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The Sootr
इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने एक अजीबोगरीब हरकत की है, जिसे देखकर अमिताभ बच्चन की फिल्म "नमक हलाल" का वह गाना याद आता है – 'आपका तो लगता है, बस यही सपना, राम नाम जपना, पराया माल अपना'। वे नवंबर में कॉलेज से रिटायर क्या हुए कि एचएलएल कंपनी के ट्रक में सरकारी सामान को अपना समझकर भर ले गए। अब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन उनसे सरकारी सामान को वापस लौटाने के लिए मिन्नतें कर रहा है, लेकिन डॉ. दीक्षित भी हैं कि सामान लौटाने के लिए बहाने बनाते जा रहे हैं।
यह है पूरा मामला
डॉ. संजय दीक्षित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पद से नवंबर में रिटायर हो गए। उसके बाद जब उन्हें कॉलेज प्रबंधन की तरफ से अपना बंगला खाली करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने इसे अपने अंदाज में खाली करना ले लिया। फिर क्या था, उन्होंने सच में पूरा बंगला ‘खाली’ कर दिया। यहां से वे अपने साथ ना केवल अपना सामान ले गए, बल्कि वह सामान भी ले गए जो सरकारी संपत्ति के तौर पर बतौर डीन उन्हें मिला था।
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कुर्सी, लैपटॉप, फ्रिज, प्रिंटर तक ले गए
डीन ने एचएलएल कंपनी का ट्रक बुलवाया और उसमें सरकारी संपत्ति – सीमेंट की कुर्सी, सोफा, फ्रिज, पर्दे, एसी, पंखे, ट्यूबलाइट, लैपटॉप, एलसीडी, 25 से ज्यादा गमले, एयर प्यूरीफायर, टेबल आदि सहित करीब दो दर्जन से ज्यादा सामान भरकर ले गए। उनके जाने के बाद जब कर्मचारी बंगले पर पहुंचे, तो वे चौंक गए, क्योंकि कुछ जगहों के नल की टोटियां तक गायब थीं।
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बंगले का माली बागवानी करने पहुंचा तो गमले गायब देख चौंका
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व डीन डॉ. संजय दीक्षित के बंगले को खाली करने के बाद जब माली गार्डन में पहुंचा, तो उसने गमले तलाशने शुरू किए। कर्मचारियों से पूछने पर पता चला कि गार्डन के सारे अच्छे गमले तो डॉ. दीक्षित अपने साथ लेकर चले गए। इसके बाद उसने बचे हुए पौधों और गमलों की ही बागवानी करना शुरू किया।
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दान में मिला सामान भी साथ ले गए
आमतौर पर शहर के प्रबुद्धजन या सामाजिक और राजनीतिक संगठन अपने प्रियजनों की याद में या फिर सीएसआर फंड के तहत एमजीएम मेडिकल कॉलेज या इससे संबद्ध एमवायएच, सुपर स्पेशियलिटी आदि में मरीजों के हित में सामान दान करते रहते हैं। इस सामान का उपयोग शासकीय कार्यालय या अस्पतालों में किया जाता है। इस मामले में जो जानकारी सामने आ रही है, वह यह है कि डॉ. दीक्षित दान में दिए गए सामान का उपयोग स्वयं के लिए कर रहे थे और जिसे वे रिटायर होने पर अपने साथ ले गए। बताया गया कि इसमें कुछ सामान, जैसे कि कुर्सी, टेबल, एयर प्यूरीफायर आदि सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का भी शामिल है।
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पूर्व डीन डॉ. पांडे ने कई बार सामान वापस करने के लिए कहा
डॉ. दीक्षित के रिटायर होने के बाद डॉ. वी.पी. पांडे को डीन का प्रभार मिला। इसके बाद उन्हें स्टाफ से जानकारी मिली कि डॉ. दीक्षित अपने साथ ना केवल डीन बंगले का सामान, बल्कि मेडिकल कॉलेज के डीन ऑफिस का सामान भी ले गए हैं। इसके बाद डॉ. पांडे ने डॉ. दीक्षित को कॉल करके सामान लौटाने के लिए कहा। इस पर वे कई दिनों तक टालमटोल करते रहे।
ट्रक भरकर ले गए, लौटाए सिर्फ 5 सामान
डॉ. दीक्षित ने जब बंगला खाली किया, तो पूरा ट्रक भरकर सामान ले गए। सूत्रों के मुताबिक, जब डॉ. पांडे ने कार्रवाई की बात कही, तब बमुश्किल ढाई महीने बाद 5 सामान लौटाया। इसमें लैपटॉप, फ्रिज, सोफा, प्रिंटर और सीमेंट की कुर्सी शामिल हैं। बताया जाता है कि इस सामान की एंट्री स्थापना शाखा में पूर्व में पदस्थ राकेश गोरखे ने की थी।
फोन का जवाब तक नहीं दिया
इस संबंध में जब डॉ. दीक्षित से उनका पक्ष जानने के लिए द सूत्र ने उन्हें 3 दिन तक कॉल व मैसेज किए, लेकिन उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया। वे जो सरकारी सामान अपने साथ ले गए थे उसके फोटो भी उन्हें भेजकर जवाब मांगा गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
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जांच कमेटी इस पूरे मामले की करेगी पड़ताल
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मौजूदा डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने कहा कि इसकी जानकारी मुझे मीडिया और कर्मचारियों से मिली है। यह काफी गंभीर मामला है। चूंकि यह शासकीय संपत्ति से जुड़ा मामला है, इसलिए मैं इसे दिखवा रहा हूं। मैंने जांच कमेटी बनाने के आदेश दे दिए हैं। कमेटी पूरे मामले की पड़ताल करके रिपोर्ट देगी, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।