धार के नेशनल पार्क में डायनासोर संग ले सकेंगे सेल्फी, अंडे भी दिखेंगे

संभागायुक्त दीपक सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश के धार जिले में जल्द ही डायनासोर नेशनल पार्क का निर्माण किया जा रहा है। यह पार्क उन क्षेत्रों में विकसित किया जाएगा, जहां वैज्ञानिकों को डायनासोर के जीवाश्म और अंडों के अवशेष मिले हैं।

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Vishwanath Singh
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इंदौर के नजदीक धार में अब लोगों को डायनासोर नेशनक पार्क का तुत्फ उठाने को मिल सकेगा। वे यहां पर ना केवल डायनासोर के जीवाश्म को देख व उसके बारे में पढ़ सकेंगे। बल्कि डायनासोर संग सेल्फी भी ले सकेंगे। इसके अलावा सरदारपुर में भी वन्यजीव अभ्यारण्य तैयार करने को लेकर भी चर्चा की गई। इसकी तैयारियों को लेकर सोमवार को संभागायुक्त दीपक सिंह ने अधिकारियों के साथ बैठक कर काम के बारे में जानकारी ली। 

इको सेंसेटिव झोन में है यह नेशनल पार्क

संभागायुक्त दीपक सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश के धार जिले में डायनासोर नेशनल पार्क का निर्माण किया जा रहा है। यह पार्क उन क्षेत्रों में विकसित किया जाएगा, जहां वैज्ञानिकों को डायनासोर के जीवाश्म और अंडों के अवशेष मिले हैं। इसके अलावा, धार जिले में स्थित सरदारपुर वन्यजीव अभ्यारण्य को भी विकसित करने की योजना बनाई गई है। धार जिले के बाग तहसील में डायनोसोर नेशनल पार्क बनेगा। इस पार्क के चारों और बोरकुरी, रिसावाला, बयादीपुरा (पाडलिया) और गंगकुई (जामनियापुरा) ग्राम हैं। यह नेशनल पार्क भी अन्य नेशनल पार्कों की तरह के अंतर्गत है। यह क्षेत्र वन्य जीव संरक्षण और पर्यावरण की दृष्टि  से भी संरक्षित क्षेत्र है। यह नेशनल इको सेंसेटिव झोनल पार्क भोपाल और मेघनगर रोड़ के बीच में होगा।

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बजट में भी रखा प्रावधान

मध्य प्रदेश विधानसभा में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने डॉ. मोहन यादव सरकार का दूसरा बजट पेश किया। बजट में धार जिले के बाग क्षेत्र में डायनासोर पार्क को डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई है। सरकार इस पार्क का पुनर्नवीकरण कर इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करेगी। बता दें कि, बाग में पहले से ही प्राचीन गुफाएं और डायनासोर के पदचिह्न मौजूद हैं। ग्राम पाड़लिया में निर्माणाधीन इस पार्क से क्षेत्र के आर्थिक विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।

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डायनासोर के 24 अंडे और अन्य फॉसिल्स देख सकेंगे

डायनासोर के रहन-सहन, खान-पान और अन्य जानकारी के साथ ही पार्क में रखे डायनासोर के 24 अंडे और अन्य फॉसिल्स देखने को मिलेंगे। पार्क के मुख्य गेट पर पर्यटकों को डायनासोर की उड़ने वाली कलाकृति देखने को मिलेगी। पार्क में ऐसा हैंगिंग फ्लोर बनाया गया है जहां पर्यटकों को पहाड़ी किनारे खड़े होने पर भी पहाड़ी के बीच में खड़े होंने का एहसास होगा। पार्क में 10 एकड़ क्षेत्र में 5 लोटस पॉन्ड, 4 बगीचे व हट्स बनाए गए हैं। पार्क में शाम को प्रसिद्ध आदिवासी नर्तक दल के साथ भगोरिया नृत्य की धूम भी रहेगी।

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मनोरंजन के लिए है ओपन थियेटर

इंदाैर से 90 और मांडू से 4 किमी दूर है फाॅसिल्स पार्क

कॉटेज में रुकेंगे

पर्यटक, मनोरंजन के लिए ओपन थिएटर

डायनासोर जीवाश्म पार्क का नवीनीकरण कार्य पूर्ण

बच्चों के लिए हॉट एयर बैलून, बंजी जंपिंग, टॉय ट्रेन, एटीवी बाइक

चांद तारे देखने के लिए पार्क में दूरबीन भी लगाई जाएंगी, पार्क में रखे है डायनासोर के 24 अंडे

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इंदौर से 152 किलोमीटर दूर है यह पार्क

उन्होंने बताया कि मेघनगर रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी 95 किलो मीटर होगी, जबकि इंदौर रेलवे स्टेशन से 152 किलो मीटर और भोपाल रेलवे स्टेशन से दूरी 350 किलो मीटर होगी। इस नेशनल पार्क के आसपास बड़केश्वर महादेव मंदिर, हनुमान मंदिर, ऐतिहासिक बाग गुफाएं और किले हैं, जो पर्यटकों को यहां आने के लिये आकर्षित करेंगे। इस नेशनल पार्क में शीशम, नीम, आंवला सहित हजारों प्रजातियों के आयुर्वेदिक एवं औषधीय पेड़ होंगे, वहीं सियार, लोमड़ी जैसे वन्य जीव भी होंगे। 

सालभर में 15 हजार पर्यटक आते हैं

पर्यटकों की दृष्टि से भी यह पार्क सबको लुभाएगा। वर्तमान में यहां सालाना 15 हजार से  अधिक पर्यटक आतें है। पार्क बन जाने के बाद पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी। इस क्षेत्र में घूमने का सबसे श्रेष्ठ समय अक्टूबर से लेकर दिसम्बर तक का होता है। उस समय तीन-चार गुना अधिक पर्यटक आतें हैं। वीकेंड पर भी संख्या बढ़ जाती है।

आदिवासियों के अधिकारों का हनन ना हो

संभागायुक्त सिंह ने बताया कि डायनोसोर नेशनल पार्क को बनाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा जायेगा कि आदिवासी समाज के अधिकारों का हनन नहीं हो। क्योंकि इस क्षेत्र में आदिवासी समाज बहुसंख्यक में है। इसलिये उनकी परम्परा, त्यौहार, उत्सव आदि का विशेष ध्यान रखा जायेगा। पार्क के माध्यम से प्रकृति संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जायेगा। पार्क के समीप ऐसी गतिविधियां चलाई जायेगी जिससे प्रकृति को भी नुकसान नहीं पहुंचे और आदिवासी समाज को भी रोजगार मिल सके। क्षेत्र में बाग प्रिंट को बढ़ावा दिया जायेगा और युवाओं का स्कील डेवलपमेंट किया जायेगा।

लोमड़ी, बंदर, लंगूर भी रहेंगे सरदारपुर में

बैठक में सरदारपुर वन्यजीव अभ्यारण्य पर भी विस्तार से चर्चा हुई। यह वन्यजीव अभ्यारण्य भी इको सेंसेटिव झोन के अंतर्गत होगा। इस वन्य जीव अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के वन्यजीव जैसे लोमड़ी, बंदर, लंगूर, सियार सहित विभिन्न प्रकार के पक्षी भी होंगे। विशेषकर खरमोर पक्षी का संरक्षण किया जायेगा। इस क्षेत्र में खरमोर पक्षी विशेष रूप से पाये जाते हैं। यहां टीक, बबूल, पलाश, अंजन जैसे कई पेड़ पौधों की विशाल श्रृंखला होगी। अभ्यारण्य में पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जायेगा। पर्यटकों को आकर्षित करने के विशेष प्रयास किये जायेंगे। मालवा और निमाड़ की दृष्टि से सरदारपुर वन्यजीव अभ्यारण्य महत्वपूर्ण केन्द्र साबित होगा। यह जूलॉजी के विद्यार्थियों के सीखने के लिये महत्वपूर्ण केन्द्र बन सकता है।

 

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