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इंदौर के यशवंत क्लब में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। पहले ही नई सदस्यता को लेकर विवाद हो चुका है जो अभी भी जारी है। लेकिन अब नया विवाद कॉर्पोरेट मेंबर को लेकर हो गया है। क्लब के संविधान के मुताबिक कुछ तय नियमों के अनुसार कॉर्पोरेट कंपनियों को सदस्यता दी जाती हैं, इनकी ओर से कोई भी तय प्रतिनिधि क्लब की सुविधाओं का लाभ ले सकता है। लेकिन सालों से इसे लेकर किसी ने झांका तक नहीं कि अब यह कंपनियां वाकई अस्तित्व में भी हैं या नहीं। इसे लेकर अब क्लब के एक सदस्य ने पूरी सूची के साथ शिकायत की है।
यह हुई है शिकायत
क्लब के वरिष्ठ सदस्य अनिल झंवर ने क्लब के सचिव संजय गोरानी को तीन पन्नों का एक पत्र देते हुए कॉर्पोरेट मेंबर की सूची दी है। इसमें बताया गया है कि इनकी कायदे से अब सदस्यता नहीं बनती है, क्योंकि अब यह कंपनियां मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट (एमओसी) की वेबसाइट पर अस्तित्व में नहीं दिख रही हैं। उन्होंने दो कैटेगरी में कुल 13 कॉर्पोरेट मेंबर वाली कंपनियों की सूची देकर इसकी जांच कर सदस्यता खत्म करने के लिए कहा है।
पहली सूची में यह 15 नामी कंपनियों के नाम
पहली सूची में झंवर ने 15 कंपनियों के नाम दिए हैं और कहा है कि यह अब एमओसी की साइट पर नहीं हैं। या तो इनका नाम बदल गया, या किसी ने टेकओवर कर लिया या अन्य किसी भी कारण से लेकिन अब यह मंत्रालय की साइट पर नहीं हैं। इसके बाद भी इनके मेंबर क्लब की सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं।
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अग्रवाल ओवरसीज लिमिटेड
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आनंद स्टील्स प्रालि
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भास्कर एक्सआईल्स लिमिटेड
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डीबी कॉर्प लिमिटेड
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एस. कुमार लिमिटेड
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केडिया लिकर लिमिटेड
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एसडी फाइन केम लिमिटेड
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मिड इंडिया स्पीनिंग लिमिटेड
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एचडीएफसी लिमिटेड
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लक्ष्मी साल्वेक्स
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रूचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड
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हिंद फिल्टर्स लिमिटेड
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आनंद राठी सिक्यूरिटीज लिमिटेड
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नेशनल स्टील इंडिया लिमिटेड
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गुजरात अंबूजा एक्सपोर्ट लिमिटेड
दूसरी सूची में इन 8 कंपनियों के नाम
वहीं झंवर ने आठ और कंपनियों की अलग लिस्ट दी है। इसके लिए कहा गया है कि इन कंपनियों की सालों से बैलेंस शीट नहीं भरी गई है। या तो ये कंपनियां किसी में मर्ज हो गईं या दिवालिया हो गईं हैं, या किसी अन्य द्वारा टेकओवर कर लिया गया है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स की सूची में यह अब अस्तित्व में नहीं हैं। इसलिए इनकी सदस्यता को लेकर भी फैसला लिया जाए।
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अमूल्या एक्सपोर्ट लिमिटेड - साल 2011 से बैलेंस शीट नहीं
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प्रेस्टीज फूड्स लिमिटेड - 2013 से बैलेंस शीट नहीं
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राजरतन सिंथेटिक्स लिमिटेड - लिक्विडेट हो गई, 2015 से नहीं है बैलेंस शीट
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एसटीआई इंडिया लिमिटेड - 2019 से बैलेंस शीट नहीं
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पेरेंटल ड्रग्स इंडिया लिमिटेड - इसकी भी साल 2022 से बैलेंस शीट नहीं
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प्लेथियो फार्मा स्यूटिकल लिमिटेड - लिक्वेडाइजेशन में है 2015 से बैलेंस शीट नहीं
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के एस आयल लिमिटेड - साल 2017 से बैलेंस शीट नहीं
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सन मेटालिक्स एंड एलाय प्रालि - इसकी साल 2019 से बैलेंस शीट नहीं
(जैसा इन कंपनियों को लेकर अनिल झंवर ने अपनी शिकायत में लिखा है)
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मामला ईओजीएम में गया तो वहां से टाल दिया गया
झंवर की शिकायत को लेकर क्लब में हलचल भी मची। कुछ दिन पहले ही इस मुद्दे को लेकर ईओजीएम भी हुई लेकिन इस मुद्दे को टाल दिया गया और मामला मैनेजिंग कमेटी के पाले में डाल दिया कि वह अपने स्तर पर इनकी सदस्यता को लेकर फैसला ले। झंवर ने इन कंपनियों की वैधानिक स्थिति की जांच कर इनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की और इन पर क्लब की सुविधाओं का बेजा लाभ उठाने की बात कही है। लेकिन जानकारी के अनुसार कमेटी ने मामला अभी ठंडे बस्ते में डाल दिया है क्योंकि कंपनियों से जुड़े लोग बड़े व्हाइट कॉलर वाले लोग हैं, इसलिए क्लब मैनेजिंग कमेटी ने इस पर चुप्पी साध ली है।
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