अब चाय पीने के बाद खा भी सकेंगे कुल्हड़! जबलपुर के छात्र भरत तोमर ने बाजरे से बनाया अनोखा कप

जबलपुर के छात्र भरत तोमर ने चाय का एक अनोका कप तैयार किया है। इसमें चाय पीने के बाद आपको इसे फेकने का मन नहीं करेगा। साथ ही आप इसे खा भी जाएंगे। जानें क्या है इस अनोखे कप की खासियत...

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Neel Tiwari
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यदि आपको 'कुल्हड़' में चाय पीने में ज्यादा आनंद आता है, तो अब चाय खत्म होने के बाद आप उस कुल्हड़ को खा भी सकते हैं। जी हां, जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के एक होनहार छात्र भरत तोमर ने एक ऐसा अनोखा कप तैयार किया है जो न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि पोषण से भरपूर और पूरी तरह से खाने योग्य भी है।

बाजरे से बना अनोखा एडिबल कप

गुना जिले के रहने वाले भरत तोमर जबलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में एमबीए एग्री-बिजनेस मैनेजमेंट के छात्र हैं। उन्होंने एक खास प्रकार का खाने योग्य कप तैयार किया है जिसे बाजरे के आटे से बनाया गया है। यह कप चाय, ग्रीन टी, आइसक्रीम, सूप और कई तरह की ड्रिंक्स में इस्तेमाल किया जा सकता है। खास बात यह है कि इसे उपयोग के बाद फेंकने की जरूरत नहीं, बल्कि आप इसे खा सकते हैं।

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पूरी तरह से ग्लूटेन फ्री और पोषण से भरपूर

भरत के अनुसार यह कप न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि सेहत के लिए भी लाभदायक है। कप पूरी तरह से ग्लूटेन-फ्री है, यानी जिन लोगों को गेहूं या ग्लूटेन से एलर्जी होती है, उनके लिए भी यह सुरक्षित है। बाजरा खुद एक पौष्टिक मोटा अनाज है, जो प्रोटीन, फाइबर और मिनरल्स का अच्छा स्रोत होता है।

चाय पीने के बाद खाने वाला कुल्हड़...

  • जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के छात्र भरत तोमर ने बाजरे के आटे से एक खाने योग्य कप तैयार किया है, जिसे चाय, ग्रीन टी, आइसक्रीम, और सूप के लिए उपयोग किया जा सकता है।

  • यह कप ग्लूटेन-फ्री है और पोषण से भरपूर है, साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है क्योंकि इसे फेंकने की आवश्यकता नहीं, बल्कि खाया जा सकता है।

  • इस कप में ग्वार गम और कसावा पाउडर का उपयोग किया गया है, जिससे इसका स्वाद चॉकलेट जैसा होता है और यह 20-25 मिनट तक गर्म पेय पदार्थों को होल्ड कर सकता है।

  • इस नवाचार को RKVY-RAFTAR योजना से 4 लाख रुपये की ग्रांट मिली है, जिससे कप की टेस्टिंग और तकनीकी सुधार का कार्य किया जाएगा।

  • इस खाने योग्य कप की लागत मात्र 1-2 रुपये है और इसके माध्यम से ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद है।

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स्वाद के लिए चॉकलेट फ्लेवर

कप की मजबूती और स्वाद के संतुलन के लिए भरत ने इसमें ग्वार गम और कसावा पाउडर का प्रयोग किया है, जो नेचुरल बाइंडिंग एजेंट होते हैं। स्वाद को बेहतर बनाने के लिए इसमें चॉकलेट फ्लेवर भी जोड़ा गया है। यह कप 20 से 25 मिनट तक गर्म चाय या कॉफी को होल्ड कर सकता है।

RKVY-RAFTAR योजना से मिली केंद्र सरकार की ग्रांट

भरत का यह अनोखा आइडिया जवाहर R-ABI एग्रीबिजनेस इंक्यूबेशन सेंटर में प्रस्तुत किया गया था, जिसे वहाँ के सीईओ डॉ. मोनी थॉमस ने सराहा। इसके बाद इसे केंद्र सरकार की 'RKVY-RAFTAR' योजना के तहत 4 लाख रुपये की ग्रांट मिली है। अब इस अनुदान से कप की टेस्टिंग, गुणवत्ता प्रमाणन और तकनीकी सुधार का कार्य शुरू होगा।

प्लास्टिक कपों का सुरक्षित विकल्प

आज के समय में प्लास्टिक और पेपर कपों का अत्यधिक उपयोग होता है। इनमें गर्म पेय पदार्थ डालने पर माइक्रोप्लास्टिक और बीपीए जैसे हानिकारक रसायन निकल सकते हैं। भरत का यह नवाचार न केवल इस खतरे से छुटकारा दिलाता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

लागत कम, मुनाफा बेहतर - बढ़िया स्टार्टअप आइडिया

भरत के मुताबिक, एक खाने योग्य कप की लागत मात्र 1 से 2 रुपये के बीच आती है, जबकि इसका होलसेल रेट 4-5 रुपये तक हो सकता है। एक किलो सामग्री से 30-40 कप बनाए जा सकते हैं। इसका मतलब है कि कम लागत में एक अच्छा स्टार्टअप मॉडल तैयार किया जा सकता है।

युवाओं और महिलाओं को मिलेगा रोजगार

भरत का मानना है कि इस तरह के मिलेट-बेस्ड उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ेगी, जिससे न केवल बाजरा उत्पादक किसानों को फायदा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के लिए भी रोजगार के नए अवसर बनेंगे। वे चाहते हैं कि यह प्रोडक्ट भविष्य में बाजार में बड़े स्तर पर पहुँचे ताकि देश के लोग हेल्दी विकल्पों को अपना सकें और प्लास्टिक से छुटकारा मिले।

आने वाला समय मिलेट का है

भरत कहते हैं, मोटे अनाजों में अपार संभावनाएँ हैं। अगर सही दिशा में काम किया जाए, तो भारत न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में आगे बढ़ेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी विश्व को नई राह दिखाएगा। भरत के इस प्रयोग को देखकर यह कहा जा सकता है कि अब 'पिएंगे भी, खाएंगे भी', और साथ ही पर्यावरण की भी रक्षा करेंगे!

UP के किसानों का समूह भी बना चुका है ऐसे कप

साल 2023 में प्रयागराज में चल रहे माघ मेले (Magh Mela) में रागी और मक्के (ragi and maize) के मोटे दाने से बने पौष्टिक कुल्हड़ों को पहली बार किसानों के एक समूह के द्वारा प्रदर्शित किया गया था। इस स्टॉल को 'चाय पियो और कुल्हड़ खाओ' नाम दिया गया था। समूह के एक सदस्य अंकित राय ने बताया था कि इन 'कुल्हड़ों' की मांग पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कई गुना बढ़ रही है।

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