मध्य प्रदेश के समग्र डाटा में 1.72 करोड़ की वृद्धि हुई है। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए अपात्र लोगों ने दोहरी आईडी बनावा ली है। इन दोहरी समग्र आईडी को खत्म करने के लिए सरकार ने हर आईडी के साथ आधार लिंक करना अनिवार्य कर दिया है। राष्ट्रीय आयोग के तकनीकी समूह की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई 2024 तक राज्य की जनसंख्या 8.79 करोड़ है।
जनसंख्या से अधिक आईडी
हालांकि, राज्य में 10.51 करोड़ से ज्यादा समग्र आईडी बन चुके हैं। यानी आबादी से 1.72 करोड़ ज्यादा आईडी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपात्र लोगों ने सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए वोटर कार्ड की तर्ज पर डुप्लीकेट समग्र आईडी बनवा ली है।
प्रदेश में समग्र आईडी की संख्या जनसंख्या से अधिक होने के बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने भी ऐसी आईडी की पहचान की, जो डुप्लीकेट लग रही थी। साथ ही संबंधित नगरीय निकायों और जनपद पंचायतों को भी सत्यापन के बाद इन आईडी को डिलीट करने को कहा गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदेश के भिंड जिले के नगरपालिका को करीब 94 ऐसी आईडी भेजी गईं हैं।
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क्या है समग्र?
मध्य प्रदेश में रहने वाले हर परिवार और व्यक्ति की पहचान के लिए राज्य सरकार ने समग्र आईडी बनाई है। राज्य में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के पास किसी भी सरकारी योजना का लाभ उठाने के लिए समग्र आईडी होना जरूरी है।
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