MP के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार, पत्नियों और रिश्तेदारों के खाते बने जालसाजी के हथियार

मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, जिनमें कर्मचारियों ने अपनी पत्नियों और रिश्तेदारों के खातों में सरकारी धन ट्रांसफर किया है।

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Raj Singh
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मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के शिक्षा विभाग (Education Department) में कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार की नई मिसाल सामने आई है। यह खुलासा शिक्षा विभाग की जांच में हुआ है। हाल ही में रायसेन जिले (Raisen) के सिलवानी बीईओ (BEO) कार्यालय में 1 करोड़ रुपए के गबन (embezzlement) के मामले में 26 लोगों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है। इनमें शिक्षा विभाग के कर्मचारियों (employees), प्राचार्य (principal) और रिटायर्ड प्राचार्य (retired principal) शामिल हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से 12 लोग इन कर्मचारियों की पत्नियां और रिश्तेदार हैं।

रायसेन के अलावा अन्य जिलों में भी गबन के मामले

बता दें कि यह अकेला मामला नहीं है। मध्यप्रदेश के पांच अन्य जिलों में भी इसी तरह के भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा हुआ है। इन मामलों में कर्मचारियों ने अपनी पत्नियों और रिश्तेदारों के बैंक खातों में 5 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि ट्रांसफर की थी। जानकारी के मुताबिक, यह मामला विधानसभा के बजट सत्र (Budget Session) में उठया जा सकता है।

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गबन का तरीका और आरोपी की भूमिका

रायसेन के जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) डीडी रजक के मुताबिक, यह गबन 2018 से 2022 के बीच हुआ। सिलवानी बीईओ कार्यालय में कार्यरत क्लर्क चंदन अहिरवार (Chandan Ahirwar) इस गबन का मास्टरमाइंड था। चंदन के पास विकासखंड के हर स्कूल के शिक्षक की बैंक डिटेल्स थी। वह शिक्षक और अतिथि शिक्षकों की सैलरी (salary) के नाम पर अपने रिश्तेदारों और पत्नी के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करता था।

चंदन ने अपनी पत्नी सुमन अहिरवार (Suman Ahirwar) के अकाउंट में 37 लाख रुपए जमा कराए। इसके अलावा, अन्य आरोपियों ने भी अपनी पत्नियों और रिश्तेदारों के खाते में लगभग 58 लाख रुपए की राशि ट्रांसफर की।

गलत प्रक्रिया और गड़बड़ी का तरीका

जिला शिक्षा अधिकारी रजक के मुताबिक, पहले स्कूल के प्रिंसिपल्स को डीडीओ (DDO) का अधिकार दिया गया था। यह सिस्टम गलत साबित हुआ, क्योंकि कर्मचारियों ने इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। आरोपियों ने सरकारी धन अपने रिश्तेदारों के खातों में भेजा। जांच में यह भी पाया गया कि डीडीओ ने अपना पासवर्ड कर्मचारियों को दे दिया था, जिससे पैसा निकाला गया।

इसके अलावा, महीने की समीक्षा नहीं की गई, जिससे सही व्यक्ति के खाते में पैसे के ट्रांसफर का पता नहीं चल सका। ई-भुगतान (e-payment) की जांच भी सही से नहीं हुई, जिससे घोटाले को अंजाम देने में मदद मिली।

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कई और गबन के मामले और विभागीय जांच

रायसेन के अलावा अन्य जिलों में भी गबन के कई मामले सामने आए हैं। छिंदवाड़ा, ग्वालियर, धार, गुना और बालाघाट में भी इसी तरह के मामले हुए हैं। इन सभी मामलों में शिक्षा विभाग (Education Department) के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत पाई गई है। विभागीय जांच की जा रही है, और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।

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