Bhopal : लोकप्रियता या आज के हिसाब से कहें तो फेम पाने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते। नेता और अफसर भी इसमें पीछे नहीं है। मध्यप्रदेश में तो मानो गजब ही हो रहा है। सांसद टॉयलेट साफ कर रहे हैं। मंत्री जी कार पर चढ़कर जश्न मनाते हुए वीडियो बनवाते हैं और डीएसपी साहब की तो बात ही निराली है। मतलब हद से ज्यादा कुछ नहीं हैं इनके काम। सवाल यही है कि क्या वाकई सांसद को टॉयलेट साफ करना चाहिए। क्या मंत्री को यूं कार के बोनट पर जश्न मनाना चाहिए और क्या एक पुलिस अधिकारी को यूं बच्चों के साथ मजाक मस्ती करनी चाहिए। संभ्रांत समाज का जवाब न ही होगा। हालांकि इनके समर्थक या फैन्स को यह खबर तकलीफ दे सकती है, लेकिन सच यही है कि इनके ये अटपटे वीडियो सस्ती लोकप्रियता पाने से ज्यादा कुछ नहीं है। क्या सत्ता, क्या विपक्ष...सबको छपास और दिखलौट का रोग लग बैठा है।
सांसद जी! आपको टॉयलेट साफ करना शोभा नहीं देता
रीवा सांसद जर्नादन मिश्रा देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के डूंडा गांव पहुंचे थे। इस बीच उन्होंने गांव के एक घर के शौचालय में गंदगी देखी। टॉयलेट में फैली गंदगी सांसद मिश्रा को नागवार गुजरी। फिर क्या था, उन्होंने झाड़ू उठाई और सफाई में जुट गए। बिना ग्लब्ज पहने उन्होंने ब्रश से टॉयलेट भी साफ किया। ये कोई पहला मामला नहीं था। सांसद मिश्रा इससे पहले भी अपने टॉयलेट साफ करने के अंदाज को लेकर सुर्खियां बटोर चुके हैं। सवाल यही है कि सांसद महोदय को टॉयलेट साफ करने की जरूरत क्या है और फिर मान लें कि आप वास्तव में भी बेहद जागरुक हैं तो यूं वीडियो बनवाने की क्या जरूरत है। सांसद जी का ये जतन सस्ती लोकप्रियता बटोरने से ज्यादा कुछ नहीं है।
मंत्री जी! जश्न के तो और भी तरीके थे...यूं क्यों निकले
अब आते हैं मंत्री जी पर। मध्यप्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण तथा सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग भी अपने नित नए सोशल मीडिया स्टंट्स से चर्चाओं में रहते हैं। ताजा मामला 29 जून का है। भारत ने टी-20 विश्वकप में दक्षिण अफ्रीका को मात दी। निश्चित तौर पर पूरे देश के लिए यह बड़ा जश्न था। हर कोई झूम रहा था। आतिशबाजी हो रही थी। अब ऐसे में खेल मंत्री विश्वास सारंग कहां पीछे रहने वाले थे। मंत्री जी कार के बोनट पर सवार हुए और तिरंगा लहराते हुए सड़कों पर फर्राटा भरते रहे। बाकायदा इस पूरे सीन को फिल्माया जा रहा था। वीडियो में देखा जा सकता है कि बिना सुरक्षा के रफ्तार के साथ दौड़ रही कार के बोनट पर सवार होकर मंत्री जी जश्न मना रहे थे। अब मान लीजिए कोई आम आदमी ऐसा कुछ करता तो टीआई साहब उसकी खटिया खड़ी कर देते। अब सारंग साहब तो मंत्री थे, उनका कोई क्या बिगाड़ पाता।
डीएसपी को सोशल मीडिया का रोग लगा
अब तीसरी दास्तां डीएसपी संतोष पटेल की है। पटेल ग्वालियर के बेहट थाना में पदस्थ हैं। उनके सोशल मीडिया हैंडल्स देखें जाएं तो लगता ऐसा कि डीएसपी साहब पुलिस की नौकरी कम और अपने सोशल नौकरी ज्यादा करते हैं। कितना अजीब है कि साहब जहां जा रहे होते हैं, वहां का तुरत-फुरत वीडियो बन जाता है। अब ये कैसे बनता है, सबको पता है कि आधे मामलों में तो सब कुछ प्लान होता है। सच ये भी है कि डीएसपी पटेल कुछ अच्छे सामाजिक काम भी करते हैं, लेकिन ज्यादातर प्री प्लान ही होते हैं। उनका ताजा वीडियो पिछले दिनों ग्वालियर अंचल में हुई बारिश का वायरल हो रहा है। पुलिया पर बाढ़ का पानी था। वहां बाइक से दो युवक पहुंचे। डीएसपी पटेल ने उन्हें मजाकिया अंदाज में समझाया, पर युवक नहीं माने और पुलिया पार कर गए। इस बातचीत में हंसी ठट्ठा से ज्यादा कुछ नहीं था।
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इस फेहरिस्त में कई और भी नाम
ये जिम्मेदार यह समझना ही नहीं चाहते कि जब आप पब्लिक फिगर होते हैं तो आपके काम, आपका आचरण अनुकरणीय और अनुसरणीय होता है। मतलब आम जनमानस इन्हें फॉलो करता है। ऐसी क्या मुसीबत आन पड़ती है कि सांसद मिश्रा को अपने हाथ से मैला उठाना पड़ता है। मंत्री जी के जश्न मनाने का तरीका क्या दूसरा नहीं हो सकता। डीएसपी के निश्चित तौर पर कुछ अच्छे सामाजिक काम हो सकते हैं, लेकिन यूं अलग-अलग फॉर्मेट में वीडियो बनवाने की क्या जरूरत है। सही मायनों में इन सब जिम्मेदारों के ये काम सस्ती लोकप्रियता से ज्यादा कुछ नहीं हैं। इस फेहरिस्त में द सूत्र ने इन तीन हस्तियों के नाम और उनके वीडियो का जिक्र सिर्फ इसलिए किया है कि क्योंकि ये हाल के दिनों के हैं। द सूत्र समय समय पर हुक्मरानों के ऐसे कृत्यों को उजागर करता रहेगा।
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