एमपी में मंदिर-पुजारी विवाद फिर गरमाया, दिग्विजय सिंह ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

मध्यप्रदेश की राजनीति में फिर मंदिरों और पुजारियों का मुद्दा चर्चा में है। दिग्विजय सिंह ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया। उनका कहना है कि सरकार की नीतियों से 50 हजार पुजारियों का भविष्य संकट में है।

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Ramanand Tiwari
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BHOPAL. मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर मंदिरों और पुजारियों का मुद्दा चर्चा में है। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा सरकार पर पुजारियों के अधिकारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। दिग्विजय सिंह का कहना है कि सरकार की नीतियों से पुजारी प्रभावित हो रहे हैं। इसके साथ ही मंदिर व्यवस्था भी कमजोर हो रही है।

50 हजार पुजारियों के साथ हो रहा अन्याय

दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि प्रदेश में करीब 50 हजार पुजारी हैं। मौजूदा सरकार के फैसलों से उनका भविष्य संकट में है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में पुजारियों को वेतनमान और सुविधाएं दी गई थीं। लेकिन अब उन्हें धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है। इसे उन्होंने पुजारियों पर कुठाराघात बताया।

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चढ़ावे के उपयोग पर उठे सवाल

पूर्व मुख्यमंत्री ने उज्जैन और गुना के मंदिरों का उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि वहां चढ़ावा रखरखाव में खर्च नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि यह राशि कलेक्टर और एसडीएम के खातों में जाती है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर हस्ताक्षर न होने से पैसा उपयोग में नहीं आ पाता। इससे मंदिर व्यवस्था प्रभावित हो रही है।

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देवता की जमीन नीलाम नहीं हो सकती

दिग्विजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि मंदिरों की जमीन देवता के नाम पर दर्ज होती है। इसे नीलाम नहीं किया जा सकता। दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश सरकार इस धार्मिक व्यवस्था का उल्लंघन कर रही है। यह आस्था से जुड़ा मामला है।

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खुद पर लगे आरोपों पर भी दिया जवाब

अपने ऊपर लगे आरोपों पर दिग्विजय सिंह ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्हें ऐसे आरोपों का सामना करना पड़ा था। दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि कुछ संगठनों ने उनके खिलाफ गलत प्रचार किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे सनातन धर्म के अनुयायी हैं और इस पर सवाल उठाना अनुचित है।

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पुजारियों के हक के लिए लड़ाई लड़ी जाएगी

कांग्रेस नेता ने दो टूक कहा कि अगर पुजारियों के साथ अन्याय जारी रहा, तो वे खुलकर संघर्ष करेंगे। उनका कहना है कि किसी भी हालत में पुजारियों की जमीन या अधिकार छीने नहीं जा सकते। यह सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि आस्था और सम्मान का सवाल है।

राम मंदिर दर्शन पर आध्यात्मिक नजरिया

राम मंदिर दर्शन को लेकर पूछे गए सवाल पर दिग्विजय सिंह ने शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अहं ब्रह्मास्मि का भाव यह सिखाता है कि ब्रह्म भीतर ही है। इसलिए ईश्वर को पाने के लिए कहीं जाने की आवश्यकता नहीं। उन्होंने अद्वैत वेदांत के प्रवचनों के आयोजन की भी बात कही। 

राजनीति बनाम आस्था की बहस तेज

एमपी में मंदिर-पुजारी विवाद: मंदिर, पुजारी और आस्था से जुड़े इस मुद्दे ने एक बार फिर प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है। अब देखना होगा कि सरकार इन आरोपों पर क्या रुख अपनाती है।

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