यू में बताया।
BHOPAL. कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एक बार फिर अपनी ही पार्टी के निशाने पर हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी की बेटी निधि चतुर्वेदी ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
निधि ने साफ़ तौर पर कहा है कि दिग्विजय सिंह का व्यवहार 'वैचारिक दोगलापन' को दर्शाता है। उन्होंने कांग्रेस हाईकमान से अपील की है कि अब 'मौन' रहने का समय बीत चुका है और कार्रवाई ज़रूरी है।
निधि ने इस बयानबाजी को 'ऊल-जलूल' करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बयान कांग्रेस के सच्चे कार्यकर्ताओं के आत्म-सम्मान को गहरी ठेस पहुंचाने वाला था। उनका कहना था कि दिग्विजय सिंह ने 20 सालों तक कांग्रेस को भीतर से कमजोर किया है, जिससे पार्टी को विपक्ष से भी ज्यादा नुकसान हुआ।
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एमपी की राजनीति में दिग्विजय सिंह की भूमिका
निधि चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह का मध्य प्रदेश की राजनीति में हस्तक्षेप लगातार बना रहा है। यह हस्तक्षेप कई बार संगठनात्मक फैसलों, नेतृत्व चयन, और राजनीतिक दिशा तय करने में निर्णायक साबित हुआ है। इसके चलते कई समर्पित कांग्रेसी नेता हाशिए पर चले गए या राजनीति से बाहर हो गए।
दिग्विजय सिंह का RSS से रिश्ता
निधि ने सवाल उठाया कि क्या दिग्विजय सिंह की RSS की तारीफ महज संयोग है या यह उनके पारिवारिक डीएनए का असर है? उन्होंने यह भी बताया कि दिग्विजय सिंह का परिवार हिंदू महासभा से जुड़ा हुआ था। उनके पिता बलभद्र सिंह हिंदू महासभा से विधायक रहे थे।
गोलवलकर और भाजपा कनेक्शन
निधि चतुर्वेदी ने दिग्विजय सिंह के एक इंटरव्यू का भी जिक्र किया। जिसमें उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि RSS के दूसरे सरसंघचालक एम.एस. गोलवलकर उनके पिता के करीबी थे। इसके अलावा, दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह भी 2003 में भाजपा में शामिल हो गए थे। बाद में लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीतकर सांसद बने थे।
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हाईकमान के सामने बड़ी चुनौती
निधि चतुर्वेदी ने अंत में कांग्रेस नेतृत्व से 'मौन संस्कृति' त्यागने को कहा है। उन्होंने मांग की है कि ऐसे नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए जो पार्टी की वैचारिक लड़ाई को कमजोर कर रहे हैं। अब देखना यह है कि कांग्रेस आलाकमान इस 'अपनों की जंग' पर क्या फैसला लेता है।
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