IAS जमुना भिड़े ने संभागायुक्त दीपक सिंह के आदेश को ही किया खारिज, उनके क्षेत्राधिकार जिलों में आदेश खुद कर दिए

आईएएस जमुना भिड़े ने संभागायुक्त दीपक सिंह के ही कार्यविभाजन आदेश को खारिज कर दिया है। उन्होंने दो दर्जन से ज्यादा कोर्ट केस में खुद ही आदेश जारी कर दिए। 

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Sanjay gupta
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IAS जमुना भिड़े
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संभागायुक्त इंदौर के दफ्तर में 20 करोड़ की जमीन के मामले में विवादित आदेश कर चुकी अपर आयुक्त IAS जमुना भिड़े अब एक नए विवादों में आ गई है। उन्होंने संभाग के मुखिया संभागायुक्त इंदौर दीपक सिंह के ही कार्यविभाजन आदेश को खारिज करते हुए एक- दो नहीं बल्कि दो दर्जन से ज्यादा कोर्ट केस में खुद ही आदेश जारी कर दिए। द सूत्र के पास इसके पूरे दस्तावेज मौजूद है। 

क्या हुआ था आदेश ?

राजस्व मामले सुनने के संभाग के सभी जिलों के अधिकार पहले अपर आयुक्त भिड़े के पास थे, लेकिन रंगवासा का विवादित आदेश व अन्य मामले सामने आने के बाद संभागायुक्त दीपक सिंह ने 6 अप्रैल को एक आदेश जारी किया। इसमें राजस्व मामले में इंदौर, धार और खरगोन जिले के केस आयुक्त कोर्ट में रखे और भिड़े की कोर्ट में खंडवा, झाबुआ, बड़वानी, बुरहानपुर और अलीराजपुर जिले को रखा। साथ ही उन्हें खनन व अन्य कार्य दिए गए। यह आदेश एक जून से लागू करने का भी आदेश था।

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क्या किया भिड़े मैडम ने

यह आदेश एक जून से लागू था, लेकिन इसके बाद भी अपर आयुक्त जमुना भिड़े ने दो दर्जन से ज्यादा केस में सुनवाई और आदेश करना जारी रखा। उन्होंने जून अंत तक कई केस में फैसला सुना दिया, जो उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं था। विधिक तौर पर देखें तो कोई भी इन फैसलों को लेकर चुनौती दे सकता है, क्योंकि कार्यविभाजन के हिसाब से यह उनके अधिकार क्षेत्र में केस बचे ही नहीं थे।

रंगवासा केस का विवादित मामला अब संभागायुक्त के पास

नए विभाजन के बाद रंगवासा की विवादित 80 एकड़ जमीन का केस अब संभागायुक्द दीपक सिंह की कोर्ट में आ चुका है। दरअसल इस मामले में पांच अपील लगी थी, जो कलेक्टर कोर्ट से खारिज हुई थी। इसमें से दो तो भिड़े ने खारिज की और तीन मान्य की और फिर इसमें से एक खुद रिव्यू में लेकर खारिज की।

यह खारिज तीन याचिकाओं के केस हाईकोर्ट गए और वहां से आदेश हुए कि इन्हें फिर से सुना जाए। यानी यह केस संभागायुक्त कार्यालय वापस आ गए हैं। अब नए कार्यविभाजन में इंदौर जिला संभागायुक्त के पास है, ऐसे में यह केस वह सुनेंगे। हालांकि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में इन्हें फिर से अपर आयुक्त कोर्ट में सुनवाई के लिए डायरेक्शन दिया है।

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