Supreme Court Hearing : सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जजों को पेंशन और रिटायरमेंट बेनीफिट नहीं देने पर मध्य प्रदेश समेत 22 राज्यों को फटकार लगाई है। इसके साथ ही सभी राज्यों के मुख्य सचिव और वित्त सचिवों को व्यक्तिगत रूप से 23 अगस्त को पेश होने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग ( Second National Judicial Pay Commission ) की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है।
अब और मौका नहीं दिया जाएगा
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा हम किसी को जेल नहीं भेज रहे हैं, लेकिन अब सीएस और वित्त सचिव को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना ही पड़ेगा। हम 7 बार कम्प्लाइंस का मौका दे चुके हैं, इसके बाद भी उन्होंने आदेश का पालन नहीं किया है। अब और वक्त नहीं दिया जाएगा।
इन राज्यों को लगाई फटकार
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, असम, नागालैंड, मिजोरम, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, केरल, मेघालय, तमिलनाडु, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, सिक्किम और त्रिपुरा शामिल है। कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव और वित्त सचिवों से 20 अगस्त तक SNJPC ( Second National Judicial Pay Commission ) की याचिका को लेकर पहले दिए आदेश के पालन की रिपोर्ट भी तलब की है।
6 महीने से आदेश की अनदेखी
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को दिए फैसले में पूरे देश में न्यायिक अफसरों की सेवा शर्तों में एकरूपता का आदेश दिया था। इस आदेश के पालन के लिए हर राज्य में हाईकोर्ट के दो जजों की समिति बनाने का भी आदेश भी दिया था, लेकिन अधिकांश राज्यों ने आदेश इसका पालन नहीं किया।
पारिवारिक पेंशन की समस्याएं अनसुलझी
कोर्ट ने कहा कि न्यायिक सेवा को छोड़कर अन्य सेवाओं के अधिकारियों ने अपनी सेवा शर्तों की समीक्षा जनवरी 2016 से की है, लेकिन न्यायिक अधिकारियों के सेवा शर्तों के मामले 8 साल बाद भी अनसुलझे हैं। इस दौरान कई जजों का रिटायरमेंट हुआ और जिनका निधन हुआ, उनकी पारिवारिक पेंशन की समस्याएं भी अनसुलझी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां भी आयकर अधिनियम के तहत भत्तों पर TDS से छूट है, राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनमें जजों के वेतन भत्तों से कोई कटौती न की जाए। जहां TDS गलत तरीके से काटा गया, उस राशि को न्यायिक अधिकारियों को वापस करना चाहिए। इस केस में एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) के पार्थसारथी ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के सामने SNJPC को लेकर मौजूदा स्थिति की जानकारी पेश की थी। इसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।