BHOPAL. रविंद्र भवन में एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स की ओर से आयोजित 8वीं नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन एजुकेशन 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि देश में 74% मुस्लिम ही साक्षर हैं। इसमें महिलाओं की साक्षरता दर करीब 60% है, लेकिन सरकारी नौकरियों में SC और ST से मुस्लिम बहुत नीचे हैं। आयोजन में राजस्थान और हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. फुरकान कमर, भोपाल मध्य के विधायक आरिफ मसूद, उत्तर के विधायक आतिफ अकील, छत्तीसगढ़ के पूर्व डीजीपी मो. वाजिद अंसारी भी मौजूद रहे।
कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किए जा रहे हैं शिक्षक
सांसद दिग्विजय सिंह ने कार्यक्रम में शिक्षा और स्वास्थ्य की प्राथमिकता पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी देश की उन्नति दोनों क्षेत्रों पर निर्भर करती है। आज शिक्षा संस्थानों में बड़े पैमाने पर पद रिक्त पड़े हैं और कॉन्ट्रैक्ट पर शिक्षक नियुक्त किए जा रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति वाले शिक्षक किस प्रकार की गुणवत्ता प्रदान करेंगे? सरकार ने शैक्षिक पहुंच तो बढ़ाई, लेकिन जब तक इसकी गुणवत्ता में सुधार नहीं होता, तब तक वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है।
स्कूलों में अभी तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई
दिग्विजय सिंह ने कहा कि वर्तमान में सरकारी स्कूलों की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि कोई भी अपने बच्चों को भेजना नहीं चाहता। जब वह मुख्यमंत्री थे तब सरकारी स्कूलों में सुधार के लिए स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की योजना शुरू की थी, इसमें हर जिले में एक विद्यालय को चुनकर वहां बेहतरीन शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। योजना के बाद कई स्कूलों के छात्र मेरिट लिस्ट में आने लगे थे। पूर्व मुख्यमंत्री ने मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जुलाई से सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी है।
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शिक्षा पर ध्यान न देना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण
सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त शिक्षक और प्रोफेसर भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बनेंगे। उन्होंने कहा कि यही स्थिति रही तो 15 साल बाद हम किस शिक्षक को अवॉर्ड देंगे? वर्तमान सरकार को शिक्षा के क्षेत्र पर जितना ध्यान देना चाहिए, उतना नहीं दिया जा रहा है यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर बनने के लिए अब आरएसएस का होना ही योग्यता है। कोर्ट की टिप्पणी के बाद भी IIM डायरेक्टर को अभी तक नहीं हटाया गया।
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