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डिण्डौरी कलेक्टर ऑफिस से जारी एक आदेश को विवाद बढ़ने के बाद अब संशोधित कर दिया गया है। पहले आदेश में पत्रकारों के कलेक्टर परिसर में प्रवेश और इंटरव्यू करने रोक लगा दी गई थी। आदेश को लेकर विवाद बढ़ने पर कलेक्टर ने संशोधित कर नया आदेश जारी किया, जिसमें यह रोक हटा दी गई है।
पहले आदेश में क्या था?
30 जून को कलेक्टर नेहा मारव्या ने एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि कलेक्टर कार्यालय में राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और कर्मचारियों के संघ द्वारा बार-बार जुलूस, रैली और ज्ञापन के नाम पर भारी भीड़ आ जाती है। इससे लोक व्यवस्था और सुरक्षा पर खतरा पैदा होता है। इसी के चलते कई पाबंदियां लगाई गई थीं, जिनमें पत्रकारों के एंट्री और इंटरव्यू पर रोक भी शामिल थी।
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क्यों हुआ विवाद?
पत्रकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस आदेश का विरोध किया। उनका कहना था कि यह आदेश प्रेस की आजादी और पारदर्शिता के खिलाफ है। मीडिया को जनहित से जुड़ी खबरें कवर करने से नहीं रोका जा सकता।
क्या है संशोधित आदेश?
अब 1 जुलाई को कलेक्टर ने संशोधित आदेश जारी कर दिया है। इसमें पत्रकारों पर लगी पाबंदियों को हटा दिया गया है।
हालांकि, सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए बाकी नियम अब भी लागू रहेंगे।
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संशोधित आदेश की मुख्य बातें
परिसर में हथियार, डंडे, रॉड या अन्य धारदार चीजें लेकर प्रवेश पर रोक।
बिना अनुमति लाउडस्पीकर, नारेबाजी, बैनर-पोस्टर पर प्रतिबंध।
जन समस्याओं के नाम पर धरना, आंदोलन, चक्का जाम, घेराव की इजाजत नहीं होगी।
परिसर के बाहर बिना अनुमति रैली या प्रदर्शन की मनाही।
कोई व्यक्ति सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।
काले झंडे, नकाब पहनकर प्रदर्शन या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कार्य पर भी रोक।
पत्रकारों को लेकर क्या स्थिति
अब कलेक्टर कार्यालय परिसर में संगठनों की गतिविधियों पर नियंत्रण तो रहेगा, लेकिन पत्रकार अपनी रिपोर्टिंग के लिए वहां आ सकेंगे। कलेक्टर ने आदेश में संशोधन कर यह स्पष्ट कर दिया है कि पाबंदियों का मकसद केवल शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। प्रेस की आजादी पर अंकुश नहीं लगानी चाहती हैं।
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