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मध्य प्रदेश में 30 लाख से ज्यादा दिव्यांगजनों को हर महीने महज 600 की पेंशन दी जा रही है। प्रदेश में करीब 30 लाख दिव्यांगजन हैं, जिनमें से केवल 9.49 लाख लोगों को ही यूनिक डिसेबिलिटी आईडी (UDID) कार्ड जारी किए गए हैं। एमपी में विधानसभा चुनाव के दौरान सरकार ने पेंशन 1500 देने का वादा किया था जो अब तक पूरा नहीं किया गया है।
कानून कहता है 1562, सरकार थमा रही सिर्फ 600
मध्यप्रदेश में दिव्यांगजनों को पेंशन के नाम पर हर माह महज 600 रुपए थमा दिए जाते हैं। जबकि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 24 (1) साफ कहती है कि राज्य की किसी भी योजना की सर्वाधिक राशि से 25 प्रतिशत अधिक दिव्यांगों को मिलनी चाहिए।
इसका सीधा अर्थ है कि पेंशन कम से कम 1562 प्रति माह होनी चाहिए, लेकिन जो मिल रहा है वो महज एक तिहाई भी नहीं। ये बात सरकार जानती है, कोर्ट ने कह भी दी है, फिर भी आंखों पर पट्टी है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं मिल रही पेंशन
मप्र हाईकोर्ट ने भी आदेश दिए थे कि दिव्यांगों को नियमों के अनुसार पेंशन दी जाए। लेकिन अफसरशाही ने आदेशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया। कोर्ट भी बोल चुका लेकिन सरकारी सिस्टम है कि सुनता ही नहीं।
दिव्यांग पेंशन 1500 करने का चुनावी वादा भूली सरकार
विधानसभा चुनाव 2023 में सत्ताधारी भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि दिव्यांगजनों को हर माह 1500 रुपए की पेंशन दी जाएगी। मगर, जैसे ही चुनाव खत्म हुआ, घोषणा पत्र भी चुनावी पन्नों में गुम हो गया। दिव्यांगजन अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अभी मात्र 600 रुपए ही पेंशन दी जा रही है।
वित्त विभाग से मंजूरी का इंतजार
सामाजिक न्याय मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने जानकारी दी है कि दिव्यांग पेंशन के संबंध में प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा जा चुका है और मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया गया है। फिलहाल वित्तीय मंजूरी नहीं मिली है। मंत्री ने यह भी कहा कि इस पेंशन योजना में केंद्र सरकार का सहयोग भी जरूरी होता है, इसलिए वहां से स्वीकृति का इंतजार है। इसके बावजूद सरकार इस वादे को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
लाड़ली बहना पर जोर, दिव्यांगजन उपेक्षा
इसी बीच राज्य सरकार लाड़ली बहना योजना की राशि को दिवाली तक 1500 प्रतिमाह करने की योजना बना रही है। इस पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने आरोप लगाया कि सरकार वोट बैंक साधने के लिए कुछ योजनाओं को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं को खुश करने के लिए उनकी योजना की राशि तो बढ़ा रही है, लेकिन दिव्यांगजनों की उपेक्षा कर रही है।
MP से ज्यादा यहां दिव्यांग पेंशन
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दिल्ली: 3000
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झारखंड: 1000
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हरियाणा: 3250
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बिहार: 1100 ( हाल ही में बढ़ाई गई)
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पंजाब: 1500
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मध्यप्रदेश: 600
बिहार-झारखंड ने किया सुधार, एमपी पीछे
ताजा उदाहरण बिहार का है, जहां हाल ही में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने दिव्यांग पेंशन 400 से बढ़ाकर 1100 कर दी। झारखंड में भी दिव्यांगजनों को 1000 रुपए दिए जा रहे हैं। वहीं हरियाणा जैसे राज्यों में तो 3500 रुपए तक पेंशन दी जा रही है। दिल्ली में 3000 रुपए पेंशन दी जा रही है।
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क्या चुनाव का करना होगा इंतजार
बिहार में चुनाव होने वाले हैं, इसी बीच राज्य के सीएम नीतिश कुमार ने दिव्यांगों की पेंशन बढ़ाकर 1100 रुपए कर दी। एमपी के में पिछले (2023) के चुनाव में पेंशन को 1500 करने का वादा किया गया था। अब प्रदेश के 30 लाख से ज्यादा दिव्यांग इंतजार कर रहे हैं। अब पेंशन बढ़वाने के लिए एमपी के दिव्यांगजनों को भी अगले चुनाव का इंतजार करना पड़े। संभवत: चुनावी मौसम में एमपी में भी सरकार दिव्यांग पेंशन बढ़ा दे।
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