मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने शिक्षा विभाग के संचालक केके द्विवेदी के खिलाफ एक गंभीर कदम उठाया है। उन्होंने 3 फरवरी को एक नोटशीट लिखी थी, जिसमें द्विवेदी को निलंबित करने की मांग की गई। यह कदम शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति से लौटे कर्मचारियों की मनमानी पदस्थापना को लेकर उठाया गया। मंत्री का आरोप है कि बिना उनकी अनुमति के द्विवेदी ने पदस्थापना की, जो शासन के नियमों के खिलाफ है।
मंत्री की नाराजगी
शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रतिनियुक्ति से लौटे कर्मचारियों की पदस्थापना उनके आदेश से ही होनी चाहिए। विभाग की कार्यप्रणाली के तहत मंत्री से प्रशासनिक अनुमोदन लेकर ही पदस्थापना की प्रक्रिया पूरी होती है। उन्होंने यह भी जिक्र किया कि विभागीय अधिकारियों ने उनके आदेश का पालन नहीं किया, जिससे यह मामला विवाद का कारण बन गया।
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संचालक की सफाई
वहीं शिक्षा विभाग के संचालक केके द्विवेदी ने अपनी सफाई में विभागीय सचिव को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने अपनी कार्रवाई को सही ठहराने का प्रयास किया है, हालांकि मंत्री ने इसे असंतोषजनक पाया और कार्रवाई की मांग की है।
पूर्व मंत्री की आपत्ति
दरअसल, यह मामला नया नहीं है। पहले भी शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति ( deputation ) से लौटे कर्मचारियों की मनमानी पदस्थापना के मामले सामने आ चुके हैं। विभाग के पूर्व मंत्री इंदर सिंह परमार भी ऐसे मामलों पर आपत्ति जता चुके हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि विभाग में इस मुद्दे को लेकर एक स्थायी विवाद बना हुआ है।
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प्रशासनिक नीतियां और स्थिति
राजधानी में शिक्षा विभाग के लगभग 12 कार्यालय हैं, जहां कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर रखा जाता है। जब इन कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति समाप्त होती है, तो मंत्री से पदस्थापना के बारे में कोई सलाह नहीं ली जाती, जो कि मंत्री के लिए एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। शिक्षा विभाग में कर्मचारियों की कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता प्रतीत होती है।
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नियमों का उल्लंघन और कार्रवाई
मंत्री ने नोटशीट में यह स्पष्ट किया कि द्विवेदी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए सीधे पदस्थापना की, जिसे वे गलत मानते हैं। इस कारण उन्होंने द्विवेदी के खिलाफ निलंबन की सिफारिश की है और विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है।
नवंबर 2025 में पदस्थापना की सूची की मांग
मंत्री ने जनवरी 2025 में की गई पदस्थापना की पूरी सूची भी मांगी है, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि कहीं और भी इसी तरह के नियमों का उल्लंघन तो नहीं हुआ।
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