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परिस्थितियों से थक-हारकर जीवनलीला समाप्त करने वाले अतुल सुभाष अकेले पुरुष नहीं, न आखिरी हैं। यह सिलसिला ऐसे ही चल रहा है। इस घटना के बाद से दहेज कानून के दुरुपयोग और उससे पुरुषों पर पड़ने वाले असर पर चर्चा हो रही है। कानून, जज, वकील और पुलिस के गठबंधन में फंसने के बाद पुरुष पूरी तरह टूट जाता है। बता दें कि अतुल सुभाष के केस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दहेज कानून में बदलाव की याचिका को स्वीकार कर लिया है।
मध्य प्रदेश के आंकड़े कर रहे हैरान
दहेज प्रताड़ना जैसे झूठे मामलों में फंसने के बाद पुरुषों द्वारा आत्महत्या करने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इंडिया इन पिक्सल्स की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में अकेले मध्यप्रदेश में 358 पुरुषों ने आत्महत्या की, जो देश में तीसरे नंबर पर है। ग्वालियर-चंबल अंचल में पति-पत्नी के बीच के झगड़े और दहेज कानून के दुरुपयोग के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
दहेज प्रताड़ना के झूठे आरोप में आत्महत्या के लिए मजबूर
कई मामलों में पुरुषों और उनके परिवारों को झूठे दहेज प्रताड़ना के केस में फंसाया जा रहा है। इस दबाव में पुरुषों का मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है और वे आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठा रहे हैं। इंडिया इन पिक्सल्स संस्था की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 4237 पुरुषों ने शादी से जुड़े विवादों के चलते आत्महत्या की। इनमें से 358 पुरुष मध्य प्रदेश से थे, जो देश में तीसरे स्थान पर है। इन सभी सुसाइड का कारण शादी से जुड़ा विवाद था। इंडिया इन पिक्सल्स रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि देशभर में आत्महत्या करने वाले 60-70% लोग पुरुष होते हैं।
ग्वालियर-चंबल अंचल में विवादित शादियां बनीं सिरदर्द
मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पिछले 6 महीनों में ऐसे सैकड़ों मामले सामने आए हैं, जहां पत्नियों ने पतियों पर झूठे दहेज के आरोप लगाकर केस दर्ज कराए हैं। इस अंचल में 6 महीने में 959 शादीशुदा जोड़ों में झगड़े के मामले सामने आए। इनमें से 486 मामलों में समझौता हो गया, जबकि 207 केस अदालत तक पहुंचे। पत्नियों द्वारा पतियों के खिलाफ 239 एफआईआर दर्ज कराई गईं। यह सिर्फ एक जिले की बात है। मध्य प्रदेश में ऐसे 55 जिले हैं।
मध्यप्रदेश में ये जिले टॉप पर
पति-पत्नी में विवाद के आकड़ों को सही मानें तो भोपाल में सबसे ज्यादा 684 मामले दर्ज हुए हैं। इंदौर में 532, जबलपुर में 412 और ग्वालियर में 561 मामले सामने आए। राजगढ़ में 426, सागर में 424 और रीवा में 225 मामले दर्ज किए गए। मुरैना में 279, धार में 201 और अशोकनगर में 134 मामले हैं। बुरहानपुर में 120, छतरपुर में 168 और दमोह में 163 मामले हैं। बालाघाट में 136, बड़वानी में 64 और भिंड में 101 मामले दर्ज हुए।डिंडोरी में 122, नर्मदापुरम में 190 और उज्जैन में 191 मामले सामने आए। शिवपुरी में 152 और अलीराजपुर में सिर्फ 7 मामले दर्ज हुए। ग्वालियर, इंदौर, भोपाल और जबलपुर के आंकड़े बताते हैं कि यहां घरेलू विवादों और दहेज प्रताड़ना के झूठे मामलों में पुरुषों का जीवन तनावपूर्ण हो गया है।
दहेज कानून में एक बार फंसे तो निकलना मुश्किल
दहेज कानून (dowry law) का दुरुपयोग करने के आरोप लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि एक बार पुरुष पर केस दर्ज हो जाए तो उसका बाहर निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि कई पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं। ये मामले सिर्फ किसी एक राज्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे देश में चिंता का विषय बन गए हैं। मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पिछले 6 महीनों में ऐसे सैकड़ों मामले सामने आए हैं, जहां पत्नियों ने पतियों पर झूठे दहेज के आरोप लगाकर केस दर्ज कराए हैं।
पुलिस का इस मामले में कहना है...
पुलिस अधिकारियों का इस मामले में मानना है कि कई बार छोटे-छोटे झगड़े बड़े विवाद का रूप ले लेते हैं। ग्वालियर महिला थाना डीएसपी किरण अहिरवार ने बताया कि संयुक्त परिवारों में विवाद की स्थिति ज्यादा होती है। कई बार विवाद का कारण मोबाइल भी बनता है, क्योंकि पति-पत्नी के बीच मोबाइल पासवर्ड शेयर करने को लेकर विवाद हो जाता है।
वहीं, थाना प्रभारी दीप्ति तोमर का कहना है कि विवादों के मामलों में पति-पत्नी दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से मामला सुलझ जाता है। लेकिन अगर मामला नहीं सुलझता, तो महिला द्वारा एफआईआर दर्ज कराई जाती है।
दहेज कानून में बदलाव की मांग
दहेज प्रताड़ना के झूठे मामलों का सामना करने वाले पुरुष और उनके परिवार कड़ी मानसिक और आर्थिक परेशानी का सामना करते हैं। इस मुद्दे पर पुरुषों के अधिकार के लिए काम करने वाले संगठनों का कहना है कि दहेज कानून का दुरुपयोग हो रहा है।
पुरुष संगठनों की मांग है कि दहेज कानून (Dowry Law) में संशोधन होना चाहिए ताकि पुरुषों को भी न्याय मिल सके। इस समय कानून महिला के पक्ष में है और पुरुषों के खिलाफ कोई भी आरोप लगते ही उन्हें आरोपी मान लिया जाता है। उल्लेखनीय है कि अतुल सुभाष आत्महत्या के मामले के बाद जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार कर लिया गया है। इस याचिका में दहेज कानून में बदलाव की मांग की गई है।
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