DPI ने गजब किया, जीवित शिक्षकों को मरा बताकर किया इनएक्टिव

लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) का एक और कारनामा सामने आया है। संचालनालय के अधिकारियों ने एक-दो नहीं बल्कि एक लाख 46 हजार 363 शिक्षकों की यूनिक आईडी इनएक्टिव कर दी है।

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Sanjay gupta
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स्कूल शिक्षा विभाग के लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) का एक और कारनामा सामने आया है। संचालनालय के अधिकारियों ने एक-दो नहीं बल्कि एक लाख 46 हजार 363 शिक्षकों की यूनिक आईडी इनएक्टिव कर दी है। इसमें 22 हजार 672 को मृत बताया गया। यानी कि यह अब विभाग में कार्यरत नहीं है, ऐसा रिकार्ड में आ चुका है। जब शिक्षकों को यह बात पता चली तो उन्होंने शिकायतें की। इस पर अब विभाग जागा और उन्होंने हर जिला शिक्षा अधिकारी से उनके जिले के शिक्षकों का जानकारी मांगी है।

इस तरह बताए गए इनएक्टिव होने के कारण

डीपीआई से जो लिस्ट सामने आई है उसके अनुसार 1.46 लाख शिक्षकों की आईडी इनऐक्टिव की गई है। इसके कारण बताए गए हैं

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1-    मृत होने से इनऐक्टिव- 22 हजार 672 शिक्षक
2-    रिटायरमेंट के कारण- 1 लाख दो हजार 637
3-    इस्तीफा देने वाले- 18 हजार 243 
4-    टर्मिनेट किए गए- 2781

जब शिकायतें पहुंची तो पड़ी सुध

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जब इन शिक्षकों को इनएक्टिव किया गया तो इसमें से कई शिक्षक विभाग के पास पहुंचे और बताया गया कि उनकी यूनिक आईडी बंद कर दी गई है। वहां पता चला कि वह तो रिटायमेंट वाली या मृत होने वाली या इस्तीफा देने वाली सूची में आ चुके हैं। इस पर खुद शिक्षक हैरान हुए और फिर बात डीपीआई भोपाल स्तर पर पहुंची।

इसके बाद पूरी लिस्ट की जांच की बात उठी

इसके बाद अब डीपीआई से संचालक केके दिवेदी ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है और कहा है कि एजुकेशन पोर्टल पर लोकसेवकों को इनएक्टिव किए जाने की विस्तार से जानकारी दी जाए। इसमें ही लिखा है कि कई लोकसेवकों को आवेदन मिले हैं कि उनकी आईडी एक्टिव की जाए। इसलिए अब प्रत्येक लोकसेवक का परीक्षण कर फार्मेट में जानकारी दी जाए।

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यह जानकारी मांगी गई है

लोकसेवक का नाम, यूनिक आईडी नंबर, पदनाम, शाला का डाइस कोड, शाला का नाम, इनएक्टिव करने का कारण, एक्टिव करने का कारण और इस गलती के लिए जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी का नाम व पद।  

द सूत्र ने लगाया फोन, नहीं उठाया

इस मामले में द सूत्र ने जिम्मेदार अधिकारियों को फोन करके उनका पक्ष जानना चाहा लेकिन डीपीआ में पदस्थ कामना आचार्य और संचालक केके दिवेदी ने जवाब नहीं दिया।

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