MP News : मध्यप्रदेश के उज्जैन (ujjain) जिले के डोंगला गांव में एक अत्याधुनिक डिजिटल तारामंडल का उद्घाटन शनिवार (21 june) को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव करेंगे। इस तारामंडल के साथ वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला का राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें देशभर के प्रमुख खगोलविदों की उपस्थिति रहेगी। इस तारामंडल का उद्देश्य न केवल प्रदेशवासियों को खगोलशास्त्र की रोमांचक दुनिया से परिचित कराना है, बल्कि देश की खगोलीय विरासत को भी एक नया आयाम देना है।
डोंगला गांव का खगोलीय महत्व
डोंगला गांव खगोल और ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहीं से कर्क रेखा गुजरती है। यह गांव महिवपुर तहसील के अंतर्गत आता है और खगोल विज्ञान में विशेष स्थान रखता है। वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला की स्थापना की गई थी, जिसे आइआइए बैंगलूरू और एसाइज नैनीताल का सहयोग प्राप्त हुआ था। अब इस तारामंडल की स्थापना से यह गांव और भी अधिक खगोलीय महत्व को प्राप्त करेगा।
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अत्याधुनिक तारामंडल की खासियत
तारामंडल का निर्माण 1.6 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है और यह पूरी तरह से वातानुकूलित होगा। इसमें 8 मीटर व्यास का एफआरपी डोम है, जिसमें अत्याधुनिक ई-विजन 4 डिजिटल प्रोजेक्टर और डिजिटल साउंड सिस्टम स्थापित किया गया है। इस सुविधा का उपयोग कर 55 लोग एक साथ तारों की रोमांचक दुनिया का अनुभव कर सकेंगे। यह तारामंडल न केवल खगोलशास्त्र के छात्रों के लिए एक शोध केंद्र होगा, बल्कि आम लोगों के लिए भी खगोल घटनाओं का अनुभव करने का एक बेहतरीन अवसर प्रस्तुत करेगा।
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राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ इस उद्घाटन समारोह में पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला में शून्य छाया का अवलोकन भी करेंगे। इस कार्यशाला में देशभर के खगोलविद, वैज्ञानिक और शोधकर्ता खगोल विज्ञान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और नई जानकारियाँ साझा करेंगे।
कोलकाता के डीप स्काई प्लेनेटेरियम का सहयोग
इस तारामंडल के निर्माण में आचार्य वराहमिहिर न्यास द्वारा अवादा फाउंडेशन का आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही, कोलकाता के डीप स्काई प्लेनेटेरियम ने इस परियोजना के तकनीकी मार्गदर्शन का भी अहम योगदान दिया है।
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नजदीक से देख सकेंगे तारों, ग्रहों और अन्य खगोल घटनाओं को
यह अत्याधुनिक तारामंडल न केवल मध्यप्रदेश में खगोलशास्त्र के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से लोगों को खगोलशास्त्र से जुड़ी रोमांचकारी घटनाओं के प्रति जागरूक करने का एक अनूठा प्रयास भी है। इसके माध्यम से लोग तारों, ग्रहों और अन्य खगोल घटनाओं को अधिक नजदीक से देख सकेंगे, जिससे न केवल खगोलशास्त्र में रुचि बढ़ेगी, बल्कि विज्ञान के प्रति लोगों का आकर्षण भी बढ़ेगा।
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उज्जैन का डोंगला गांव: एक खगोल शास्त्र का केंद्र
उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील में स्थित ऐतिहासिक गांव डोंगला खगोल और ज्योतिष विज्ञान के दृष्टिकोण से एक विशेष स्थान रखता है। यहां से कर्क रेखा गुजरती है, जो इसे प्राचीन समय से ही एक महत्वपूर्ण खगोल शास्त्रीय स्थल बनाती है। भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, मध्य प्रदेश शासन ने वर्ष 2013 में यहां वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला की स्थापना की, जो इस स्थान को और भी प्रमुख बनाती है।
इस वेधशाला की स्थापना में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बैंगलोर और आर्यभट्ट प्रशिक्षण विज्ञान शोध संस्थान, नैनीताल का महत्वपूर्ण तकनीकी योगदान है। वेधशाला में स्थापित 20 इंच का अत्याधुनिक टेलीस्कोप, 5 मीटर के डोम में शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह सुविधा प्रदेश और देशभर के विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों को खगोल विज्ञान में अध्ययन और अनुसंधान के नए अवसर प्रदान कर रही है।